पश्तूनवाली (पश्तो: پښتونوالی) या पख़्तूनवाली दक्षिण एशिया के पश्तून समुदाय (पठान समुदाय) की संस्कृति की अलिखित मर्यादा परम्परा है। इसके कुछ तत्व उत्तर भारत और पाकिस्तान की इज़्ज़त मर्यादा से मिलते-जुलते हैं। इसे 'पश्तूनी तरीक़ा' या 'पठान तरीक़ा' भी कहा जा सकता है। हालांकि पश्तून लोग वर्तमान काल में मुस्लिम हैं, लेकिन पश्तूनवाली की जड़े इस्लाम से बहुत पहले शुरू हुई मानी जाती हैं, यानि यह एक इस्लाम-पूर्व परम्परा है। पश्तूनों की सोहबत में रहने वाले बहुत से ग़ैर-पश्तून लोग भी अक्सर पश्तूनवाली का पालन करते हैं।
पश्तूनवाली मर्यादा के नौ नियम होते हैं:
हालाँकि पठानो ने दुसरो की मासूम औरते और बच्चियों को बेरहमी से मारा है बालात्कार किया है जैसे पानीपत की तीसरी लडाई मे उन्होंने 2 लाख से ज्यादा गैर सेना कर्मी को जो तीर्थ यात्री थे हरिद्वार से लेकर वृंदावन तक जो ज्यादातर महिला और छोटी बच्ची बच्चे थे उन्हे मारा और उनका बालात्कार किया, साथ मे पठानो ने उन्हे अफ़्ग़ानिस्तान ले जाकर बेचा, हिंदू कुश पर्वत भी ये ही दर्शाता है की ये कैसे खलीफा, अरब और मध्य एशिया के खानो के लिए हिंदू औरतो को नीलाम करते थे, पठान बच्चाबाजी और अफीम के नशे मे कई कुकृत्य करता था हिंदू स्थान मे इन्हे बर्बर जालिम जाति माना जाता है क्योंकि ये अविश्वनिय होते थे जो भारत पर आक्रमण करने वाली हर विदेशी सेना को रास्ता देते थे साथ खुद भी लूटते थे
पश्तूनवली Pashtunwali(: پښتونوالی) (पठानों की आचार संहिता) पश्तूनवली या पख़्तूनवली का मतलब होता है, पख़्तून जीवनशैली। यह एक इस्लाम के आने से पहले की जीवनशैली या मज़हब है। यह परंपरागत जीवनशैली है। यह पख़्तून या पठानों की नैतिकता या आचारसंहिता भी है। इसके मुख्य सिद्धान्त नौ हैं। इनका पालान पख़्यूनों अथवा पठानों द्वारा पिछले 5 हज़ार सालों से किया जा रहा है। इनका इसलाम के साथ कोई मतभेद नहीं है, एव यह सभी इसलाम में शामिल हैं। बेशुमार जन्नत की नेमतें पख़्तो के माद्यम से प्ख़्यूनों पर नाज़िल होती हैं:- ग़नी ख़ान (1977) पख़्तूनवली का पालन अफ़ग़ानिस्तान, भारत व पाकिस्तान समेत सारी दुनिया के पठानों द्वारा किया जाता है। कुछ ग़ैर पठान लोग भी पठानों के प्र्भाव में आकर पख़्तूनवली का पालन कर्ते हैं। यह एक आचार संहिता है जो व्यक्तिगत जीवन के साथ साथ सामाजिक जीवन का भी मार्गदर्शन करती है। पश्तूनवली बहुमत पठानों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता है। यह कहने में कोई हर्ज़ नहीं है कि पठान जब तक पख़्तूनवली का पालन करते रहे तब तक उन्होने दुनिया पर राज किया व कभी भी किसी से पराजित नहीं हुए। भारत में जब उन्होने पख़्तूनवली का पालन करना बन्द कर दिया तब वे जाट मराठों, मुग़लो अंग्रेज़ों सभी से पराजित होते गये, ज़लील हुए, व मुफ़लिसी ने उन्हें आ घेरा। पहले बताया जा चुका है कि पख़्तून बनी इस्राएल से हैं। यह ख़ुदा की चुनी हुई क़ौम है। पख़्तूनवली के सिद्धान्त मुसा अलैहिस्सलाम की तौरात पर ही आधारित हैं। इसमें वह अहद शामिल है जो ख़ुदा ने बनी इस्राएल से बांधा था। जब बनी इस्राएल अपना वादा पूरा करेंगे तो ख़ुदा भी अपना वादा पूरा करेगा जो उसने बनी इस्राएल से किया था। जैसा कि क़ुरान शरीफ़ में भी आया है कि ऐ बनी इस्राएल तुम अपना वह वादा पूरा करो जो तुमने मुझ से किया था, ताकि मैं अपना वह वादा पूरा करूं जो मैंने तुम से किया था। () पख़्तूनों