गोवा, भारत के पश्चिमी तट पर एक छोटा सा राज्य है जो पहले पुर्तगाली उपनिवेश हुआ करता था। यह राज्य लगभग 3,700 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला हुआ है जिसकी कुल जनसंख्या लगभग 14 लाख है। इस प्रकार बाकी भारतीय राज्यों की तुलना में यह काफी छोटा राज्य है। यहाँ एक अलग प्रकार की संस्कृति है जिसमें भारतीय और पुर्तगाली परंपराओं का अद्वितीय मिश्रण देखने को मिलता है और यही संस्कृति और यहाँ के स्थापत्य तथा इसकी प्राकृतिक सुंदरता यहाँ के प्रमुख आकर्षण हैं जिनकी वजह से हर साल लगभग 2.5 मिलियन (25 लाख) पर्यटक (जिनमें लगभग 400,000 विदेशी पर्यटक शामिल हैं) यहाँ घूमने आते हैं।

गोवा पश्चिमी घाट की पर्वतमाला, इसपर पाए जाने वाले सुंदर झरनों (दूधसागर, अंबोली, मंगेली और दूधमार्ग इत्यादि) और सुंदर समुद्र तटीय मैदानों और बीच से सुसज्जित है। 1960 के दशक के बाद से यहाँ आने वाले पर्यटकों की संख्या में सतत रूप से बढ़त हुई है: पहले यहाँ हिप्पी लोग आना शुरू किये, उसके बाद गोवा से दूर जा बसे यहाँ के लोग आये और उसके पश्चात यहाँ चार्टर पर्यटक आने शुरू हुए (जिनमें 1987 में जर्मन सबसे पहले आना शुरू हुए)। यहाँ कैथोलिक ईसाई और हिंदू धार्मिक धार्मिक लोगों का आगमन भी शुरू हुआ, कुछ लोग यहीं आ कर रहने और बस जाने के उद्देश्य से यहाँ आये। इसके अलावा यहाँ पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों द्वारा इलाज कराने और कई प्रकार के सम्मेलनों, कॉन्फ्रेंस और फेस्टिवल में शामिल होने भी बहुत से लोग आते हैं।

क्षेत्र सम्पादन

उत्तरी गोवा (बार्देज, बिचोलिम, पर्नेम, पोंडा, सत्तारी, तिसवाडी, धारबंदोडा)
उत्तरी तालुके
दक्षिणी गोवा (कैनाकोना, मार्मुगाओ, क्वापेम, सालसेट, सैनगुएम)
दक्षिणी तालुके

बाक़ी के भारतीय राज्यों के हिसाब से देखें तो गोवा एक बहुत ही छोटा राज्य है जिसमें मात्र दो जिले हैं - उत्तरी गोवा और दक्षिणी गोवा। ये जिले इसके बाद कुल 12 तालुकों में बँटे हुए हैं। हालाँकि, इन विभाजनों का पर्यटकों और यात्रियों से कोई बहुत लेना देना नहीं है। दोनों ही जिले एक जैसे ही हैं और हरेक अपना अंदरूनी हिस्सा और समुद्र तटीय हिस्सा है। मुख्य विभाजन यहाँ के समुद्र तटीय इलाकों और अंदरूनी पश्चक्षेत्रों (हिंटरलैंड) के बीच है। जहाँ एक ओर तटीय इलाकों में औपनिवेशिक काल के पुर्तगाली प्रभाव अधिक परिलक्षित होते हैं वहीं अंदरूनी भागों में स्थानीय पुरानी संस्कृति के प्रभाव अधिक हावी दिखते हैं। तटीय इलाकों में उपनिवेशी काल के स्थापत्य हैं, चर्च हैं और कैथोलिक आबादी पर्याप्त मात्रा में है; वहीं दूसरी ओर अंदरूनी हिस्सों में पर्वत मालाएँ, घने जंगल, प्राकृतिक प्रपात, और अपेक्षाकृत अधिक हिंदू जनसंख्या तथा गाँव की संस्कृति दिखती है। इन्ही अंदर के भागों में कई खदानें भी हैं।


शहर सम्पादन

गोवा के शहर

एक ऐसे राज्य के लिए, जो लगभग "आधा शहरीकरण" होने का दावेदार हो, आश्चर्यजनक रूप से यहाँ गाँवों कि संख्या बहुत है। यहाँ तक कि "शहर" भी बहुत कुछ छोटे भीड़भरे (पंजिम के संदर्भ में दर्शनीय भी) कस्बों जैसे ही हैं। कोई भी शहर 100,000 से बहुत ज़्यादा आबादी वाला नहीं, हालाँकि कई इसके काफी नज़दीक हैं।

गाँव यहाँ के चित्ताकर्षक हैं और इनकी अपनी अलग ही दुनिया है, हालाँकि, अब पर्यटन और रियल एस्टेट के बूम ने इन्हें ख़तरे में ला दिया है और वही सबकुछ नष्ट होने के लिए दाँव पर लग गया है जिसे देखने और अनुभव करने लोग यहाँ आया करते हैं।

