यह पृष्ठ अन्य भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
इस विकि पर "पेट+आमाशय" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
(चबाया हुआ आहार) ग्रासनलीय अवरोधिनी के माध्यम से ग्रासनली से आमाशय में प्रवेश करता है। आमाशय प्रोटीज़ (पेप्सिन जैसे प्रोटीन-पाचक एन्ज़ाइम) और हाइड्रोक्लोरिक... |
पैप्टिक अल्सर (आमाशय तथा ग्रहणी के व्रण से अनुप्रेषित) के कारण आमाशय या आंत में होने वाले घाव के कारण होते हैं। अल्सर अधिकतर ड्यूडेनम (आंत का पहला भाग) में होता है। दूसरा सबसे आम भाग पेट है (आमाशय अल्सर)।... |
शरीर के अन्दर उदर गुहा कहलाने वाली एक शारीरिक गुहा स्थित होती है, जिसमें आमाशय (पेट), यकृत, पित्ताशय, तिल्ली, अग्न्याशय, आन्त्र (क्षुद्रान्त्र और बृहदान्त्र... |
विज्ञान के अनुसार आमाशय में पाचन क्रिया के लिए हाइड्रोक्लोरिक अम्ल तथा पेप्सिन का स्रवण होता है। सामान्य तौर पर यह अम्ल तथा पेप्सिन आमाशय में ही रहता है... |
महत्वपूर्ण है। नाभि के ठीक होने से गैस, पेट दर्द, कब्ज, अतिसार, दुर्बलता एवं आलस्य ये स्वतः ही दूर हो जाते हैं। आमाशय, अग्नाशय एवं आँतों के लिये हितकारी है।... |
स्थित होती है। उदर गुहा में कई महत्वपूर्ण अंग स्थित होते हैं, जिनमें आमाशय (पेट), यकृत, पित्ताशय (गॉलब्लैडर), तिल्ली, अग्न्याशय (पैनक्रिया), आँते (क्षुद्रांत्र... |
बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (ductless gland) है, जो उदर के ऊपरी भाग में बाईं ओर आमाशय के पीछे स्थित रहती है। इसकी आंतरिक रचना संयोजी ऊतक (connective tissue) तथा... |
मानव का पाचक तंत्र (अनुभाग आमाशय में) और ग्रास जठरद्वार द्वारा आमाशय में प्रवेश करता है। आमाशय में तीन प्रकार की प्रकिण्व पाई जाती है। पेप्सिन रेनिन लाइपेज आमाशय में पाचन की क्रिया जठररस Archived... |
कब्ज (श्रेणी पेट के रोग) सामान्य और आवूति और आमाशय व्यक्ति विशेष पर निर्भर करती है. एक सप्ताह में 3 से 12 वार माल निष्कासन की प्र्किर्या को सामान्य माना जाता है। पेट में शुल्क मल का... |
पित्ताशय का कर्कट रोग (श्रेणी पेट व आँत का कर्कट रोग) फ़ीसदी स्क्वैमस कोशिका के कर्कट होते हैं। यह कर्कट प्रायः यकृत, पित्त नली, आमाशय व लघ्वांत्राग्र में फैल जाता है। प्रारंभिक अवस्था में निदान आमतौर पर संभव... |
जानवर निगले हुए भोजन (घास, भूसा आदि) को आमाशय से पुनः अपने मुंह में लाते हैं, उसे चबाते हैं और फिर उसे वापस पेट में भेज देते हैं। स्तनधारी प्राणियों की... |
द्वारा पहुँचाना आवश्यक है। वमन तथा पेट फूलना रोकने के लिए रबर की लंबी नली, जैसे राइल्स ट्यूब, नाक या मुँह द्वारा आमाशय के भीतर पहुंचा दी जाती है तथा इसमें... |
द्वारा पहुँचाना आवश्यक है। वमन तथा पेट फूलना रोकने के लिए रबर की लंबी नली, जैसे राइल्स ट्यूब, नाक या मुँह द्वारा आमाशय के भीतर पहुंचा दी जाती है तथा इसमें... |
(Cancer) और सूत्रणरोग (Cirrhosis) जैसे यकृत के अन्दर कुछ विकारों में तथा आमाशय, ग्रहणी, अग्न्याशय इत्यादि एवं विदर (Fissure) में बढ़ी हुई लसीका ग्रंथियों... |
देने की स्थिति में हो, उसके शरीर में अतिरिक्त विष हो और आमाशय नलिकाओं का अभाव हो, या रोगी आमाशय नलिकाओं का उपयोग कर सकने की स्थिति में न हो। निद्रालु या... |
जाता है। ऐबोमेसम (abomasum) - यह यथार्थ आमाशय भी कहलाता है। बहुत से जीववैज्ञानिक ऐबोमेसम को ही पशु का असली पेट समझते हैं क्योंकि यही एकमात्र कक्ष है जहाँ... |
परिवहन, मांस, चमड़ा और ऊन के काम आते हैं। इस कुछ के सदस्यों के आमाशय में तृतीय आमाशय या ओमेसम (omasum) कक्ष नहीं होता। संरचना की दृष्टि से ये सूअर और... |
उदर महाधमनी (श्रेणी पेट की धमनियां) डायाफ्राम तकनीकी T12 के पीछे कशेरुका स्तर पर. यह कशेरुका स्तंभ के सामने पेट के पीछे की दीवार नीचे यात्रा. यह इस प्रकार काठ कशेरुकाओं की वक्रता के बाद... |
शाखाएँ; आमाशय को उठा दिया गया है व पेरिटोनियम को हटा दिया गया है। आमाशय आदि की लसीकाएँ। आमाशय को ऊपर की ओर घुमा दिया गया है। आमाशय आदि की लसीकाएँ। आमाशय को... |
लगते हैं। जीर्ण अतिसार- जीर्ण (क्रॉनिक) अतिसार बहुत कारणों से हो सकता है। आमाशय अथवा अग्न्याशय ग्रंथि के विकास से पाचन विकृत होकर अतिसार उत्पन्न कर सकता... |