लुम्बिनी भगवान बुद्ध की जनमथली हो। अच्याल यो ठौल नेपाल का पश्चिमाञ्चल विकास क्षेत्र का लुम्बिनी अञ्चल, रूपन्देही जिल्ला मी पड़न्छ। लुम्बिनी अञ्चल महात्मा बुद्धै का नाउँ बठेइ नामकरण अरीयाऽ हो। यो क्षेत्र भारत का बिहार राज्य का उत्तरी सीमा सित जोड़ीरैछ। बौद्ध धर्मावलम्बीइन को विशेष ऐतिहासिक तीर्थ का नाउँले विश्व मी चर्तित भयाऽ हुनाले लुम्बिनी लाई युनेस्को विश्व सम्पदा क्षेत्र मी सूचीकृत अरीरैछ। याँ युनेस्को को आधिकारिक स्मारक लगायह विश्वका सप्पै बौद्ध सम्प्रदायअन (महायान, बज्रयान, थेरवाद आदि)ले अफनी संस्कृति अन्सारअ बनायाऽ मन्दिर, गुम्बा, बिहार अवस्थित छन। येइ ठौर सम्राट अशोक हताँ स्थापित अशोक स्तम्भ मी ब्राह्मी लिपिकृत प्राकृत भाषा मी बुद्ध की जनमथली भयाऽ वर्णन अरीयाऽ शिलापत्र अवस्थित छ।
लुम्बिनी गौतम बुद्धको जन्मस्थल | ||||
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स्थान : | नेपाल | |||
प्रकार : | सांस्कृतिक | |||
मापदण्ड : | iii, iv | |||
सन्दर्भ : | 666 | |||
यूनेस्को क्षेत्र : | एशिया प्रशान्त | |||
शिलालेख इतिहास | ||||
शिलालेख : | १९९७ (२१ अौं संस्करण) |
ई.पु ६२३ मी याँ का यन सुन्दर बघैँचा मी इजा मायादेवी का गर्भ बठेइ राजकुमार सिद्धार्थ गौतम को जनम भयो। उन जनमञ्ज्याँइ सात कदम हिट्याको भण्ण्या किम्वदन्ती छ। लुम्बिनी को मुख्य आकर्षण को केन्द्र भण्याको मायादेवी मन्दिर हो। येइ मन्दिर मी बुद्ध का जन्मदृश्य सहित को प्राचीन मायादेवी मूर्ति स्थापित छ। मन्दित भितरी का भग्नावशेष ई.पू. पचाउँ शताब्दी बठेइ सातौं शताब्दी तक्क का छन।
चौथी शताब्दी मी निर्मित मायादेवी मूर्ति ले बुद्ध का जनमदृश्य लाई प्रतिविम्वित अरन्छ। इजा मायादेवी ले सहारा खिलाइ दाइन हात ले रुख को हाँङो समाइराइछ। दाइन हण उनरी बैनी प्रजापति कलियाको धेकिन्छ भण्या दुई देवगणअन बुद्ध का स्वागत कि न्यूति तयारी अवस्था मी धेकीनाआन रे नवजात बुद्ध को मूर्ति बीचैनी धेकिन्छ। तसोइ अरीबर मायादेवी मन्दिर प्राङ्गण मी अशोक स्तम्भ रे पवित्र खालि रैर्याआन।
ई.पू. २४९ मी सम्राट अशोक ले स्थापना अर्याऽ येइ स्तम्भ मी बुद्धका जीवन सम्बन्धी लेखीयाऽ शिलालेख छन। यो स्तम्भ ढुवाँ भठेइ बनायियाको छ। अशोक स्तम्भ का दख्खिन मी पवित्र खालि छ। मायादेवीले राजकुमार सिद्धार्थ गौतम (बुद्ध) लाई जनम दिना है पैली यिसै खालि मी नायेको रे नवजात शिशु (बुद्ध)लाई लै यिसैनी प्रथम स्नान अराइबर शुद्ध अरायाको भण्णया जनविश्वास छ। सन् १९९७ बठेइ लुम्बिनी विश्व सम्पदा सूचीमा सूचीकृत छ।
मन्दिर प्राङ्गण मी यक बोधीवृक्ष लै रैरैछ। लै वृक्ष का शेल मायादेवीले बुद्धलाई जमन दियाको भण्णेइ भुँणाइ छ। लुम्बिनी औन्या पर्यटकअन तै पवित्र वृक्षका पात लै लैजनाआन।
यो क्षेत्र बौद्धमार्गीइन को मात्तरी नहोइ बर शान्तिप्रेमी स्वदेशी रे विदेशी पर्यटकअन का मन मी बसीरैछ। बौद्ध धर्मावलम्बीइन को धार्मिक केन्द्र मात्तरी नाइ हो, लुम्बिनी बौद्ध दर्शन को अध्ययन रे अनुसन्धान अद्याअन खिलाई लै महत्वपूर्ण ठौर हो। शान्त वातावरण, फूलैफूल का बघैचा, विभिन्न किसिम का चणा का सङ्ङै चारै अण रयाका नेपाली रे विदेशी कला संस्कृति धेकौन्या विहार, चैत्य, गुम्बा पर्यटकअन का आकर्षणका केन्द्र हुन। याँ करीब २५० प्रजाति चणा पाइनान जै मी दुर्लभ सारस लै पड़न्छ। याँ को जैविक विविधता रे मनोरम प्राकृतिक दृश्य का सङ्ङै चणा अबलोकन लै अर्खो अाकर्षण हो। याँ बर्षेनी विश्वभरी का लाखौं तीर्थालू, पर्यटक तथा अध्येता याँ औनाआन।
याँ बौद्ध धर्मावलम्बीइन खिलाइ ध्यान केन्द्रअन भया लै मायादेवी मन्दिर परिसरका फूलैफूल का बघैंचा का शान्त वातावरण मी ध्यान अद्दाअान। तसोइ अरीबर मन्दिर का बाइब बटा उत्तर तिर शान्तिदीप छ जो २४सै घण्टा बलिरन्छ। अद्भुत माणीन्या यो दीप पानी पणञ्जाँ लै निमानैन। दीपै सित रयाका नहर मी लुम्बिनी औन्या पर्यटकअन नाउ चणीबर रमाइको अद्दाआन। लुम्बिनी गुरुयोजना अन्तर्गत लुम्बिनीलाई रुबस बनौनाकि न्यूति करीब १ किलोमिटर टणा सम्म बनायिया नहर मी नाउ चलन्छे।
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