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आमाशय की दीवारें, अंदर से बाहर, निम्नलिखित परतों से बनी होती हैं: आमाशय की उपकला गहरे गड्ढ़े तैयार करती हैं। इन स्थानों पर ग्रंथियों के नाम संगत पेट के... |
उदर (अनुभाग इन्हें भी देखें) शरीर के अन्दर उदर गुहा कहलाने वाली एक शारीरिक गुहा स्थित होती है, जिसमें आमाशय (पेट), यकृत, पित्ताशय, तिल्ली, अग्न्याशय, आन्त्र (क्षुद्रान्त्र और बृहदान्त्र... |
एसिडिटी (रोग) (अनुभाग इन्हें भी देखें) विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है... |
मानव का पाचक तंत्र (अनुभाग आमाशय में) और ग्रास जठरद्वार द्वारा आमाशय में प्रवेश करता है। आमाशय में तीन प्रकार की प्रकिण्व पाई जाती है। पेप्सिन रेनिन लाइपेज आमाशय में पाचन की क्रिया जठररस Archived... |
पित्ताशय का कर्कट रोग (श्रेणी पेट व आँत का कर्कट रोग) लगाने से पांडुरोग घट सकता है और आमाशय में नली लगाने से उल्टी आना कम हो सकता है। शल्यक्रिया के साथ कीमोथेरेपी व विकिरण का भी इस्तेमाल हो सकता है। यदि पथरी... |
उदर गुहा (अनुभाग इन्हें भी देखें) स्थित होती है। उदर गुहा में कई महत्वपूर्ण अंग स्थित होते हैं, जिनमें आमाशय (पेट), यकृत, पित्ताशय (गॉलब्लैडर), तिल्ली, अग्न्याशय (पैनक्रिया), आँते (क्षुद्रांत्र... |
द्वारा पहुँचाना आवश्यक है। वमन तथा पेट फूलना रोकने के लिए रबर की लंबी नली, जैसे राइल्स ट्यूब, नाक या मुँह द्वारा आमाशय के भीतर पहुंचा दी जाती है तथा इसमें... |
विष (अनुभाग इन्हें भी देखें) देने की स्थिति में हो, उसके शरीर में अतिरिक्त विष हो और आमाशय नलिकाओं का अभाव हो, या रोगी आमाशय नलिकाओं का उपयोग कर सकने की स्थिति में न हो। निद्रालु या... |
चिकित्सकीय परीक्षण (अनुभाग इन्हें भी देखें) जांच के लिए इसोफेगोस्कोपी, आमाशय के निचले सिरे को देखने के लिए गेस्ट्रोडियोडिनोस्कोपी पेंक्रियास और पूरे बाइल सिस्टम को देखने के लिए एआरसीपी स्कोप का प्रयोग... |
रोमंथक (अनुभाग इन्हें भी देखें) वनस्पति खाकर पहले अपने पेट के प्रथम ख़ाने में उसे नरम करते हैं और फिर जुगाली करके उसे वापस अपने मूंह में लाकर चबाते हैं। पेट के प्रथम कक्ष से मूंह में... |
निदान (अनुभाग इन्हें भी देखें) किरण छाया का विशेष पट पर दर्शन), बेरियम मील (जिससे एक्स किरण द्वारा आमाशय और आंत देख सकते हैं), कंट्रास्ट मीडियम (एक्सकिरण में पित्ताशय और गुर्दों का दर्शन)... |
सम-ऊँगली खुरदार (अनुभाग इन्हें भी देखें) परिवहन, मांस, चमड़ा और ऊन के काम आते हैं। इस कुछ के सदस्यों के आमाशय में तृतीय आमाशय या ओमेसम (omasum) कक्ष नहीं होता। संरचना की दृष्टि से ये सूअर और... |
उदर महाधमनी (श्रेणी पेट की धमनियां) डायाफ्राम तकनीकी T12 के पीछे कशेरुका स्तर पर. यह कशेरुका स्तंभ के सामने पेट के पीछे की दीवार नीचे यात्रा. यह इस प्रकार काठ कशेरुकाओं की वक्रता के बाद... |
लेपैरोस्कोपी (laparoscopy) (1912) और थोरैकोस्कोपी (thoracoscopy) (1910) की मदद से आमाशय तथा सीने की आरंभिक एंडोस्कोपिक खोज का श्रेय दिया जाता है [उद्धरण चाहिए]।... |
व्रण (अनुभाग इन्हें भी देखें) 2019. Shashti Upakrama (Sixty Procedures) in the management of Vrana (Wound) - A Review विद्रधि फोड़ा आमाशय का व्रण (पेट का जख्म या घाव)[मृत कड़ियाँ]... |
आंत (अनुभाग इन्हें भी देखें) विज्ञान में, आंत (संस्कृत : आन्त्र ) या अंतड़ी आहार नली का वह भाग है जो आमाशय से गुदा तक फैली होती है। मनुष्य और अन्य स्तनधारियों में, यह दो भागों में... |
ढोर (अनुभाग इन्हें भी देखें) आमाशय के बड़े प्रथम भाग, रूमेन (rumen) में, आ जाता है, जहाँ यह भीगकर नरम तथा मुलायम हो जाता है। जो खाना, मात्रा में अधिक होने लगता है, वह यहाँ से पेट... |
महाबृहदांत्र (अनुभाग इन्हें भी देखें) अनुसार से भी वर्गीकृत किया जा सकता है। बाहरी संकेत और लक्षण यह है - कब्ज की बहुत लंबी अवधि, पेट की सूजन, उदरीय कोमलता और उस पर खोखला गूंज, पेट दर्द, परिस्पर्शन... |
सूर्य देवता (अनुभाग इन्हें भी देखें) करने, अपने तेज से शरीर में ज्योति प्रदान करने, तथा जठराग्नि के रूप में आमाशय में अन्न को पचाने का कार्य सौंपा है।<ज्योतिष< शास्त्र में सूर्य को मस्तिष्क... |
कर्कट रोग (अनुभाग इन्हें भी देखें) प्रकार के कर्कट के बीच सम्बन्ध पाया है। सबसे प्रमुख उदाहरण है आमाशय के कर्कट और आमाशय की दीवार के हेलिकोबेक्टर पायलोरी के द्वारा जीर्ण संक्रमण के बीच... |