सत्यकाम जाबाल

सत्यकाम जाबाल, महर्षि गौतम के शिष्य थे जिनकी माता जबाला थीं और जिनकी कथा छांदोग्य उपनिषद् में दी गई है। सत्यकाम जब गुरु के पास गए तो नियमानुसार गौतम ने उनसे उनका गोत्र पूछा। सत्यकाम ने स्पष्ट कह दिया कि मुझे अपने गोत्र का पता नहीं, मेरी माता का नाम जबाला और मेरा नाम सत्यकाम है। मेरे पिता युवावस्था में ही मर गए और घर में नित्य अतिथियों के आधिक्य से माता को बहुत काम करना पड़ता था जिससे उन्हें इतना भी समय नहीं मिलता था कि वे पिता जी से उनका गोत्र पूछ सकतीं। गौतम ने शिष्य की इस सीधी सच्ची बात पर विश्वास करके सत्यकाम को ब्राह्मणपुत्र मान लिया और उसे शीघ्र ही पूर्ण ज्ञान की प्राप्ति हो गई।

बाहरी कड़ियाँ

Tags:

गोत्रछान्दोग्य उपनिषदजबालाब्राह्मणमहर्षि गौतम

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

भारतीय संसदआइन-ए-अकबरीमैथिलीशरण गुप्तब्रह्माकालीतुलसीदासराष्ट्रवादकिसी का भाई किसी की जानशिक्षा का अधिकारदक्षिणइंसास राइफलभोपाल गैस काण्डअंतःस्रावी ग्रंथिनेहरू–गांधी परिवारसत्याग्रहक्योटो प्रोटोकॉलजॉनी सिन्सपाकिस्तानशिवद्रौपदी मुर्मूसाँची का स्तूपभारतीय स्टेट बैंकसमाजवादभारत में कोरोनावायरस से लॉकडाउन 2020आगरा का किलाभारत में आरक्षणजयप्रकाश नारायणश्री गायत्री देवीभारत का ध्वजगूगल इमेज लेबलरप्रदूषणवल्लभ भाई पटेलज्योतिराव गोविंदराव फुलेछंदक़ुतुब मीनारऐन्टिमोनीराष्ट्रीय सेवा योजनापानीपत का तृतीय युद्धरामचरितमानसभारतीय दण्ड संहिताउदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरणतंपनचन्द्रशेखर आज़ादउदित नारायणविशेषणजाट२७ मार्चस्टैच्यू ऑफ यूनिटीस्वामी विवेकानन्दजीमेलपार्वतीख़ालिस्तान आंदोलनप्रयोजनमूलक हिन्दीमृत्युसांख्य दर्शनफ़तेहपुर सीकरीस्कंदमाताराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (भारत)फ़ज्र की नमाज़गुर्दाअंग्रेज़ी भाषालोक सभाउत्तर प्रदेश के ज़िलेमहादेवी वर्मानाट्य शास्त्रनेतृत्वनेटफ्लिक्सअस्र की नमाज़आर्य समाजगंधकप्रकाश राजभारत के राष्ट्रपतिभारत की राजनीतिसलमान ख़ानज़ुहर की नमाजराजनीतिजीण माताऋग्वेद🡆 More