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हिन्दी साहित्य के इतिहास में भक्ति काल महत्वपूर्ण स्थान रखता है। आदिकाल के बाद आये इस युग को 'पूर्व मध्यकाल' भी कहा जाता है। इसकी समयावधि 1375वि.स.से... |
प्रचार-प्रसार किया गया। सिख धर्म के उद्भव में भक्ति आन्दोलन की महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। पूर्व मध्यकाल में जिस भक्ति धारा ने अपने आन्दोलनात्मक सामर्थ्य से... |
व्यास ने पूजा में अनुराग को भक्ति कहा है। भारतीय धार्मिक साहित्य में भक्ति का उदय वैदिक काल से ही दिखाई पड़ता है। भक्ति क्यों करनी चाहिए इसके लिए हम... |
विशेषता को भक्ति आन्दोलन के रूप में पहचाना जा सकता है। साहित्य के क्षेत्र में यह भक्ति काव्य के विराट रस स्रोत के रूप में प्रकट हुआ। भक्ति काल में अधिक... |
हिन्दू धर्म में भक्ति योग से आशय अपने इष्ट देवता में अनुराग रख कर आन्तरिक विकास करने से है। भजन कीर्तन व सत्संग करना। इसे 'भक्ति मार्ग' भी कहते हैं। यह... |
नरसिंह महेता पुरंदरदास चैतन्य महाप्रभु जनाबाई तुकाराम मलिक मोहम्मद जायसी महिपति रामकृष्ण परमहंस Harivansh mahaprabhu हिंदी साहित्य भक्ति काल हिन्दी कवि... |
हिंदी साहित्य (अनुभाग भक्ति काल) जाता हैं। हिन्दी साहित्य का भक्ति काल 1375 से 1700 तक माना जाता है। यह काल प्रमुख रूप से भक्ति भावना से ओतप्रोत है। इस काल को समृद्ध बनाने वाली दो काव्य-धाराएँ... |
लाल दोहा चालीसा विप्र सुदामा (खण्ड काव्य ) लाल नीति संग्रह भाग -1 लाल नीति संग्रह भाग -2 जाल-पत्रिका आदिकाल भक्ति काल रीति काल आधुनिक काल हिंदी साहित्य... |
कहीं भी मर्यादा का उल्लंघन देखने को नहीं मिलता है। हिन्दी साहित्य आदिकाल भक्ति काल आधुनिक हिंदी पद्य का इतिहास हिन्दी रीति साहित्य (गूगल पुस्तक ; लेखक -... |
काल भैरव मंदिर भारत के मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित एक हिंदू मंदिर है। यह शहर के संरक्षक देवता काल भैरव को समर्पित है। [1] शिप्रा नदी के तट पर... |
आलवार सन्त (श्रेणी भक्ति काल) थे। इनका काल ६ठी से ९वीं शताब्दी के बीच रहा। उनके पदों का संग्रह "दिव्य प्रबन्ध" कहलाता है जो 'वेदों' के तुल्य माना जाता है। आलवार सन्त भक्ति आन्दोलन के... |
गया है। सामाजिक-परिवर्तन के आन्दोलन में चोखामेला पहले संत थे, जिन्होंने भक्ति-काल के दौर में सामाजिक-गैर बराबरी को लोगों के सामने रखा। अपनी रचनाओं में वे... |
मलिक मुहम्मद जायसी (1492-1548) हिन्दी साहित्य के भक्ति काल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि थे। वे अत्यंत उच्चकोटि के सरल और उदार सूफ़ी महात्मा थे।... |
अष्टछाप (श्रेणी भक्ति काल) गोकुल मंडन कुंवर कन्हाई ॥ इन कवियों में सूरदास प्रमुख थे। अपनी निश्चल भक्ति के कारण ये लोग भगवान कृष्ण के सखा भी माने जाते थे। परम भागवत होने के कारण... |
नामदेव (भक्त नामदेव से अनुप्रेषित) ज्ञानेश्वर के साथ पूरे महाराष्ट्र का भ्रमण किए, भक्ति-गीत रचे और जनता जनार्दन को समता और प्रभु-भक्ति का पाठ पढ़ाया। संत ज्ञानेश्वर के परलोकगमन के बाद... |
समय में इस गाँव का नाम हिन्दी में पैगाँव लिखा जाता है। प्राचीन काल में जब ब्रज में कई भक्त साधू संत ईश्वरीय आराधना में लगे हुए थे उस समय पैगाँव के चतुर्भुज... |
भीतरी स्थल पर दक्षिणा माँ काली, भगवान शिव पर खड़ी हुई हैं। देवी की प्रतिमा जिस स्थान पर रखी गई है उसी पवित्र स्थल के आसपास भक्त बैठे रहते हैं तथा आराधना... |
से जन्मी है। इस भाषा में प्रचुर मात्रा में साहित्य उपलब्ध है। भारतीय भक्ति काल में यह भाषा प्रमुख रही। विक्रम की १३वीं शताब्दी से लेकर २०वीं शताब्दी... |
जीवनी-शक्ति एवं स्फूर्ति के परिचायक हैं। आधुनिक हिंदी गद्य का इतिहास आदिकाल भक्ति काल रीति काल हिंदी साहित्य कविता कोश - हिन्दी काव्य का अकूत खज़ाना सृजनगाथा- हिन्दी... |
कृष्ण भक्त सूरदास जी के पिता?". Punjabkesari. 2021-06-13. अभिगमन तिथि 2021-06-14. "सूरदास भगवान कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे।". पंजाब केसरी. भक्ति काल भ्रमरगीत... |