नई दिल्ली के हृदय कनॉट प्लेस में महाभारत कालीन श्री हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। यहाँ पर उपस्थित हनुमान जी स्वयंभू हैं। बालचन्द्र अंकित शिखर वाला यह मंदिर आस्था का महान केंद्र है। इसके साथ बने शनि मंदिर का भी प्राचीन इतिहास है। एक दक्षिण भारतीय द्वारा बनवाए गए कनॉट प्लेस शनि मंदिर में दुनिया भर के दक्षिण भारतीय दर्शनों के लिए आते हैं। प्रत्येक मंगलवार एवं विशेषतः हनुमान जयंती के पावन पर्व पर यहां भजन संध्या और भंडारे लगाकर श्रद्धालुओं को प्रसाद वितरित किया जाता है। इसके साथ ही भागीरथी संस्था के तत्वाधान में संध्या का आयोजन किया जाता है, साथ ही क्षेत्र में झांकी निकाली जाती है।
हनुमान मंदिर, कनॉट प्लेस | |
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धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | बाल हनुमान |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | बाबा खड़कसिंह मार्ग, कनॉट प्लेस, नई दिल्ली |
भौगोलिक निर्देशांक | 28°37′48″N 77°12′54″E / 28.63000°N 77.21500°E 77°12′54″E / 28.63000°N 77.21500°E[1] |
वास्तु विवरण | |
शैली | हिन्दू स्थापत्यकला |
निर्माता | स्वयंभू जीर्णोद्धारक - राजा मान सिंह और जयसिंह द्वितीय, आंबेर |
स्थापित | १७२४ |
दिल्ली का ऐतिहासिक नाम इंद्रप्रस्थ शहर है, जो यमुना नदी के तट पर पांडवों द्वारा महाभारत-काल में बसाया गया था। तब पांडव इंद्रप्रस्थ पर और कौरव हस्तिनापुर पर राज्य करते थे। ये दोनों ही कुरु वंश से निकले थे। हिन्दू मान्यता के अनुसार पांडवों में द्वितीय भीम को हनुमान जी का भाई माना जाता है। दोनों ही वायु-पुत्र कहे जाते हैं। इंद्रप्रस्थ की स्थापना के समय पांडवों ने इस शहर में पांच हनुमान मंदिरों की स्थापना की थी। ये मंदिर उन्हीं पांच में से एक है।
मान्यता अनुसार प्रसिद्ध भक्तिकालीन संत तुलसीदास जी ने दिल्ली यात्रा के समय इस मंदिर में भी दर्शन किये थे। तभी उन्होंने इस स्थल पर ही हनुमान चालीसा की रचना की थी। तभी मुगल सम्राट ने उन्हें अपने दरबार में कोई चमत्कार दिखाने का निवेदन किया। तब तुलसीदास जी ने हनुमान जी की कृपा से सम्राट को संतुष्ट किया। सम्राट ने प्रसन्न होकर इस मंदिर के शिखर पर इस्लामी चंद्रमा सहित किरीट कलश समर्पित किया। इस कारण ही अनेक मुस्लिम आक्रमणों के बावजूद किसी मुस्लिम आक्रमणकारी ने इस इस्लामी चंद्रमा के मान को रखते हुए कभी भी इस मंदिर पर हमला नहीं किया।
वर्तमान इमारत आंबेर के महाराजा मान सिंह प्रथम (१५४०-१६१४) ने मुगल सम्राट अकबर के शासन काल में बनवायी थी। इसका विस्तार महाराजा जयसिंह द्वितीय (१६८८-१७४३) ने जंतर मंतर के साथ ही करवाया था। दोनों इमारतें निकट ही स्थित हैं। इसके बाद भी इमारत में समय समय पर कुछ कुछ सुधार, बदलाव आदि होते रहे। इस मंदिर का विशेष आकर्षण यहां होने वाले २४-घंटे का अटूट मंत्र जाप है। ये जाप "श्रीराम जय राम, जय जय राम॥" मंत्र का होता है और यह १ अगस्त, १९६४ से अनवरत चलता आ रहा है। बताया जाता है, कि ये विश्व का सबसे लंबा जाप है और इसकी रिकॉर्डिंग गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी अंकित है।
कनॉट प्लेस में हनुमान मंदिर के निकट स्थित एशिया के सबसे बड़े फूलों के बाजार में पिछले पंद्रह सालों से फूलों का बाजार भी लगता है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक वर्ष २००६-०७ में कुल ६४९.८४ करोड़ रुपये का निर्यात हुआ जबकि पिछले वर्ष यह २१०.९९ करोड़ रुपये का था। केवल दिल्ली से लगभग १०० करोड़ रुपये का निर्यात हुआ है।
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