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युग का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः कलियुग, द्वापर, सत्ययुग, त्रेतायुग आदि। युग वर्णन का अर्थ होता है कि उस युग में... |
एक युग चक्र में चार युगों (विश्व युग) का वर्णन किया गया है - सत युग, त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग - जहां, पहले युग से शुरू होकर, प्रत्येक युग की लंबाई... |
चारों युगों का स्वभाव तथा युगधर्म-वर्णन, मोक्षके साधन, ग्रह-नक्षत्रों का वर्णन, तीर्थ-महात्म्य, विष्णु-महात्म्य, वैवस्तव मन्वतरके २८ द्वापरयुगों के २८... |
— तीसरे द्वापरयुग में शुक्राचार्य द्वारा वेदों का संपादन 10.3865 — चौथे द्वापरयुग में बृहस्पति द्वारा वेदों का संपादन 9.9365 — 5वें द्वापरयुग में सूर्य... |
सतयुग+त्रेतायुग+द्वापरयुग+कलयुग 1 महायुग = कलयुग के 10 चरण 1 चरण = 1 कलयुग 1 कलयुग = 4,32,000 मानव वर्ष 1 द्वापरयुग = 2 चरण कलयुग 1 त्रेता युग = 3 चरण कलयुग... |
चार युगों का वर्णन किया गया है। हिंदू ग्रंथों में एक युगचक्र में चार युगों (विश्व युग) का वर्णन किया गया है - कृत (सत्य) युग, त्रेता युग, द्वापरयुग और... |
अवतार कृष्ण से सम्बन्धित द्वापर युग में रची रचना है। कुल 4 युग माने गए हैं-सत~युग अथवा कृत~युग, त्रेतायुग, द्वापरयुग तथा कलियुग। पुराणों में वे कथाएँ... |
स्थितप्रज्ञ एवं दैवी संपदाओं से सुसज्जित महान पुरुष थे। उनका जन्म द्वापरयुग में हुआ था। उनको इस युग के सर्वश्रेष्ठ पुरुष, युगपुरुष या युगावतार का स्थान दिया गया... |
में वर्णित गर्गाचार्यों की सूची इस प्रकार है– महर्षि आद्य गर्गाचार्य -द्वापरयुग↵द्वितीय गर्गाचार्य,तृतीय गर्गाचार्य,चतुर्थ गर्गाचार्य,पंचम गर्गाचार्य... |
बहती थी गोवर्धन का इतिहास भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं से जुड़ा हुआ है। द्वापरयुग में यह शूरसेन जनपद का हिस्सा था। यदु वंश की वृष्णि शाखा यहां शासन करती... |
के चारों खंड वेद होने पर भी कुछ लोग केवल 'संहिता' को ही वेद मानते हैं। द्वापरयुग की समाप्ति के समय श्रीकृष्णद्वैपायन वेदव्यास जी ने यज्ञानुष्ठान के उपयोग... |