कुर्नूल भारतीय राज्य आंध्र प्रदेश का एक जिला है। कुर्नूल तुंगभद्रा और हंद्री नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित आंध्र प्रदेश का एक प्रमुख जिला है। 12वीं शताब्दी में ओड्डार जब आलमपुर का निर्माण करने के लिए पत्थरों काटते थे तो यहां आकर उनको फिनिशिंग देते थे। 1953 से 1956 तक कुर्नूल आंध्रप्रदेश राज्य की राजधानी भी रहा। इसके बाद ही हैदराबाद यहां की राजधानी बनी। आज भी यहां विजयनगर राजाओं के शाही महल के अवशेष देख्ो जा सकते हैं जो 14वीं से 16वीं शताब्दी के बीच बने हैं। पारसी और अरबी शिलालेख भी यहां देखने को मिलते हैं जिससे यहां के महत्व का पता चलता है।
कर्नूल ज़िला | |
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आंध्र प्रदेश में कर्नूल ज़िले की अवस्थिति | |
15°48′N 78°0′E / 15.800°N 78.000°E 78°0′E / 15.800°N 78.000°E | |
राज्य | आंध्र प्रदेश भारत |
मुख्यालय | कर्नूल |
क्षेत्रफल | 17,658 कि॰मी2 (6,818 वर्ग मील) |
जनसंख्या | 4046601 (2011) |
शहरी जनसंख्या | 28.26% |
साक्षरता | 61.13% |
लिंगानुपात | 984 |
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र | कर्नूल, नांदयाल |
विधानसभा सीटें | 14 |
राजमार्ग | एशियाई राजमार्ग 43, राष्ट्रीय राजमार्ग 44, राष्ट्रीय राजमार्ग 167, राष्ट्रीय राजमार्ग 18 |
आधिकारिक जालस्थल |
अशोक के शिलालेख तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में अंकित किए गए थे। शिलालेख प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में है।ये भारत में खोजे गए सबसे पुराने शिलालेखों में से हैं। यह स्थल कुरनूल जिले में आंध्र-कर्नाटक सीमा के करीब है। यह भारतीय कानूनों के तहत ASI द्वारा संरक्षित स्थल है।
यहां पर एक किला है जो एक समय में विजयनगर राजाओं का गढ़ था। इसके अवशेष आज भी ग्रेनाइट की पांच पहाडि़यों में देखे जा सकते हैं। इनमें से दो पहाडि़यां 800 फीट ऊंची हैं। आदोनी में स्थित जामा मस्जिद मुस्लिम वास्तुकला का सुंदर उदाहरण है।
यह एक प्रमुख धार्मिक केंद्र है। यह हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है विशेष रूप से वैष्णव संप्रदाय के लोगों के लिए यह स्थान बहुत महत्वपूर्ण है। यहां का मंदिर दो भागों में बंटा है- निचला अहोबिलम और ऊपरी अहोबिलम। ऊपरी अहोबिलम पठार पर समुद्र तल से 2800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
माधवरन गांव कुर्नूल का एक अन्य प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहां पर एक प्राचीन द्वार के अवशेष देखे जा सकते हैं। इसे देखकर मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया का आभास होता है।
सप्त नंदी संगम के नाम से प्रसिद्ध संगमेश्वर कुर्नूल से 55 किलोमीटर दूर है। यह भवनासी और कृष्णा नदियों का पवित्र संगम स्थल है। इस खूबसूरत स्थान पर लकड़ी के लिंगम का एक मंदिर भी है। महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों श्रद्धालु यहां शिवजी की पूजा अर्चना करने आते हैं।
श्रीसैलम नल्लामलाई पहाडि़यों पर स्थित घना जंगल है। यह दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन और पवित्र स्थलों में से एक है। सबसे प्रमुख मंदिर कृष्णा नदी के दक्षिणी तट पर ऋषभागिरी पहाड़ी पर है। अनेक पुराणों में इसे श्री गिरी, श्रीपर्वत, रुद्र पर्वत और शेशाचलम के नाम से भी पुकारा गया है।
नल्लामलाई पहाड़ी के पूर्व में स्थित यह स्थान अपनी प्राकृतिक खूबसूरती और महानंदीश्वर के मंदिर के लिए मशहूर है। इस मंदिर के आसपास अनेक मंदिर हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। फरवरी-मार्च में मंदिर में वार्षिक उत्सव मनाया जाता है।
इन स्थानों के अलावा भी कुछ और जगहें हैं जो दर्शनीय हैं जैसे अब्दुल वाहिब का मकबरा, 1618 में बना गोपाल राजू का मकबरा, पेटा अंजनेयस्वामी का मंदिर, वेणुगोपालस्वामी मंदिर और बिड़ला मंदिर आदि।
नजदीकी हवाई अड्डा हैदराबाद यहां से 219 किलोमीटर दूर है।
कुर्नूल में सिकंदराबाद-बंगलुरु रेलवे लाइन का रेलवे स्टेपशन है।
अनंतपुर, चित्तूर और हैदराबाद से यहां के लिए बस सेवा उपलब्ध्ा है।
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