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ईसापूर्व में पुष्यमित्र ने अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ का वध कर स्वयं को राजा उद्घोषित किया। उसके बाद बौद्ध उनके दुश्मन बन गए पुष्यमित्र शुंग ने । शुंग राज्य... |
वर्षों तक शासन किया था। पुष्यमित्र शुंग इस राजवंश के प्रथम शासक थे। पुराणों में पुष्यमित्र शुंग को "सेनानी" कहा गया है। शुंग उज्जैन प्रदेश के थे, जहाँ... |
सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने १८० ईसापूर्व उसकी हत्या कर दी और स्वयं राजा बन बैठा। मौर्य साम्राज्य का सदा के लिए अन्त हो गया और पुष्यमित्र शुंग वंश का शासन... |
देवभूति (श्रेणी शुंग राजवंश) द्वारा की गयी। यह शुंग राजवंश का अंतिम शासक था। शुंग राजवंश की समाप्ति हो गई। देवभूति कौत्सीपुत्र था। 185 ई. पूर्व में पुष्यमित्र शुंग ने अंतिम मौर्य शासक... |
अर यानी सबसे बडा शत्रू,, पुष्यमित्र शुंग ने महारोंका वर्णन सबसे बडा शत्रू ऐसे किया है जो क्षत्रिय होने के कारण पुष्यमित्र शुंग से महारोंने बहुत बार युद्ध... |
प्रजा ने पुष्यमित्र शुंग का साथ दिया। इसके बाद पुष्यमित्र शुंग ने स्वयं को सम्राट घोषित किया जिस नये राजवंश की स्थापना की उसे पूरे देश में शुंग साम्राज्य... |
ईसा पूर्व एवं कीथ ने उनका समय 140 से 150 ईसा पूर्व माना है। उन्होंने पुष्यमित्र शुंग का अश्वमेघ यज्ञ भी सम्पन्न कराया था। इनका जन्म गोनार्ध (गोंडा,उ०प्र०)... |
बौद्ध स्तूप के भग्नावशेष प्राप्त हुए हैं जिसका निर्माण सम्राट अशोक या पुष्यमित्र शुंग के काल में हुआ था। अलेक्जैंडर कनिंघम ने सर्वप्रथम 1873 ई. में इस स्थल... |
कृति है। इस अपूर्ण उपन्यास का प्रकाशन प्रसाद जी के निधन के बाद हुआ। पुष्यमित्र शुंग के काल की कथावस्तु को आधार बनाकर प्रसाद जी ने इस उपन्यास में पाप-पुण्य... |
विघटन होने लगा। अन्तिम मौर्य सम्राट बृहद्रथ की हत्या उसके सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने कर दी। इससे मौर्य साम्राज्य समाप्त हो गया। अयोग्य एवं निर्बल उत्तराधिकारी... |
असंदिग्ध रूप में ज्ञात है। पुष्यमित्र शुंग के शासनकाल में पतंजलि वर्तमान थे। महाभाष्य के निश्चित साक्ष्य के आधार पर विजयोपरांत पुष्यमित्र के श्रौत (अश्वमेध यज्ञ)... |
ताम्र पत्रों से यह जानकारी मिलती है कि अश्वमेध यज्ञ के पश्चात् राजा पुष्यमित्र शुंग ने नरसिंह शरमन् नाम के ब्राह्मण को अग्रहार स्वरूप यह गाँव देकर यहाँ... |
अभिलेखों में से एक है। अभिलेख क्षतिग्रस्त अवस्था में है। इसमें सेनापति पुष्यमित्र शुंग और उसके उत्तराधिकारी 'धन-' का उल्लेख है। उसके द्वारा अश्वमेध यज्ञ करने... |
फलफुलने लगा था। पुष्यमित्र शुंग के विषय में धारणा है कि वह बौद्ध धर्म का विरोधी था। लेकिन यह सत्य प्रतीत नहीं होता हैं, पुष्यमित्र शुंग के बारे में बौद्ध... |
कर्म त्यागकर सैनिक वृति को अपना लिया था। पुष्यमित्र अन्तिम मौर्य शासक वृहद्रथ का प्रधान सेनापति था। पुष्यमित्र शुंग के पश्चात इस वंश में नौ शासक और हुए जिनके... |
साँची का स्तूप (अनुभाग शुंग काल) में तोड़फोड़ की गई थी। यह घटना शुंग सम्राट पुष्यमित्र शुंग के उत्थान से जोड़कर देखी जाती है। यह माना जाता है कि पुष्यमित्र ने इस स्तूप का ध्वंस किया होगा... |
अग्निमित्र (श्रेणी शुंग राजवंश) अग्निमित्र (149-141 ईपू) शुंग वंश के द्वितीय सम्राट थे जो १४९ ईसापूर्व सिंहासन पर बैठे। मालविकाग्निमित्रम् में कालिदास ने इसको अपने नाटक का पात्र बनाया... |
कुमारावस्था में रह चुका था। उसी जनपद में विदिशा में शुंगों की भी एक राजधानी थी जहाँ सेनापति पुष्यमित्र शुंग का पुत्र राजा अग्निमित्र शासन करता था। जब मालव... |
(बृहस्पतिमित्र) मानकर उसे पुष्यमित्र शुंग का पर्यायवाची प्रतिपादित किया है और यह माना है कि कलिंगराज खारवेल ने शुंगवंशी पुष्यमित्र पर आक्रमण कर उसे परास्त... |
कतिपय कथाओं का अनुवाद चीनी भाषा में तृतीय शतक में किया गया था। शुंग वंश के राजा पुष्यमित्र (178 ई.पू.) तक का उल्लेख यहाँ उपलब्ध होता है। फलत: इसके कतिपय... |