यमक

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  • एक शब्द प्रयोग दो बार होता है और दोनों बार उसके अर्थ अलग-अलग होते हैं तब यमक अलंकार होता है। सजना है मुझे सजना के लिए काली घटा का घमंड घटा। ऊपर के वाक्य...
  • Thumbnail for अभंग
    होते हैं जबकि अंतिम चरण में चार अक्षर. इसके साथ ही दूसरे और तीसरे चरणों में यमक का पुट होता है। रही बात चौथा चरण की तो वह अभंग को पूर्णता प्रदान करता है-...
  • का प्रयोग हुआ है। इन छंदो का प्रभाव पाठकों पर पड़ता है। “यमक सतसई” मे विविध प्रं कार से यमक अलंकार का स्वरूप स्पष्ट किया गया हैं। इसके अन्तर्गत 715 छंद...
  • उन्होंने प्रेम और सौंदर्य के मार्मिक चित्र प्रस्तुत किए हैं। अनुप्रास और यमक के प्रति देव में प्रबल आकर्षण है। अनुप्रास द्वारा उन्होंने सुंदर ध्वनिचित्र...
  • पैदा होता है,वहाँ शब्दालंकार होता है। शब्दालंकार के अंतर्गत अनुप्रास,श्लेष,यमक तथा उसके भेद। (2)अर्थालंकार जो काव्य में अर्थगत चमत्कार होता है,वहाँ अर्थालंकार...
  • हैं। शब्दालंकारों की श्रेणी में निम्न को परिगणित किया जाता है - अनुप्रास, यमक, श्लेष, वक्रोक्ति, पुनरुक्ति प्रकाश, पुनरुक्ति वदाभास, वीप्सा आदि। २. अर्थालंकार-अर्थ...
  • Thumbnail for वासवदत्ता
    अलंकारों का भी सुबन्धु ने प्रयोग किया है। शब्दालंकारों में से अनुप्रास एवं यमक का प्रयोग किया गया है। अनुप्रास का उदाहरण दृष्टव्य है : ‘मदकलकलहंससरसरसितोदभ्रान्तम्’’...
  • करता है, वही अलंकार है।) भारतीय साहित्य में अनुप्रास, उपमा, रूपक, अनन्वय, यमक, श्लेष, उत्प्रेक्षा, संदेह, अतिशयोक्ति, वक्रोक्ति आदि प्रमुख अलंकार हैं।...
  • अलंकारों के लक्षण, भेद एवं उदाहरण प्रस्तुत किए गए हैं। तृतीय परिच्छेद में 'यमक' का सांगोपांग विवेचन है। साथ ही, चित्रकाव्य, गोमूत्रिका, अर्धभ्रम, सर्वताभेद्र...
  • विस्तार इस प्रकार है- अभिधम्मपिटक धम्मसंगणि विभंग धातुकथा पुग्गलपंञति कथावत्थु यमक पट्ठान पुस्तक:त्रिपिटक प्रवेश, पृष्ठ १४९, परिच्छेद ९, अनुवाद एवं संग्रहःवासुदेव...
  • 'अभिधम्मपिटक' में सात ग्रंथ हैं- धम्मसंगणि, विभंग, जातुकथा, पुग्गलपंंत्ति, कथावत्थु, यमक और पट्ठान। विद्वानों में इनकी रचना के काल के विषय में मतभेद है। प्रारंभिक...
  • सर्वोत्कृष्ट लोकप्रिय ग्रंथ है। इसमें बुद्ध भगवान् के नैतिक उपदेशों का संग्रह यमक, अप्पमाद, चित्त आदि 26 वग्गों (वर्गों) में वर्गीकृत 423 पालि गाथाओं में किया...
  • द्वारा निरूपति ३९ अलंकारों में से इन्होंने आशी, उत्प्रेक्षावयव, उपमारूपक और यमक इत्यादि चार अलंकारों को छोड़ दिया है तथा पुनरुक्तवदाभास, छेकानुप्रास, लाटानुप्रास...
  • Thumbnail for हरिवंश पर्व
    परिचय देते हैं। हरिवंश में उपमा, रूपक, समासोक्ति, अतिशयोक्ति, व्यतिरेक, यमक और अनुप्रास ही प्राय: मिलते हैं। ये सभी अलंकार पौराणिक कवि के द्वारा प्रयासपूर्वक...
  • भी ज्ञान कराती है। जैसे–गाय दूध देती है। मोहन पढ़ता है। 1 जब किसी पद में ‘यमक’ अलंकार की प्राप्ति होती है तो वहाँ प्राय: अभिधा शब्द शक्ति होती है। 2 कभी–कभी...
  • काव्यलक्षण, रीति, भाषाभेद, वक्रोक्ति आदि तीन शब्दालंकार, तृतीय चतुर्थ में क्रमश: यमक और श्लेष, पाँचवें में चित्रकाव्य, छठे में शब्ददोष एवं उनका परिहार, सात से...
  • पीछे छोड़ दिया - सरस चित्रकाव्य , विलोम काव्य ," श्रीरामकृष्णकाव्य  " , यमक श्लेष युक्त सरस प्रबंध काव्य "श्रीरामकृष्णायन " तथा अनेक चमत्कारपूर्ण पद्य...
  • उत्प्रेक्षा, रूपक, श्लेष प्रभृति अलंकार अनायास ही आ गए हैं। "रमक-जमक-बतीसी" में यमक की बानगी विशेष दर्शनीय है। कवि ने अधिकतर ब्रजभाषा का प्रयोग किया है किंतु...
  • बुद्धवंस चरियापिटक (३) अभिधम्मपिटक धम्मसंगणि विभंग धातुकथा पुग्गलपंञति कथावत्थु यमक पट्ठान। बौद्ध-परम्परा के अनुसार त्रिपिटक तीन संगीतियों से स्थिर हुआ। कहा...
  • के साथ सामंजस्य नहीं रखता तो इसका विस्तार नहीं करना चाहिए। महाकाव्यों में यमक तथा चित्रकाव्य का निबंधन कवि के अभिमान का ही परिचायक होता है, वह काव्य के...
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