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पंक्तियों की रचना, जिनके द्वारा किसी प्रकार का कथोकथन किया जाता है, श्लोक कहलाता है। श्लोक प्रायः छंद के रूप में होते हैं अर्थात् इनमें गति, यति और लय होती... |
रत्नकरण्ड श्रावकाचार (अनुभाग प्रसिद्ध श्लोक) दर्शनाधिकार - 41 श्लोक 2) ज्ञानधिकार - 5 श्लोक 3) चारित्राधिकार - 44 श्लोक 4) शिक्षाव्रताधिकार - 31 श्लोक 5) सल्लेखनाप्रतिमाधिकार - 29 श्लोक पंडित सदासुखदासजी... |
13 श्लोकों में भर दी हैं। गणितपाद में 33 श्लोक हैं, जिनमें आर्यभट ने अंकगणित, बीजगणित और रेखागणित संबंधी कुछ सूत्रों का समावेश किया है। पहले श्लोक में... |
जिसमें नवाचार और विशिष्ट गैर सरकारी संगठनों तक पहुंचने के प्रयास हैं। श्लोक मेहता भी 2014 के बाद से कंपनी के निदेशक के रूप में अपने पिता की कंपनी की... |
पद्म पुराण (अनुभाग श्लोक-संख्या) संस्करण में श्लोक संख्या 55000 से बहुत कम थी। हालाँकि वेंकटेश्वर प्रेस के संस्करण के श्लोकों को गिना नहीं गया था और अनुमान से ही उसे 55000 श्लोकों वाला मान... |
युक्तिभाषा में इनकी उपपत्ति भी दी गयी है। श्रेणी-१ पहली श्रेणी निम्नलिखित श्लोक में वर्णित है- व्यासाच्चतुर्घ्नाद् बहुशः पृथक्स्थात् त्रिपञ्चसप्ताद्ययुगाह्र्̥... |
गोलाध्याय है जिसमें 11 श्लोक तक पाटीगणित या अंकगणित के प्रश्न हैं। इसके आगे के तीन श्लोक भूगोल के प्रश्न हैं और शेष 43 श्लोकों में अहर्गण और ग्रहों की... |
धिकोटिदाकरण -१०३९ में रचित ; २० श्लोकों से युक्त ; सूर्यग्रहण तथा चन्द्रग्रहण से सम्बन्धित हैं। ध्रुवमानस - १०५६ में रचित ; १०५ श्लोक ; ग्रहों के रेखांश (longitudes)... |
गीता अध्याय 8 के दो श्लोकों (गीता अध्याय 8 श्लोक 5, 7) में तो गीता ज्ञान दाता ने अपनी भक्ति करने को कहा है तथा गीता अध्याय 8 के ही श्लोक 8, 9, 10 में गीता... |
पुराण (अनुभाग श्लोक संख्या) इसमें कुल ६४१ अध्याय और ४८,००० श्लोक हैं। मत्स्यपुराण के अनुसार इसमें ५५,००० और ब्रह्मपुराण के अनुसार इसमें ५९,००० श्लोक थे। इसमें कुल खण़्ड हैं—(क) सृष्टिखण्ड :... |
स्मृतियों से लिये गये श्लोकों का संग्रह माना जाता है। इसका रचनाकाल भी काफी अर्वाचीन होगा क्योंकि इस स्मृति के १७-२२ श्लोक तथा ३०-३१ श्लोक विष्णु के हैं, ऐसा... |
हिन्दू ब्रह्माण्डीय समय चक्र सूर्य सिद्धांत के पहले अध्याय के श्लोक 11–23 में आते हैं।: (श्लोक 11) - वह जो कि श्वास (प्राण) से आरम्भ होता है, यथार्थ कहलाता... |
बनायी, जिसके तीस लाख श्लोक देवलोक में, पन्द्रह लाख पितृलोक में तथा चौदह लाख श्लोक गन्धर्वलोक में समादृत हुए। मनुष्यलोक में एक लाख श्लोकों का आद्य भारत प्रतिष्ठित... |
साधुर्नामवधिर्महेश्वरकृती दैवज्ञचूडामणि॥ (गोलाध्याये प्रश्नाध्यायः, श्लोक ६१) इस श्लोक के अनुसार भास्कराचार्य शांडिल्य गोत्र के भट्ट ब्राह्मण थे और सह्याद्रि... |
मिथिला-माहात्म्यम् (सटीक), पूर्ववत्, श्लोक संख्या-63, पृ०-11. वृहद्विष्णुपुराणीय मिथिला-माहात्म्यम् (सटीक), पूर्ववत्, श्लोक संख्या-37, पृ०-7. वृहद्विष्णुपुराणीय... |
शान्ति निकेतन से प्रकाशित हुआ है। इसमें 8 अध्याय हैं तथा 5382 श्लोक हैं परन्तु 3972 श्लोक ही उपलब्ध हैं। यह कहना अति कठिन है कि इन सभी ग्रन्थों के रचयिता... |
कटपयादि (= क ट प य आदि) संख्याओं को शब्द या श्लोक के रूप में आसानी से याद रखने की प्राचीन भारतीय पद्धति है। चूंकि भारत में वैज्ञानिक/तकनीकी/खगोलीय ग्रंथ... |
पर्व के केवल तीन श्लोक आचार्य जिनसेन की रचना हैं और अन्तिम पर्व (1620 श्लोक) गुणभद्र की कृति है। इस प्रकार आदि पुराण के 10,380 श्लोकों के कर्ता जिनसेन... |
आसानी के साथ प्रयोग किया है। गीता के श्लोक अनुष्टुप छन्द में हैं। आदि कवि वाल्मिकी द्वारा उच्चारित प्रथम श्लोक (मा निषाद प्रतिष्ठा) भी अनुष्टुप छन्द... |
सिद्धांत प्रसिद्ध भारतीत गणितज्ञ आर्यभट्ट की लिखि पुस्तक थी। आज इसके मात्र 180 श्लोक ही उपलब्ध हैं। अपनी वृद्धावस्था में आर्यभट्ट ने आर्यभट्ट सिद्धांत के नाम... |