सन् 1945 में जापान के हिरोशिमा पर अमरीका एक एटम बम गिराया। इसकी वजह से सडाको ससाकि ल्यूकेमिया का शिकार हो गई। उसने काग़ज़ के हज़ार सारस बनाने की कोशिश की क्योंकि जापान में कहते हैं कि अगर आप हज़ार सारस बनाये, आपकी एक ख़्वाहिश सच होगी। उसके पास बहुत काग़ज़ नहीं था, तो जो मिल सकी उस काग़ज़ का इस्तेमाल किया। उसकी दोस्त चिज़ूको हामामोतो भी उसको काग़ज़ लाया। सडाको ने हज़ार सारस बनाये मगर बेहतर नहीं हुई और उनकी मृत्यु हो गई। वह बस बारह साल की थी।
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सादाको ससाकी 佐々木 禎子 | |
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सडाको ससाकी की याद में हिरोशिमा, जापान में बनायी गई प्रतिमा | |
जन्म | 7 जनवरी 1943 हिरोशिमा, जापान |
मौत | अक्टूबर 25, 1955 हिरोशिमा, जापान | (उम्र 12)
मौत की वजह | ल्यूकेमिया |
राष्ट्रीयता | जापानी |
शिक्षा | नोबोरी-को एलिमेंट्री स्कूल |
माता-पिता | Shigeo ससाकी (पिता) Fujiko ससाकी (माँ) |
एलानॉर कॉर ने सडाको के बारे में एक किताब "सडाको और हज़ार काग़ज़ के सारस" लिखी। इस किताब में सडाको ने बस ६४४ सारस बनाये, फिर उनकी मृत्यु हो गई । उसके दोस्त दूसरे ३५६ सारस बनाये और उसके साथ सारे हज़ार सारस रखे।
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