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उसके अनुसार 'रसात्मक वाक्य ही काव्य है'। रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार की काव्य की आत्मा है। काव्यप्रकाश में काव्य तीन प्रकार के कहे गए हैं, ध्वनि... |
शैली के अनुसार काव्य के भेद स्वरूप के आधार पर काव्य के दो भेद हैं - श्रव्यकाव्य दृष्यकाव्य। श्रव्य काव्य- जिस काव्य का रसास्वादन दूसरे से सुनकर या स्वयं... |
अधूरा है। आपकी सहायता का स्वागत है! काव्य का तात्पर्य कवि-कर्म तथा हेतु का अर्थ है कारण।काव्य-हेतु अर्थात काव्य की रचना करने वाले कवि में ऐसी कौन सी... |
खण्डकाव्य साहित्य में प्रबंध काव्य का एक रूप है। जीवन की किसी घटना विशेष को लेकर लिखा गया काव्य खण्डकाव्य है। "खण्ड काव्य' शब्द से ही स्पष्ट होता है कि... |
प्रधान काव्य है। इस ग्रन्थ की रचना का उद्देश्य ही उपेक्षिता यशोधरा के चरित्र को उभारना है। काव्य के नामकरण से ही सिद्ध हो जाता है कि यशोधरा ही इस काव्य की... |
काव्यशास्त्र (काव्य लक्षण से अनुप्रेषित) विद्या" नामकरण काव्य की भारतीय कल्पना के ऊपर आश्रित है, परन्तु ये नामकरण प्रसिद्ध नहीं हो सके। युगानुरूप परिस्थितियों के अनुसार काव्य और साहित्य का कथ्य... |
मुक्तक (मुक्तक काव्य से अनुप्रेषित) मुक्तक काव्यों का प्रसंग आया हुआ है। रामायण तथा महाभारत जिन्हें हम प्रबन्ध काव्य कहते है उनमें भी जनमानस तथा सभाओं में प्रयुक्त होने वाले मुक्तक काव्यों का... |
प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात। गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास... |
खंड काव्य भी माना जाता रहा है। अपने समय में 'आँसू' की इतनी प्रसिद्धि हुई थी कि इसके छन्द को ही 'आँसू छन्द' कहा जाने लगा था। 'आँसू' वेदना-प्रधान काव्य है।... |
रूप से विस्तृत नहीं है या अधूरा है। आपकी सहायता का स्वागत है! महादेवी की काव्य साधना शिवमंगल सिंह सुमन की रचना है। द • वा • ब शिवमंगल सिंह 'सुमन' की कृतियाँ... |
श्रव्य काव्य के पठन अथवा श्रवण एवं दृश्य काव्य के दर्शन तथा श्रवण में जो अलौकिक आनन्द प्राप्त होता है, वही काव्य में रस कहलाता है। रस के जिस भाव से यह... |
समृद्धियां आयीं। मौखिक परम्परा से भी काव्य सृजन हुआ। यह लोक काव्य तक ही सीमित रहा है। लिखित काव्यों में कथा काव्यों की भरमार रही है। इनमें प्रमुख कृति विष्णुदास... |
काव्य-नाट्य, नाटक और काव्य की एक मिली-जुली विधा है। इसमें काव्य और नाटक दोनों के तत्वों का समन्वय रहता है। हिंदी में इस विधा को गीति-काव्य, काव्य-नाटक... |
प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात। गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास... |
'जौहर' शब्द के अर्थ के लिये कृपया जौहर का अलग से पृष्ठ देखें। जौहर (काव्य) हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित वीर रस का चर्चित खण्डकाव्य... |
रासो काव्य हिन्दी के आदिकाल में रचित ग्रन्थ हैं। ये अधिकतर वीर-गाथाओं से सबंधित होती हैं। पृथ्वीराजरासो प्रसिद्ध हिन्दी रासो काव्य है। रास साहित्य चारण... |
प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात। गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास... |
प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात। गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास... |
प्रलय-सृजन । विश्वास बढ़ता ही गया । पर आँखें नहीं भरीं । विंध्य हिमालय । मिट्टी की बारात। गद्य कृतियाँ- महादेवी की काव्य साधना । नाटक- प्रकृति पुरुष कालिदास... |
'संत काव्य' का सामान्य अर्थ है संतों के द्वारा रचा गया, काव्य । लेकिन जब हिन्दी में 'संत काव्य' कहा जाता है तो उसका अर्थ होता है निर्गुणोपासक ज्ञानमार्गी... |