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हैं कि इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न श्री राम में ये सभी गुण हैं। श्रीराम के सोलह गुण, जो आदर्श पुरुष में होने चाहिए- गुणवान् वीर्यवान् ( वीर ) धर्मज्ञ ( धर्म... |
भक्ति काल (श्रेणी भक्तिकाल के कवि) धारा में आदर्श पात्रों की सर्जना हुई है। राम आदर्श पुत्र और आदर्श राजा हैं, सीता आदर्श पत्नी हैं तो भरत और लक्ष्मण आदर्श भाई हैं। कौशल्या आदर्श माता है... |
हिन्दू विवाह (विवाह के प्रकार से अनुप्रेषित) को लड़की के विवाह के लिए आदर्श माना गया।वर्तमान काल में भी आध्यात्मिक दृष्टिकोण से उपर्युक्त आयु वर्ग लड़के-लड़कियों के विवाह के लिए आदर्श हैं। विवाह... |
रघुवंशम् (अनुभाग रामायण और रघुवंश) राजाओं को निमित्त बनाकर उदारचरित पुरुषों का स्वभाव पाठकों के सम्मुख रखा है। इस कथा के माध्यम से कवि ने राजा के चरित्र, आदर्श तथा राजधर्म जैसे विषयों का बडा़... |
हिन्दू दर्शन (अनुभाग वेदान्त के सम्प्रदाय) अनुसार प्रकृति और पुरुष दो स्वतंत्र और सनातन सत्ताएँ हैं। "प्रकृति" जड़ है और जगत् का सूक्ष्म कारण है। वह सत्व, रजस् और तमस् इन तीन गुणों की साम्यावस्था... |
स्वार्थ के लोकोपकार के लिए अपना कर्तव्य सर्वश्रेष्ठ तरीक़े से करना ही कर्म योग है। कर्म योग के आदर्श को प्रस्तुत करते हुए वे कहते हैं, "आदर्श पुरुष तो वे... |
मैथिलीशरण गुप्त (श्रेणी एन॰के॰सी॰ अभिज्ञापक वाले विकिपीडिया पृष्ठ) राम के जीवन में आनेवाली सम तथा विषम परिस्थितियों के अनुकूल राम की मनःस्थिति का सहज स्वाभाविक दिग्दर्शन करते हुए भी एक धीरोदात्त एवं आदर्श पुरुष के रूप... |
पढ़ाने का मन बना लेने के बाद आचार्य को परीक्षा करनी चाहिए कि शिष्य में निम्नलिखित गुण हैं या नहीं- बहुत ही शान्त स्वभाव के, श्रेष्ठ गुणों वाले, सीधे कामों... |
विष्णु (अनुभाग लोकत्रय के शास्ता : तीन पाद-प्रक्षेप) किया। रामकथा के लिए सर्वाधिक प्रमाणभूत एवं आधार ग्रन्थ वाल्मीकीय रामायण में राम का चरित्र समर्थ मानव-रूप में ही चित्रित है। युद्धादि के समापन के बाद जब सभी... |
प्रसिद्धि वाल्मीकि रामायण के नायक अयोध्यानरेश दशरथ के पुत्र राम की हुई। उनका चरित् जातीय जीवन का मुख्य प्रेरणास्रोत बन गया। शनै: शनै: वे वीर पुरुष से पुरुषोत्तम... |
महाभारत (श्रेणी पृष्ठ जिनमें अमान्य प्राचलों के साथ उद्धरण हैं) में दस गुणा अधिक हैं। परंपरागत रूप से, महाभारत की रचना का श्रेय वेदव्यास को दिया जाता है। इसकी ऐतिहासिक वृद्धि और संरचनागत परतों को जानने के लिए कई प्रयास... |
भारतीय राजनय का इतिहास (अनुभाग रामायण तथा महाभारत) रचित रामायण में राम ने लंका के विरुद्ध युद्ध की घोषणा के पूर्व अंगद ने नीति के अनुसार समझौते का पूर्ण प्रयास किया था। रावण द्वारा हनुमान के लंका दहन के कारण... |
कृष्ण (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) कर्मयोगी, आदर्श दार्शनिक, स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष... |
आर्य समाज (आर्य समाज के नियम से अनुप्रेषित) रचित सत्यार्थ प्रकाश नामक ग्रन्थ आर्य समाज का मूल ग्रन्थ है। आर्य समाज का आदर्श वाक्य है: कृण्वन्तो विश्वमार्यम्, जिसका अर्थ है - विश्व को आर्य बनाते चलो।... |
करते नजर आते हैं। यह गुण तो अब 'विरल' ही हो चुका है। कांत की सतेज जीवंत उपस्थिति से व्यंग्य विधा समृद्ध हुई है। इस साहित्य-पुरुष के हमारे बीच होने का अर्थ... |
है। रामायण और महाभारत के साथ जातक की तुलना करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि इन दोनों ग्रन्थों के सभी अंश बुद्ध पूर्व युग के नहीं है। रामायण के वर्तमान... |
भक्ति आन्दोलन (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) इतिहास मनुष्य जीवन के एक निश्चित लक्ष्य और आदर्श को लेकर चला। यह लक्ष्य है भगवद्भक्ति, आदर्श है शुद्ध सात्विक जीवन और साधन है भगवान के निर्मल चरित्र और... |
नाटक (अनुभाग नाटक के प्रमुख तत्त्व) बहुत पुराना है। रामायण, महाभारत, हरिवंश इत्यादि में नट और नाटक का उल्लेख है। पाणिनि ने 'शिलाली' और 'कृशाश्व' नामक दो नटसूत्रकारों के नाम लिए हैं। शिलाली... |
के प्रतिकूल हो, वैसा आचरण दूसरों के साथ नहीं करना चाहिये।) दशलक्षण धर्म जैन धर्म के दिगम्बर अनुयायियों द्वारा आदर्श अवस्था में अपनाये जाने वाले गुणों... |
बंगाली साहित्य (अनुभाग आधुनिक युग के बाद) साहित्य (1,200-1,800 ई.), तथा आधुनिक साहित्य (1,800 के बाद)। प्रारंभिक साहित्य बंगाल के जीवन तथा उसके गुण-दोष-विवेचन की दृष्टि से ही अधिक महत्वपूर्ण है। चंडीदास... |