तार रज्जु

इस्पात का लचकदार रस्सा जो इंजीनियरी के विभिन्न प्रयोजनों, जैसे भारी बोझों को उठाने, रेलवे के मार्ग के रस्से, गाइओं (guys), उत्तोलक, संवाहक, केवल मार्ग, झूला पुलों में मुख्या वाहक तार और पूर्वप्रतिबलित कंक्रीट में केबल के रूप में प्रयुक्त होता है। इस्पात के अनेक तारों के संयोग से तारसूत्र (Strand) और अनेक तारसूत्रों को मिलाकर एक केबल बनता है। तारसूत्र के तार और केबल में लगे तारसूत्रों को कभी-कभी एक दूसरे के समांतर रखकर और एकत्रित करके एक इकाई में ऐंठ दिया जाता है1 इस प्रकार तारों को ऐंठकर तारसूत्र और तारसूत्रों को ऐंठकर केबल बनाया जाता है। जब तारों को एक दिशा में ऐंठकर तारसूत्र बनाया जाता हैं और तारसूत्रों को विपरीत दिशा में ऐंठकर केबल बनाया जाता है तब इसे नियमित ले (Lay) कहते हैं। जब तारसूत्रों को उसी दिशा में ऐंठा जाता है जिसमें उनमें लगे तार ऐंठे होते हैं तब यह लांग ले (Lang lay) रस्सा कहा जाता है। 6 X 17 नियमित ले रस्सा उसको कहते हैं जिसमें छ: ऐसे तरसूत्र हों जिनके केंद्र षड्भुज के कोणों पर हों और प्रत्येक तारसूत्र में 17 तारे हों। नियमित ले के रस्सों के कुचले जाने और विकृत होने की संभावना कम होती है क्योंकि लांग ले रस्से घिसाव रोकने में अधिक समर्थ होते हैं। प्रत्येक तार और तारसूत्र को गठित करने से पूर्व उसे अंतिम सर्पिल आकार देने के लिये पूर्वनिर्मित कर लिया जाता है ताकि तारों और तारसूत्रों की सीधा होने की स्वाभाविक प्रवृत्ति का निवारण हो जाए।

तार रज्जु
इस्पात का लचकदार रस्सा

झूला पुलों के समान महत्वपूर्ण केबल के कार्यों में केबल पर उसकी अंतिम शक्ति के आधे के बराबर पूर्वनिश्चित बोझ लटकाते हैं ताकि उसका संरचनात्क तनाव दूर हो जाय। यह भार बहुत अधिक समय तक बना रहने दिया जाता है और तब हटा दिया जाता है। ऐसी पूर्वक्रिया का पुलों के लटकते हुए केबल तथा ऊर्ध्वाधर रेडियो स्तंभों पर लगे गाई तारसूत्रों (guy strands) के स्थापन में विशेष महत्व है।

यद्यपि तारों की आपेक्षिक दृढ़ता उपयोग के अनुसार परिवर्तनशील होती है, तथापि साधारणत: यह कहा जा सकता है कि केबल में लगे तारों में कार्बन की मात्रा लगभग .06 % से .08 % होती है, जिससे उसकी चरम दृढ़ता लगभग 100 टन प्रति वर्ग इंच या इससे अधिक होती है और उनका न्यूनतम खिंचाव 8 इंच निर्दिष्ट माप की लंबाई (gauge length) पर लगभग 2 से 4 प्रतिशत होता है।

ऋतुओं के द्वारा प्रभावित होनेवाले केबलों की रक्षा बहुधा जस्ते की कलई चढ़ाकर की जाती है। कलई करने के लिये तारों को हलके अम्ल में डालकर सफाई की जाती है। तब इसे पिघले हुए शुद्ध जस्ते में (जस्ता 99.75) प्रतिशत शुद्धता का जिसमें लोहे की मात्रा 0.03 प्रतिशत से अधिक न हो डालते हैं, इससे इस पर जस्ते की परत चढ़ जाती है। जो इस्पात के संक्षारण को रोकती है। जस्ते की तह का चिपकना जस्ते और इस्पात के सीधे रासायनिक संयोग पर निर्भर है।

बाहरी कड़ियाँ

Tags:

इस्पातगाई तार

🔥 Trending searches on Wiki हिन्दी:

भारत के चार धामभारतीय रिज़र्व बैंकबुध (ग्रह)गुर्जरकिशनगंज लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रयश दयालसंधि (व्याकरण)काव्यशास्त्रचमारइज़राइलरश्मिका मंदानास्वर वर्णबाबरआईसीसी विश्व ट्वेन्टी २०विधान सभापुस्तकालयतुलनात्मक राजनीतिसोनाबाल वीरगणितसोवियत संघ का विघटनकाभाषासाथ निभाना साथियापृथ्वी की आतंरिक संरचनादयानन्द सरस्वतीआज़ाद हिन्द फ़ौजरस निष्पत्तिबर्बरीकआरती सिंहगुकेश डीआत्महत्या के तरीकेभारतीय मसालों की सूचीफलों की सूचीभारत में इस्लामनीति आयोगजयपुररबीन्द्रनाथ ठाकुरलोकतंत्रभारत के घोटालों की सूची (वर्ष के अनुसार)ईस्ट इण्डिया कम्पनीभागवत पुराणगुट निरपेक्ष आंदोलनभारत के राजनीतिक दलों की सूचीपृथ्वीआतंकवादतेरे नाममनुस्मृतिओशोअधिगमसूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'रायबरेली लोक सभा निर्वाचन क्षेत्रभाषाविज्ञानहनुमानभारत का इतिहासभारत की पंचवर्षीय योजनाएँमानव मस्तिष्ककालभैरवाष्टकएचडीएफसी बैंकपरशुरामहिन्दी व्याकरणजौनपुरराजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियमअपवाह तन्त्रकहानी (फ़िल्म)कबड्डीमहाजनपदमध्यकालीन भारतअष्टांग योगआधुनिक हिंदी पद्य का इतिहासश्वसन तंत्रपप्पू यादवभारत के मूल अधिकार, निदेशक तत्त्व और मूल कर्तव्यहिन्दी भाषा का इतिहासअखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान🡆 More