  • 1 पणजी — जिसे पंजिम भी कहा जाता अहि और पुर्तगाली शासन के दौरान इसे नोवा गोवा के नाम से भी जाना जाता था - गोवा की राजधानी है।
  • 2 मापुसा — उत्तरी गोवा में राजधानी पंजिम से 13 किलोमीटर की दूरी पर एक कस्बा है। यह गोवा के कुछ प्रमुख बाज़ारों में से एक है।
  • 3 मार्गो — अथवा मडगाँव यहाँ का दूसरा सबसे बड़ा शहर है और यह यहाँ की वाणिज्यिक और सांस्कृतिक राजधानी है।
  • 4 ओल्ड गोवा — सोलहवीं सदी के चर्चों, कॉन्वेंट और स्मारकों से सुसज्जित है।
  • 5 वास्को डी गामा — एक पर्याप्त आबादी वाला कस्बा है जो दक्षिण गोवा के मार्मुगोवा तालुका में है।

इसके अलावा गोवा में कई छोटे, ख़ूबसूरत और कभी कभार भीड़भरे कस्बे हैं जो बीच के किनारे वाले इलाकों में हैं (जैसे कि, कलंगूट और कैंडोलिम) या फिर अंदरूनी इलाकों में हैं (जैसे: कानाकोना, सैनवोरडेम-क्वेपेम, बिचोलिम, पेर्नेम, इत्यादि)। इनमें से कई कस्बे ऐसे हैं जो आसपास के क्षेत्रों में स्थित पर्यटक स्थलों के लिए एक तरह से प्रवेशद्वार का कार्य करते हैं। और देखें तो, गोवा में कुल साढेतीन सौ गाँव है, बहुधा ख़ूबसूरत दृश्यों वाले और हरेक का अपना एक अद्वितीय स्वरूप है।

अन्य गंतव्यस्थल सम्पादन

  • 1 गार्सा ब्रांका आयुर्वेदिक वनस्पति उद्यान, लोटोलिम—
  • 2 कराई गार्डेन, शिरोडा —
  • 3 मोल्लेम नेशनल पार्क

भगवान् महावीर सैंक्चुअरी और मोल्लेम नेशनल पार्क एक पवित्र और परा-प्राकृतिक क्षेत्र की तरह है जो पेड़-पौधों और फूलों की विविधता भरा और भांति-भांति के जानवरों, पक्षियों और तितलियों तथा सरीसृपों के लिए दर्शनीय है। यह गोवा का सबसे बड़ा संरक्षित इलाका है। यहाँ ताम्ब्डी सुरला मंदिर और ताम्ब्डी मंदिर भी भ्रमण योग्य हैं; साथ ही कई अन्य चीजें भी देखने लायक हैं।

समझें सम्पादन

1510 से 1961 तक गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश था, इसे वापस लेने के लिए भारतीय सेना भेजी गई थी। इस विलय को भारत में गोवा की मुक्ति और पुर्तगाल में गोवा पर आक्रमण के रूप में जाना जाता है।

गोवा का हृदय वास्तव में उसके गावों में ही निवास करता है। गोवा के विख्यात वास्तुकार जेरार्ड दा कुन्हा ने अन्यत्र तर्क दिया है कि, दूसरी जगहों के विपरीत, गोवावासी शहरों में नहीं रहते हैं। वे अधिकतर गांवों में रहते हैं और काम के सिलसिले में यात्रा करते हैं।

आश्चर्य की बात नहीं, यह गोवा के गांव हैं जो अपना एक ख़ास आकर्षण और विशिष्ट चरित्र दोनों रखते हैं। गोवा में जिंदगी कठिन और अपेक्षाकृत धीमी हो सकती है, लेकिन यहाँ छुट्टियाँ मनाना एक अच्छा विकल्प है। एक आरामदायक शाम या एक सुस्त सुबह में बिना किसी ख़ास लक्ष्य के घूमा जा सकता है, और ऐसी यात्रा गोवा गाँवों के आकर्षण से आश्चर्यचकित कराने वाली हो सकती है।

शहरी क्षेत्रों के विपरीत, गाँव साफ-सुथरे, मैत्रीपूर्ण और यहाँ तक कि पैसे के हिसाब से भी उचित होते हैं, सिवाय उन क्षेत्रों को छोड़कर जहाँ पहले से ही बहुत सारे पर्यटक आते हैं।

गोवा के कई अलग-अलग पहलू हैं। बिल्कुल समुद्र के किनारे का तट "आंतरिक भूभाग" से भिन्न होता है। असोलना, बेनौलीम, ब्रिटोना, कोरटालिम, कर्टोरिम, राया, गोवा वेल्हा, मोल्लेम, उस्गाओ, रीस मैगोस, सावोई वेरेम और शिरोडा जैसे कुछ गांव कुछ अधिक असामान्य चीजे प्रस्तुत कर सकते हैं, लेकिन यही सूची पूरी नहीं है। इस तरह के गांव अक्सर उन स्थानों के करीब होते हैं जहां अधिकांश पर्यटक रहते हैं, इसलिए आवास की तलाश में कोई समस्या होने की आशंका नहीं है।

पुर्तगाली शासन के कारण गोवा शेष भारत से स्पष्ट रूप से भिन्न है, जिसने इसे 451 वर्षों तक शेष भारत से अलग रखा। गोवा की आबादी हिंदुओं और रोमन कैथोलिकों का मिश्रण है, जिसका वितरण लगभग 65% हिंदू और 24% ईसाई है। वहां मुस्लिम आबादी भी कम है। सांप्रदायिक हिंसा यहाँ लगभग न के बराबर रही है और गोवा को भारत के सबसे शांतिपूर्ण राज्यों में से एक माना जाता है।

गोवा के लोगों का मुख्य आहार मछली, करी और चावल है।


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