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संज्ञा के बारे में बहुत सारी जानकारी छात्रों के लिए- किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे - पशु (जाति)... |
होते हैं। संज्ञा के लिए भाषावार वाक्यात्मक नियम भिन्न होते हैं। अंग्रेज़ी में, संज्ञा को उन शब्दों के रूप में परिभाषित किया जा सकता है, जो उपपद और गुणवाचक... |
हिन्दी व्याकरण (अनुभाग संज्ञा) आदि। इस प्रकार संज्ञा के पाँच भेद हो गए, किन्तु अनेक विद्वान समुदायवाचक और द्रव्यवाचक संज्ञाओं को जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत ही मानते हैं, और यही उचित भी... |
सर्वनाम (सर्वनाम और उसके भेद से अनुप्रेषित) वाक्य में जिस शब्द का प्रयोग संज्ञा के बदले में होता है, उसे सर्वनाम कहते हैं। सर्वनाम शब्द का अर्थ है- सब का नाम। संज्ञा जहाँ केवल उसी नाम का बोध कराती... |
शब्द (शब्द और उसके भेद से अनुप्रेषित) निम्नलिखित दो भेद होते है-1.विकारी शब्द 2.अविकारी शब्द 1-विकारी शब्द के चार भेद होते है संज्ञा सर्वनाम विशेषण क्रिया अविकारी शब्द के चार भेद होते है क्रिया... |
क्रिया (व्याकरण) (क्रिया और उसके भेद से अनुप्रेषित) जैसे: लिखना, लिखवाना, लिखाया नाम धातु: संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्दों में प्रत्यय लगाकर बनती है। मिश्र धातु: संज्ञा, विशेषण तथा क्रियाविशेषण शब्दों के बाद... |
प्रगल्भा प्रसिद्ध तीनों भेद स्वीकारा है। उन्होंने मुग्धा के चार नवीन भेद किया-अज्ञात यौवना, ज्ञात यौवना, नवोढा और विश्रब्ध नवोढा। यह संज्ञा ग्रन्थकार ने अंकुरित... |
विशेषण (विशेषण और उसके भेद से अनुप्रेषित) और चार यह चार विशेषण है। जिससे क्रमानुसार किताब, मनुष्य, भाई और लड़के की संख्या का बोध हो रहा हैं। ऐसे सर्वनाम शब्द जो संज्ञा से पहले लगकर उस संज्ञा शब्द... |
विप्रलंभ के पूर्वानुराग भेद को संयोग-विप्रलंभ-विरहित पूर्वावस्था मानकर अयोग की संज्ञा देते हैं तथा शेष विप्रयोग तथा संभोग नाम से दो भेद और करते हैं। संयोग की... |
जापानी भाषा (अनुभाग संज्ञा) शब्द "व" लगाया है। संज्ञा में लिंगभेद नहीं है, परंतु मनुष्य, जानवर आदि चेतन और अचेतन वस्तुओं में कुछ भेद है। संज्ञा के रूप में कोई भेद नहीं होता परंतु बाद... |
समास (अनुभाग समास के कुल भेद) दो प्रकार से रचना होती है: (क) संज्ञा + संज्ञा/विशेषण युद्ध का क्षेत्र = युद्धक्षेत्र दान में वीर = दानवीर (ख) संज्ञा + क्रिया शरण में आगत = शरणागत स्वर्ग... |
यह अणुओं के संयोग और वियोग का खेल है। बौद्ध धर्मदर्शन में आत्मा को पुद्गल कहते हैं। यह पाँच स्कंधों- रूप, वेदना, संस्कार, संज्ञा और विज्ञान का ऐसा समूह... |
अपभ्रंश (अनुभाग अपभ्रंश और आधुनिक भारतीय भाषाएँ) से च्युत, स्खलित, भ्रष्ट अथवा विकृत शब्दों को अपभ्रंश की संज्ञा दी गई और आगे चलकर यह संज्ञा पूरी भाषा के लिए स्वीकृत हो गई। दंडी (सातवीं सदी) के कथन से... |
चित्स्वरूप में जो स्थिति उत्पन्न होती हैं उसकी संज्ञा कैवल्य है। वेदांत के अनुसार परामात्मा में आत्मा की लीनता और न्याय के अनुसार अदृष्ट के नाश होने के फलस्वरूप... |
उत्तरी और दक्षिणी दो बोलियों के रूप में यह प्रचलित है। उत्तरी बोली को "ग्वेगुइ" कहते हैं और दक्षिणी को "तोस्क"। इनके संज्ञा रूपों में किंचित् भेद है : ग्वेगुई... |
विप्रलंभ के पूर्वानुराग भेद को संयोग-विप्रलंभ-विरहित पूर्वावस्था मानकर अयोग की संज्ञा देते हैं तथा शेष विप्रयोग तथा संभोग नाम से दो भेद और करते हैं। संयोग की... |
पालि व्याकरण (अनुभाग संज्ञा) अपेक्षा मध्यकालीन भाषाओं का भेद प्रमुखता से निम्न बातों में पाया जाता है : ध्वनियों में ऋ, लृ, ऐ और इन स्वरों का अभाव, ए और ओ की ह्रस्व ध्वनियों का विकास... |
ऋग्वेद में भी प्रयुक्त हुआ है जिसे मैक्समूलर ने राजा की नहीं, बल्कि जातिवाचक संज्ञा माना है। इक्ष्वाकुओं की जाति जनपद में उत्तरी भागीरथी की घाटी में संभवत:... |
व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम शब्द की वह अवस्था जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ संबंध प्रकट होता है उसे कारक कहते हैं। संज्ञा या सर्वनाम का... |
अंगज (अलंकार) (अनुभाग भेद) अंगज सात्विक अलंकारों का एक भेद है। भरत ने अपने नाट्यशास्त्र में सर्वप्रथम इसका उल्लेख किया है। अंगज अलंकारों में नायिकाओं के उन आंगिक विकारों या क्रियाव्यापारों... |