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सांस्कृतिक इतिहास में भक्ति आन्दोलन एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इस काल में सामाजिक-धार्मिक सुधारकों द्वारा समाज में विभिन्न तरह से भगवान की भक्ति का प्रचार-प्रसार... |
व्यास ने पूजा में अनुराग को भक्ति कहा है। भारतीय धार्मिक साहित्य में भक्ति का उदय वैदिक काल से ही दिखाई पड़ता है। भक्ति क्यों करनी चाहिए इसके लिए हम... |
विशेषता को भक्ति आन्दोलन के रूप में पहचाना जा सकता है। साहित्य के क्षेत्र में यह भक्ति काव्य के विराट रस स्रोत के रूप में प्रकट हुआ। भक्ति काल में अधिक... |
हिन्दू धर्म में भक्ति योग से आशय अपने इष्ट देवता में अनुराग रख कर आन्तरिक विकास करने से है। भजन कीर्तन व सत्संग करना। इसे 'भक्ति मार्ग' भी कहते हैं। यह... |
में भक्ति आंदोलन के रूप में ऐसा भारतव्यापी विशाल सांस्कृतिक आंदोलन उठा जिसने समाज में उत्कर्षविधायक सामाजिक और वैयक्तिक मूल्यों की प्रतिष्ठा की। भक्ति आंदोलन... |
रामानुज (अनुभाग भक्ति से तात्पर्य) बल्कि भक्ति के द्वारा ब्रह्म को प्राप्त करके जीवन मृत्य के बंधन से छूटना यही मोक्ष है आदि शंकराचार्य मध्वाचार्य जगद्गुरु सुदर्शनाचार्य भक्ति आन्दोलन समता... |
रामानन्द (अनुभाग भक्ति-यात्रा) भक्ति आन्दोलन के महान सन्त थे। उन्होंने रामभक्ति की धारा को समाज के प्रत्येक वर्ग तक पहुंचाया। वे पहले ऐसे आचार्य हुए जिन्होंने उत्तर भारत में भक्ति का... |
के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित किया, यह कहते हुए कि यह धर्म है। भक्ति भक्ति आन्दोलन दसम ग्रंथ जपजी साहिब कुशवंत सिंह. "Amar Das, Guru (1479-1574)". एन्साइक्लोपीडिया... |
पीपाजी (१४वीं-१५वीं शताब्दी) गागरोन के शाक्त राजा एवं सन्त कवि थे। वे भक्ति आंदोलन के प्रमुख संतों में से एक थे। गुरु ग्रंथ साहिब के अलावा २७ पद, १५४ साखियां... |
शिवकुमार मिश्र, भक्ति-आन्दोलन और भक्ति-काव्य, लोकभारती प्रकाशन, इलाहाबाद, संस्करण-2012, पृष्ठ-55 एवं 66. डॉ॰ शिवकुमार मिश्र, भक्ति-आन्दोलन और भक्ति-काव्य, लोकभारती... |
आलवार सन्त (श्रेणी भक्ति काल) के तुल्य माना जाता है। आलवार सन्त भक्ति आन्दोलन के जन्मदाता माने जाते हैं। विष्णु या नारायण की उपासना करनेवाले भक्त 'आलवार' कहलाते हैं। इनकी संख्या 12... |
हिन्दू धर्म में ईश्वर या देवता की भक्ति के लिये उनके नामों को भांति-भांति रूप में उच्चारना कीर्तन कहलाता है। यह भक्ति के अनेक मार्गों में से एक है। अन्य... |
भक्ति आंदोलन के कई प्रमुख विचारक ब्राह्मण थे, एक ऐसा आंदोलन जिसने एक व्यक्ति के व्यक्तिगत भगवान के साथ सीधे संबंध को प्रोत्साहित किया। भक्ति आंदोलन को... |
मध्वाचार्य (श्रेणी भक्ति आन्दोलन) ( = मध्व + आचार्य ; तुलु : ಶ್ರೀ ಮಧ್ವಾಚಾರ್ಯರು) (1238-1317) भारत में भक्ति आन्दोलन के समय के सबसे महत्वपूर्ण दार्शनिकों में से एक थे। वे पूर्णप्रज्ञ व... |
स्वामी हरिदास (श्रेणी भक्ति आन्दोलन) (1480-1575) भक्त कवि, शास्त्रीय संगीतकार तथा कृष्णोपासक सखी संप्रदाय के प्रवर्तक थे। इन्हें ललिता सखी का अवतार माना जाता है। वे वैष्णव भक्त थे तथा उच्च... |
विज्ञान आंदोलन का प्रमुख सिद्धांत ज्ञान भक्ति है जिसका अर्थ है कि सिमरंधर स्वामी और उनके वार्ताकार दादा भगवान को भक्ति समर्पण (मुक्ति) समर्पण का ज्ञान प्राप्त... |
जाति पहला महान् कवि कहा गया है। सामाजिक-परिवर्तन के आन्दोलन में चोखामेला पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति-काल के दौर में सामाजिक-गैर बराबरी को लोगों के सामने... |
संत तुकाराम (श्रेणी भक्ति आंदोलन) जाता है सत्रहवीं शताब्दी एक महान संत कवि थे जो भारत में लंबे समय तक चले भक्ति आंदोलन के एक प्रमुख स्तंभ थे । तुकाराम का जन्म पुणे जिले के अंतर्गत देहू नामक... |
गंगासती (श्रेणी भक्ति आन्दोलन) गंगासती भारत की मध्यकालीन भक्ति परंपरा की संत कवयित्री थीं जिन्होंने गुजराती भाषा में कई भक्ति गीतों की रचना की। उनके जीवन के बारे में कोई प्रामाणिक जानकारी... |
भद्राचलम् रामदासु (श्रेणी भक्त कवि) के नाम से प्रसिद्ध हैं । उन्होंने दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत और भक्ति आन्दोलन के संत त्यागराज जैसे बाद के संगीतकारों को प्रभावित किया। उनके गीत भद्राचलम... |