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छायावाद हिंदी साहित्य के रोमांटिक उत्थान की वह काव्य-धारा है जो लगभग ई.स. 1918 से 1936 तक की प्रमुख युगवाणी रही। जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'... |
छायावादी आंदोलन भारतीय साहित्य का एक काव्य आंदोलन था जिसमें छायावाद की प्रवृत्तियाँ थीं। ये प्रवृत्तियाँ जिस युग के काव्य में पाई गईं उस साहित्यिक युग... |
छायावाद के कवियों का राष्ट्रवादी काव्य अपना नाम प्रचारित किये बगैर महादेवी ने जहां अपने प्रारम्भिक काव्य-काल में राष्ट्रीय जागरण की कवितायें लिखीं, वहीं... |
मुकुटधर पाण्डेय (१८९५ - ६ नवम्बर १९८९) हिन्दी कवि थे। वे छायावाद के जनक माने जाते हैं। उनका जन्म छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले के एक छोटे से गाँव बालपुर... |
झरना (काव्य) के रचयिता जयशंकर प्रसाद हैं। यह पुस्तक छायावादी कविता की प्रारम्भिक पुस्तक है। छायावाद का प्रारम्भ झरना के प्रकाशन से ही माना जाता है। झरना... |
यद्यपि छायावाद और रहस्यवाद में विषय की दृष्टि से अंतर है—जहाँ रहस्यवाद का विषय आलंबन अमूर्त, निराकार ब्रह्म है जो सर्व व्यापक है, वहाँ छायावाद का विषय... |
सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' (श्रेणी छायावादी कवि) के छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक माने जाते हैं। वे जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत और महादेवी वर्मा के साथ हिन्दी साहित्य में छायावाद के... |
द्विवेदी, संरक्षक : सेठ गोविन्द दास; छायावाद युग का श्रेष्ठ पत्र, इसने 1920 में छायावाछ संबंधी लेखमाला प्रकाशित कर छायावाद को सर्वप्रथम मान्यता प्रदान... |
महादेवी वर्मा (श्रेणी छायावादी कवि) — 11 सितम्बर 1987) हिन्दी भाषा की कवयित्री थीं। वे हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तम्भों में से एक मानी जाती हैं। आधुनिक हिन्दी की सबसे... |
प्रगतिवाद छायावाद के बाद आया। इसमें छायावाद की तुलना में वैयक्तिक अनुभूतियों की अभिव्यक्ति में कमी आयी। कवियों ने सामाजिक यथार्थ को छायावाद की तुलना में... |
है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने उत्तर छायावाद को छायावाद का दूसरा उन्मेष कहा है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने उत्तर छायावाद/छायावादोत्तर काव्य को “स्वछन्द काव्य... |
हिंदी साहित्य जिन दिनों छायावादी दौर से गुजर रहा था उन्हीं दिनों छायावादी काव्य धारा के समानांतर और उतनी ही शक्तिशाली एक और काव्यधारा भी प्रवाहमान थी।... |
से प्राप्त ज्ञान हिंदी में छायावाद काल नया सब नया अर्थ में प्रयुक्त होकर समीक्षात्मक प्रतिमान के रूप में स्थापित हुआ। छायावाद की वैयक्तिकता का सीधा संबंध... |
शक्ति का विकास अपनी चरम सीमा पर इसी युग में पहुँचा। छायावाद के उत्तरकाल (1930 के पश्चात्) में छायावादी सूक्ष्म, लाक्षणिक रहस्यवादी अभिव्यक्ति के विरुद्ध... |
सुमित्रानन्दन पन्त (श्रेणी छायावादी कवि) सुमित्रानंदन पंत (20 मई 1900 - २८ दिसम्बर १९७७) हिंदी साहित्य में छायावादी युग के चार प्रमुख स्तंभों में से एक हैं। इस युग को जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा... |
हुआ। जहाँ काव्य में इसे छायावादी युग, प्रगतिवादी युग, प्रयोगवादी युग, नई कविता युग और साठोत्तरी कविता इन नामों से जाना गया, छायावाद से पहले के पद्य को भारतेंदु... |
रामेश्वर शुक्ल 'अंचल' (श्रेणी छायावादी कवि) हिन्दी विभाग में वर्षों तक अध्यापन किया तथा विभागाध्यक्ष रहे। रामेश्वर छायावाद युग के उत्तरार्ध के कवि हैं। बाद में इन्होंने मार्क्सवादी तथा प्रगतिशील... |
उत्तर प्रदेश के रायबरेली जिले के बन्नावाँ में १९३८ में हुआ था। शोध: (1) ‘छायावादी गद्य’ (पीएच.डी.), (2) ‘व्यावहारिक सौन्दर्यशास्त्रा’ (डी.लिट्.) सम्पादन:... |
यह सुर्यकांत त्रिपाठी "निराला" जी का जन्म स्थान है। इसी स्थान पर हिंदी के प्रसिद्ध कवि तथा छायावाद के प्रमुख कवि का जन्म हुआ था। - सूरज बिरादर... |
‘टालस्टॉय और साइकिल’ और ‘बाघ’ हैं। उनकी प्रमुख गद्य कृतियां ‘कल्पना और छायावाद’, ‘आधुनिक हिंदी कविता में बिंबविधान’ और ‘मेरे समय के शब्द’ हैं। 2013 में... |