यह पृष्ठ अन्य भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
इस विकि पर "नक्षत्र+सन्दर्भ" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै। विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार... |
अश्विनी (अश्विनी नक्षत्र से अनुप्रेषित) अभिजित नक्षत्र का नाम देकर 28 नक्षत्र भी कहीं कहीं ज्योतिष शास्त्र में प्रयुक्त होने लगे। सतपथ ब्राह्मण में भी नक्षत्रों को समस्त देवताओं का घर नक्षत्र लोक... |
(किन्ही स्थिर नक्षत्रों का सन्दर्भ लेकर)। इसलिए, इसी अवधि में सूर्य भी किसी बिन्दु से चलकर उसी बिन्दु पर लौट आता है (स्थिर नक्षत्रों का सन्दर्भ लेते हुए)।... |
मृगशिरा (श्रेणी नक्षत्र) या मृगशीर्ष एक नक्षत्र है। वैदिक ज्योतिष में मूल रूप से 27 नक्षत्रों का जिक्र किया गया है। नक्षत्रों के गणना क्रम में मृगशिरा नक्षत्र का स्थान पांचवां... |
हिन्दू पंचांग (अनुभाग नक्षत्र) किया गया है, प्रत्येक भाग को नक्षत्र कहा गया है। दूसरे शब्दों में चन्द्रमा के पथ पर तारामंडल का १३ अंश २०' का एक भाग नक्षत्र है। हर भाग को उसके तारों को... |
भरणी (श्रेणी नक्षत्र) यह एक नक्षत्र है। नक्षत्रों की कड़ी में भरणी को द्वितीय नक्षत्र माना जाता है। इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है। जो व्यक्ति भरणी नक्षत्र में जन्म... |
अश्लेषा (श्रेणी नक्षत्र) आश्लेषा नक्षत्र में जन्मा जातक प्रत्येक कार्य में सफल होता है। आश्लेषा नक्षत्र नौवाँ नक्षत्र है। यह कर्क राशि के अंतर्गत आता है। इसके चरणानुसार नाम डी... |
धनिष्ठा (श्रेणी नक्षत्र) धनिष्ठा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्मा जातक गू, गे नाम से जाना जा सकता है। मंगल इस नक्षत्र का स्वामी है, वहीं राशि स्वामी शनि है। मंगल का नक्षत्र होने... |
53 एरियेटिस (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) 53 एरियेटिस (संक्षिप्त रूप में 53 एरी ) मेष राशि के उत्तरी नक्षत्र में एक परिवर्तनशील तारा है। 53 एरियेटिस फ्लेमस्टीड पदनाम है; इसमें परिवर्तनशील तारा... |
ज्योतिष (श्रेणी सभी लेख जिन्हें अतिरिक्त संदर्भ की आवश्यकता है) हिंदुओं को नक्षत्र अयन आदि का ज्ञान था और वे यज्ञों के लिये पत्रा बनाते थे। शारद वर्ष के प्रथम मास का नाम अग्रहायण था जिसकी पूर्णिमा मृगशिरा नक्षत्र में पड़ती... |
कृत्तिका तारागुच्छ (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) उच्चारित करते हैं। कृत्तिका को भारतीय सभ्यता में एक नक्षत्र का दर्जा मिला हुआ है, जिसका नाम कृत्तिका नक्षत्र ही है। यह युद्ध के देवता "स्कन्द" से सम्बंधित है... |
ऋभु (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) देवताओं ने इसमें हस्तक्षेप किया और ऋभवों को अमर बना दिया। ऋभवों को ऋषि, नक्षत्र, या सूर्य की किरणों के रूप में माना गया है। [ Charles Russell Coulter;... |
तीन द्रेष्काण और उनके स्वामी सूर्य,गुरु, और मंगल, हैं। इसके अन्तर्गत मघा नक्षत्र के चारों चरण,पूर्वाफ़ाल्गुनी के चारों चरण, और उत्तराफ़ाल्गुनी का पहला चरण... |
पाराशर को माना जाता है। पराशर मुनि द्वारा बनाई गयी विंशोत्तरी विधि चन्द्र नक्षत्र पर आधारित है। इस विधि से की गई भविष्यवाणी कामोवेश सटीक मानी जाती है, इसलिए... |
अल्पकाल मे तथा मंद गतिवाले अधिक काल मे 27 नक्षत्र का भोग करते है । - अश्विनी नक्षत्र सें भ्रमण करते हुये रेवती नक्षत्र तक ग्रहो का भगण पुरा होता है । - पुर्वाभिमुख... |
था। भगवान पुष्पदन्त जी का जन्म काकांदी नगर में कृष्ण पक्ष की पंचमी को मूल नक्षत्र में हुआ था। बेहद कम आयु में ही इन्हें ज्ञान की प्राप्ति हो चुकी थी। ... |
फलित ज्योतिष (अनुभाग नक्षत्र) राशियों के 27 विभाग किए गए हैं, जिन्हें नक्षत्र कहते हैं। ये हैं अश्विनी, भरणी आदि। फल के विचार के लिये चंद्रमा के नक्षत्र का विशेष उपयोग किया जाता है। ज्योतिषशास्त्र... |
की तीसरी राशि है राशि का प्रतीक युवा दंपति है यह दूरी सभा वाली राशि है नक्षत्र के तीसरे चरण के मालिक मंगल शुक्र है मंगल और शुक्र माया है जातक के अंदर... |
आदि ग्रथों में नक्षत्र, चान्द्रमास, सौरमास, मल मास, ऋतु परिवर्तन, उत्तरायन, दक्षिणायन, आकाशचक्र, सूर्य की महिमा, कल्प का माप आदि के संदर्भ में अनेक उद्धरण... |
लेकिन संपूर्ण सौर परिवार भी स्थानीय नक्षत्र प्रणाली के अंतर्गत प्रति सेकेंड 13 मील की गति से घूम रहा है। स्थानीय नक्षत्र प्रणाली आकाश गंगा के अंतर्गत प्रति... |