ने अपना पांच हज़ार साल के इतिहास का भी रेकार्ड सुरक्षित रखा हुआ है। पख़्तूनवली आत्म सम्मान, आज़ादी, न्याय, मेहमाननवाज़ी, प्यार, माफ़ कर देना, बदला लेना, सहनशीलता आदि को बढ़ावा देने वाली आचार संहिता है। यह सब कुछ सबके लिये है, जिसमें अजनबी व परदेसी भी शामिल हैं चाहे उनकी जाति, धर्म, विश्वास, राष्ट्रीयता कुछ भी हो। पश्तूनवली का पालन करना वा इसकी हिफ़ाज़त करना हर एक पठान की व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी है। मुख्य सिद्धान्त पख़्तूनवली के कुछ मुख्य सिद्धान्त इस प्रकार हैं। 1.मेलमेस्तियाMelmastia (मेहमाननवाज़ी) – दया, मेहरबानी व मेहमाननवाज़ी सभी परदेसियों व अजनबियों पर दिखाया जाना। इसमें धर्म, जाति, मूलवंश राष्ट्रीयता आदि के आधार पर कोई भेदभाव ना करना। यह सब बग़ैर किसी इनाम या बदले में कुछ मिलेगा ऐसी उम्मीद के किया जाना चाहिये। पशूनों की मेहमान नवाज़ी दुनिया भर में मशहूर है। 2.नानावाताई:- Nanawatai (asylum) – अगर कोई अपने दुश्मनों से बचाने के लिये मदद व संरक्षण मांगे तो उन्हें संरक्षण दिया जाना चाहिये। हर क़ीमत पर उन्हें संरक्षण दिया जाता है। उन लोगों को भी जो क़ानून से भाग रहे हों उस समय तख़ संरक्षण दिया जाना चाहिये जब तक कि वस्तुस्थिति साफ़ नहीं हो जाती। जब पराजित पक्ष विजेता के पास जाता है, तब भी उन्हें संरक्षण दिया जाता है। कई मामलों में आत्म समर्पण करके अपने दुशमन के ही घर में शरण ली जाती है। 3.बदल (इंसाफ़, justice) – ख़ून के बदले ख़ून, आंख के बदले आंख, दांत के बदले दांत्। ऐसा पतीत होता है कि यह माफ़ कर देने, दया करने के सिद्धान्त के विपरीत है। लेकिन ऐसा समझ कम होने के कारण ग़लत फ़हमियां पैदा होती हैं। माफ़ी के लिये ज़रूरी है, कि ग़लती करने वाला आफ़ी मांगे। बगैर मांगे कैसी माफ़ी? यह सभी प्रकार के गुनाहों व अपराधों पर लागू है। चाहे ग़लत काम कल किया गया था, चाहे एक हज़ार साल पहले किया गया हो। अगर ग़लती करने वाला ज़िन्दा ना हो तो उसके नज़दीकी ख़ून के रिश्ते वाले से बदला लिया जाएगा। 4.तूरेह Tureh (बहादुरी, bravery) –एक पठान ने अपनी ज़मीन, संपत्ती, परिवार स्त्रियां आदि की हिफ़ाज़त बहादुरी से लड़ाई लड़ कर करनी चाहिये। यह पश्तून स्त्री पुरुष दोनों ही की ज़िम्मेदारी है। इसके लिये उसने मौत को भी यदि गले लगाने की ज़रूरत पड़े तो मौत को गले लगा लेना चाहिये। 5.सबात Sabat (वफ़ादारी, loyalty) –हर एक ने अपने परिवार, दोस्तों, क़बीले, आदि के प्रति वफ़ादार होना चाहिये। सबात या वफ़ादारी बेहद ज़रूरी है व एक पठान कभी भी बेवफ़ा नहीं हो सकता। 6.ईमानदारी Imandari (righteousness) – एक पख़्तून ने हमेशा अच्छी बातें सोचना चाहिये, अच्छी बातें बोलना चाहिये, अच्छे काम करना चाहिये। पख़्तून ने सभी चेएज़ों का सम्मान करना चाहिये जिसमें लोग, जानवर व प्र्यावरण भी शामिल है। इनको नष्ट करना पख़्तूनवली के ख़िलाफ़ है। 7.इस्तेक़ामत Isteqamat – ख़ुदा पर विश्वास करना। पश्तो में जिसे ख़ुदा, अरबी में अल्लाह व हिन्दी में व्हगवान कहा जाता है। इसी को अंग्रेज़ी में ग़ाड कहते हैं। ऐसा विश्वास करना कि ख़ुदा एक है, उसी ने सारी दुनिया की सभी चीज़ें बनाई हैं। यह यहां हज़ार साल पुराना पख़्तूनवली का सिद्धान्त इसलाम के तौहीद के समकक्ष है। 