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थे। पाणिनि के गुरु का नाम उपवर्ष पिता का नाम पणिन और माता का नाम दाक्षी था। पाणिनि जब बड़े हुए तो उन्होंने व्याकरणशास्त्र का गहरा अध्ययन किया। पाणिनि से... |
किया गया। तदनुसार इस विश्वविद्यालय का नाम ‘महर्षि पाणिनि संस्कृत विश्वविद्यालय’ के स्थान पर ‘महर्षि पाणिनि संस्कृत एवम् वैदिक विश्वविद्यालय’ हुआ। इस विश्वविद्यालय... |
भारद्वाज, कश्यप, शौनक, स्फोटायन, चाक्रवर्मण का उल्लेख पाणिनि ने किया है। अष्टाध्यायी के कर्ता पाणिनि कब हुए, इस विषय में कई मत हैं। भंडारकर और गोल्डस्टकर... |
सबसे प्रतिष्ठित ग्रन्थ है। पाणिनि के पूर्ववर्ती वैयाकरणों में यास्क, शाकटायन, शौनक, शाकल्य, स्फोटायन आदि हुये हैं। पाणिनि के परवर्ती वैयाकरणों में कात्यायन... |
को लेकर विद्वानों में मतभेद है। कुछ लोग उनका जीवनकाल पाणिनि के पूर्व मानते हैं जबकि कुछ लोग पाणिनि के पश्चात। अतः उनका जीवनकाल ७००ईसापूर्व से लेकर ५००... |
सूत्र ‘आदिरन्त्येन सहेता’(1-1-71) सूत्र द्वारा प्रत्याहार बनाने की विधि का पाणिनि ने निर्देश किया है। आदिरन्त्येन सहेता (1-1-71) : (आदिः) आदि वर्ण (अन्त्येन... |
किन्तु यास्क, पाणिनि एवं अन्य संस्कृत वैयाकरणों ने उनके विचारों का सन्दर्भ दिया है। इस बात के प्रमाण हैं कि प्राचीन जैन व्याकरण पाणिनी की अष्टाध्यायी... |
लिखे, अन्य की धारणा है कि ये विभिन्न व्यक्तियों की कृतियाँ हैं। पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी पर अपनी टीका लिखी जिसे महाभाष्य का नाम दिया (महा +भाष्य (समीक्षा... |
वैयाकरण थे। 'प्रक्रिया सर्वस्वम्' उनकी सबसे महत्वपूर्ण कृति है। यह कृति पाणिनि की सूत्रात्मक रीति से व्याख्या करती है। किन्तु उनकी 'नारायणीयम' नामक कृति... |
शास्त्र का वृहद् इतिहास है किन्तु महामुनि पाणिनि और उनके द्वारा प्रणीत अष्टाधयायी ही इसका केन्द्र बिन्दु हैं। पाणिनि ने अष्टाधयायी में 3995 सूत्रें की रचनाकर... |
पतंजलि ने पाणिनि के अष्टाध्यायी के कुछ चुने हुए सूत्रों पर भाष्य लिखी जिसे व्याकरणमहाभाष्य का नाम दिया (महा+भाष्य (समीक्षा, टिप्पणी, विवेचना, आलोचना))।... |
रचयिता। इनका काल ४०० ईपू से २०० ईपू अनुमानित है। जनश्रुति के अनुसार यह पाणिनि के अनुज थे। छन्द:सूत्र में मेरु प्रस्तार (पास्कल त्रिभुज), द्विआधारी संख्या... |
तथ्यों का समावेश है। कात्यायन (ई. पू. लगभग 300) ने पाणिनि के सूत्रों पर लगभग 4295 वार्तिक लिखे। पाणिनि की तरह उनका भी ज्ञान व्यापक था। उन्होंने लोकजीवन... |
नियमों को अत्यन्त लघु रूप देने में पाणिनि ने सफलता पायी है। शिवसूत्रों को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप... |
संस्कृतव्याकरण का सुव्यवस्थित रूप पाणिनि से आरम्भ होता है वैसे ही व्याकरणदर्शन का भी स्पष्ट रूप पाणिनि से ही आरम्भ होता है। यद्यपि पाणिनि ने अष्टाध्यायी की रचना... |
उनका एक व्याकरण ग्रन्थ मध्यसिद्धान्तकौमुदी भी है। लघुसिद्धान्तकौमुदी में पाणिनि के अष्टाध्यायी के सूत्रों को एक नए क्रम में रखा गया है ताकि एक विषय से सम्बन्धित... |
विशेष प्रकार की साहित्यिक विधा का सूचक भी है। जैसे पतंजलि का योगसूत्र और पाणिनि का अष्टाध्यायी आदि। सूत्र साहित्य में छोटे-छोटे किन्तु सारगर्भित वाक्य होते... |
सातत्वों या अधिक उचित रूप से कहें तो जिन यादवों की वे एक शाखा थे, उनका उल्लेख पाणिनि ने किया था। वृष्णि मेषपालकों(गडरियों) का ही वैदिक नाम है जिसमें न्यग्रोध... |
कानून में बीवी के हक और कर्तव्य जगह और वक्त के साथ अलग-अलग होते है। महर्षि पाणिनि का सूत्र है- 'पत्युन यज्ञ-संयोगे' पति शब्द से 'न' प्रत्यय के योग से स्त्रीलिंग... |
सम्बद्ध नाम है। प्राय: 'वररुचि' को 'कात्यायन' के साथ जोड़कर देखा जाता है जो पाणिनि के अष्टाध्यायी के सूत्रों के वार्तिककार हैं। वररुचि कात्यायन कात्यायन... |