ज़ुहर की नमाज

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  • ज़ुहर (ज़ोहर,जुह्र) की नमाज़ (इंग्लिश: Zuhr prayer) इस्लाम की पांच अनिवार्य दैनिक प्रार्थनाओं (नमाज़ों) में दूसरी दोपहर में पढ़ी जाने वाली नमाज़ है। "निस्संदेह...
  • बजे से पहले पढ़ेंगे तो नमाज़ अवाबीन हो जाएगी। फज्र की नमाज़ ज़ुहर की नमाज़ अस्र की नमाज़ मग़रिब की नमाज़ ईशा की नमाज़ जुमा की नमाज़ जुम्मा मुबारक दज्जाल...
  • के बाद की नमाज़ नमाज़ ए चास्त - ज़ुहर की नमाज़ से पहले की नमाज़ नमाज़ ए अव्वाबीन - नमाज़ ए तहैतुल वुज़ू - वुज़ू के बाद की नमाज़ नमाज़ ए तहैतुल मस्जिद...
  • Thumbnail for नमाज़
    रकअत नमाज पढ़ी जाती है नमाज-ए-ज़ुहर (अवनतिकाल की नमाज) यह दूसरी नमाज है जो मध्याह्न सूर्य के ढलना शुरु करने के बाद पढ़ी जाती है। इस नमाज-ए-जुहर में कुल...
  • ज़ुहा (श्रेणी नमाज़)
    में फज्र और ज़ुहर दैनिक इस्लामी नमाज़ों के बीच सुबह की स्वैच्छिक नमाज़ है। विवरण: पापों को क्षमा करवाने के लिए पढ़ी जाने वाली नफिल नमाज़ है। ज़ुहा अरबी...
  • Thumbnail for जुम्मा मुबारक
    जुमुआ शब्द की उत्पत्ति उसी मूल से हुई है, जिससे जामा की उत्पत्ति हुई है, जिसका अर्थ है "लोगों का जमावड़ा।" सामाजिक अर्थों में, लोग जुहर की नमाज़ से पहले...
  • Thumbnail for अरफ़ात पहाड़
    सबसे अहम दिन माना जाता है। हज के खुत्बा (उपदेश) का दिया जाता है और ज़ुहर और अस्र की नमाज़ एक साथ पढ़ी जाती है। तीर्थयात्री पूरे दिन पहाड़ पर अपने पापों को...
  • संस्कारों में से एक है। मस्जिद अल नामिरा में , तीर्थयात्री दोपहर के समय ज़ुहर और अस्र की नमाज़ एक साथ अदा करते हैं। एक तीर्थयात्री का हज अवैध माना जाता है यदि...
  • Thumbnail for इस्लाम में अल्लाह के नाम
    बराबर पढ़ने से ज़रुरत के समय मदद मिलती है! अस-समी'ओ (सबकुछ सुनने वाला) ज़ुहर की नमाज़ के बाद किसी से बोले या बात-चीत किये बगैर अगर यह नाम 100 बार पढ़ा जाए...
  • रहे, यहां तक कि जुहर की नमाज़ पढ़ाई। इसके बाद मस्जिदे नबवी के आंगन में बैठ गए। उन्होंने गर्व और अभिमान में मुकाबले की ख़्वाहिश जाहिर की और अपने वक्ता उतारिद...
  • Thumbnail for आइशा
    ज्ञान की अल-जुहरी और उनके छात्र उर्वा इब्न अल-जुबैर जैसे शुरुआती दिग्गजों द्वारा बहुत प्रशंसा की गई थी। पूरे जीवन के दौरान वह इस्लामी महिलाओं की शिक्षा...
  • Thumbnail for मुहिबउल्लाह इलाहाबादी
    तथा नौ रजब को सुबह की नमाज़ के बाद कुरानखानी (कुरान का पाठ ) तथा जुहर की नमाज़ (मध्यान्ह) के बाद महफ़िल ए समा क़व्वाली व असिर की नमाज़ के बाद फातिहा बहादुरगंज...

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