बाल विवाह किसी इंसान का कानूनी उम्र से पहले शादी करना होता है।बाल विवाह, कानून के मुताबिक, किसी भी बच्चे का शादी यानी नाबालिग उम्र में विवाह कर देना होता है.
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यूनिसेफ़ के मुताबिक, किसी लड़की या लड़के की शादी 18 साल की उम्र से पहले होना बाल विवाह कहलाता है. भारत में, बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के मुताबिक, शादी के लिए एक लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए. अगर इससे कम उम्र में लड़के और लड़की की शादी कराई जाती है, तो इसके लिए क़ानून में सज़ा का प्रावधान किया गया है.
बाल विवाह को रोकने के लिए भारत में आजादी से पहले से ही कानून है. सबसे पहले 1929 में कानून लाया गया था.
इसे शारदा अधिनियम के नाम से जाना जाता है. इस अधिनियम के मुताबिक, लड़कियों की शादी की उम्र 14 साल और लड़कों की 18 साल तय की गई थी. बाद में, 1949, 1978 और 2006 में इसमें संशोधन किए गए.
बाल विवाह किसी बच्चे को अच्छे स्वास्थ्य, पोषण और शिक्षा के अधिकार से वंचित करता है.
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