8. ग़ैरत:- Ghayrat (self honour or dignity) – पख़्तून ने हमेशा अपना मानवीय गरिमा बनाये व बचाये रखना चाहिये। पख़्तून समाज में गरिमा बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होने अपनी व अन्य लोगों की भी गरिमा को बनाये व बचाये रखना चाहिये। उन्होने ख़ुद अपना भी सम्मान करना चाहिये व दूसरों का भी सम्मान करना चाहिये नमूस (औरतों का सम्मान) Namus (Honor of women) – एक पठान ने पठान स्त्रियों व लड़कियों के सम्मान की रक्षा हर क़ीमत पर करनी चाहिये। अन्य महत्वपूर्ण सिद्धान्त:- आज़ादी:- शारीरिक, मानसिक, धार्मिक रूहानी, राजनीतिक व आर्थिक आज़ादी, उस समय तक जब तक कि यह दूसरों को नुकसान ना पहुंचाने लगे। न्याय व माफ़ करना:- अगर कोई जानबूझ कर गलत काम करे व आपने अगर न्याय की मांग नहीं की ना ही गलती करने वाले ने माफ़ी मांगी तो ख़ून के बदले ख़ून आंख के बदले आंख दान्त के बदले दान्त के अनुसार बदला जब तक ना लिया जाये, पठान पर यह एक क़र्ज़ा रहता है। यहां तक कि यह उस पर एक बन्धन है कि उसे ऐसा करना ही होगा। चाहे वह पठान स्त्री हो या पठान पुरुष्। वादे पूरे करना:- एक असली पठान कभी भी अपने वादे से मुकरेगा नहीं। एकता व बराबरी:- चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों, चाहे किसी भी क़बीले के हों, चाहे ग़रीब हों या अमीर, चाहे कितना ही रुपया उनके पास हो, पख़्तूनवली सारी दुनिया के पख़्तूनों या पठानों को एक सूत्र बें बांधती है। हर इन्सान बराबर है, यह पश्तूनवली का मूल सिद्धान्त था। सुने जाने का अधिकार:- चाहे वे कोई भी भाषा बोलते हों, चाहे किसी भी क़बीले के हों, चाहे ग़रीब हों या अमीर, चाहे कितना ही रुपया उनके पास हो हर एक को यह अधिकार प्राप्त है कि उसकी बात समाज में व जिर्गा में सुनी जाये। परिवार व विश्वास:- यह मानना कि हर एक पख़्तून स्त्री व पुरुष अन्य पख़्तूनों का भाई व बहन है, चाहे पख़्तून 1 हज़ार क़बीलों में ही बंटे क्यों ना हों। पख़्तून एक परिवार है, उन्भें अन्य पख़्तून परिवारों के स्त्रियों, बेटियों, ब्ड़े बुज़ुर्गों, माता- पिता, बेटों, व पतियों का ख़्याल रखना चाहिये। सहयोग:- ग़रीब व कमज़ोरों की मदद की जानी चाहिये वह भी इस प्रकार से कि किसी को मालूम भी ना पड़े। इल्म या ज्ञान प्राप्त करना:- पख़्तून ने ज़िन्दगी, इतिहास, विज्ञान, सभ्यता संस्कृति आदि के बारे में लगातार अपना ज्ञान बढ़ाते रहने की कोशिश करते रहना चाहिये। पख़्तून ने अपना दिमाग़ हमेशा नये विचारों के लिये खुला रखना चाहिये। बुराई के ख़िलाफ़ लड़ो:- अच्छाई व बुराई के बीच एक लगातार जंग जारी है, पख़्तून ने जहां कहीं भी वह बुराई देखे तो उसके ख़िलाफ़ लड़ना चाहिये। यह उसका फ़र्ज़ है। हेवाद:- Hewad (nation) –पख़्तून ने अपने पख़्तून देश से प्यार करना चाहिये। इसे सुधारने व मुक़म्मल बनाने की कोशिश करते रहना चाहिये। पख़्तून सभ्यता व संस्कृति की रक्षा करना चाहिये। किसी भी प्रकार के विदेशी हमले की स्थिति में पख़्तून ने अपने देश पख़्तूनख़्वा की हिफ़ाज़त करना चाहिये। देश की हिफ़ाज़त से तात्पर्य सभ्यता संस्कृति, परंपराएं, जीवन मूल्य आदि की हिफ़ाज़त करने से है। दोद पासबानी:- पख़्तून पर यह बंधनकारी है कि वह पख़्तून सभ्यता व सस्कृति की हिफ़ाज़त करे। पश्तूनवली यह सलाह देती है कि इसको सफलतापूर्वक कर्ने के लिये पख़्तून ने पश्तो ज़बान कभी नहीं छोड़ना चाहिये। पश्तो पख़्तून सभ्यता व संस्कृति को बचाने का मुख्य स्रोत है।
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