छठि पर्व नेपाल आ भारतक उत्तर क्षेत्रमे हिन्दूसभद्वारा मनाओल जाइवला एक महत्वपूर्ण पावनि छी। ई पर्वमे षष्ठी भगवती, भगवान सूर्य देव आ छठि मैयाँ (पौराणिक वेदक देवी; उषा - सूर्य देवक पत्नी)क पूजा अर्चना करि पुत्र, पति आ परिवारक कल्याणक कामना कएल जाइत अछि। पृथ्वीमे पर्याप्त प्रकाश देला कारण आ कामना पूर्ण भेलापर सूर्यके धन्यवाद देब क लेल मुख्यत: ई पर्वक सुरुवात भेल मानल जाइत अछि।नेपालक विशेष रुपसँ तराई (मधेश) क्षेत्रमे श्रद्धा एवं भक्तिपूर्वक ई पर्व मनाएल जाइत अछि। ई पर्वक अवसरमे पञ्चमीक दिनसँ व्रत बैसनिहार महिला तथा पुरुष निष्ठापूर्वक पवित्र जलाशयमे स्नान करि साँझमे दूध, चामल आ सख्खरक खीर पकाए प्रसादक रूपमे अपनो खाइत अछि आ व्रत नैबैसनिहार परिवारक सदस्यसभके सेहो खुवाबैक चलन अछि। परम्परानुसार छठिक दिन साँझ अस्ताबैत सूर्यके जलाशयमे ठार भऽ पूजासहित अर्घ दऽ देलाबाद रातभरि नदी तथा तलाउ किनारमे बसि भजनकीर्तन करैत काल्हि सप्तमीक दिन भोर उगैत सूर्यके पुनः अर्घ दऽ पूजा विसर्जन कएल जाइत अछि। ई पर्वमे मुस्लिम समुदायक लोकसभ सेहो सहभागी होइत अछि आ ई पर्व विधिवत्त रूपमे मनाबैत अछि । पवित्र मनसँ छठि पर्व मनेलासँ पारिवारिक कल्याण, सन्तानसुख तथा मनोकामना पूरा होमएक विश्वास कएल जाइत अछि।
सृष्टिक सुरूवातसँ सूर्यक उपासना कएल आबैत देखल गेल अछि। अग्नि पुराणमे सेहो षष्ठी व्रतक प्रसँग उल्लेख अछि। चौदह वर्षक वनवास आ एक वर्षक अज्ञातवास बैसल समय कुन्ती, द्रौपदी सहित पाण्डवद्वारा ई व्रत कएल वर्णन महाभारतमे उल्लेख अछि । त्रेता युगमे राजा दशरथक रानी कौशल्या सेहो ई व्रत केनए छल, से बताओल गेल अछि। कातिक महिनामे मनाएल जाइवला छठिके पैग छठि कहल जाइत अछि। चैत महिनाक षष्ठी तिथिमे सेहो कतेक ठाममे ई पर्व मनाएल जाइत अछि।
सूर्य उपासनासँ सम्बन्धित छठि पर्व प्रत्येक वर्ष कात्तिकशुक्ल पञ्चमी आ षष्ठीक दिन मनाएल जाइत अछि। व्रत बैसनिहार स्नान करि उपवास बैस आत्मशुद्धि करैत अछि, जकरा खर्ना कहल जाइत अछि। षष्ठीक दिन नदी आ पोखरिक घाटमे व्रतालुसभ स्नान करि साँझक समयमे जलाशयमे ठार भऽ सूर्यके फलफूल, ठेकुवा आ कसार अर्घ दैत अछि। व्रतालु भक्तजनसभ राति प्राय नदी किनारमे बास बैसैत अछि तँ कोई कोई घर चलि जाइत अछि। मुदा शुद्धाशुद्धिक बहुतेक विचार पहुँचाबैक कारण कोनो चीज अशुद्ध नैहोए ताहिलेल सभ कियो सजग रहैत अछि। शुद्ध भावनासँ ई व्रत करलासँ तुरुन्त फल सेहो मिलैत अछि से धर्मावलम्बीसभक विश्वास अछि। ताहिकारण मनसँ मात्र शुद्ध नै भऽ सबचीज साफसुथरा होवाक कारण व्रतालुसभ मात्र नै बल्कि सम्पूर्ण परिवारक सदस्यसभ एकरा कडाइक साथ पालना करैत अछि।
षष्ठीक भोर ब्रहृममुहूर्तमे लोकसभ पूजासामग्री लऽ नदी किनारमे जा स्नान करि उगैत सूर्यके पुन: अर्ध्य देलाकबाद छठि पर्व समाप्त होइत अछि आ प्रसाद बाँटल जाइत अछि।
छठिक पहिल दिन-कार्तिक शुक्ल चतुदर्शी
कार्तिक शुक्ल चर्तुदशीक दिन सँ छठि आरम्भ होइत अछि। विजयादशमी आ दीपावली बाद छठि नितान्त सूर्यक उपासना करि मनाएल जाइत अछि। छठिक शुरुवात मानल जाइवला ई दिनके व्रतालुसाभ नहाए खाए (नहाए खाए) कहैत अछि। भोर सबेरमे उठि हात टाङ्गक नह काटि आ पवित्र पानिसँ नुहाए-धुवाए करि सफा कपडा लगाए पूजा करि शुद्ध भोजन करैत अछि। कहल जाइत अछि ई दिनमे व्रतालुसभ ई प्रण करैत अछि की आब सँ हम कोनो गलत काम नै करि भगवानक राहमे चलब।
This article uses material from the Wikipedia मैथिली article छठि, which is released under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 license ("CC BY-SA 3.0"); additional terms may apply (view authors). CC BY-SA 4.0 कऽ अन्तर्गत विषय सूची उपलब्ध अछि । Images, videos and audio are available under their respective licenses.
®Wikipedia is a registered trademark of the Wiki Foundation, Inc. Wiki मैथिली (DUHOCTRUNGQUOC.VN) is an independent company and has no affiliation with Wiki Foundation.