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राज्य पाली जिले का मेवाड का सीमावर्ती एक क्षेत्रीय इलाका है। हर साल यहाँ गोडवाड़ महोत्सव मनाया जाता है। यह क्षेत्र अरावली और मेवाड़ की तराई में है। इसका... |
पुत्र खुर्रम (शाहजहाँ) को मेवाड़ अभियान का नेतृत्व सौंपा। - शाहजहाँ के आक्रमणों ने मेवाड़ की स्थिति विकट कर दी। - मेवाड़ी सामंतों ने कुँवर कर्णसिंह को... |
राणा रायमल (श्रेणी मेवाड़ के शासक) किन्तु उसे सफलता नहीं मिली। इसके शीघ्र बाद घियास शाह के सेनापति जफर खान ने मेवाड़ पर आक्रमण किया किन्तु वह भी मण्डलगढ़ और खैराबाद में पराजित हुआ। रायमल ने... |
फ़तेह करण चारण (श्रेणी मेवाड़) उन्होंने ब्रिटिश भारत के मेवाड़ रियासत क्षेत्र में बिजोलिया किसान आंदोलन का प्रारंभिक चरण में नेतृत्व किया। बिजोलिया मेवाड़ राज्य में एक जागीर थी, इसमें... |
इतिहास मेवाड़ साम्राज्य के इतिहास को दर्शाता है। महाराणा सज्जन सिंह, (बी। 18 जुलाई 1859 डी। 23 दिसंबर 1884), मानसून पैलेस के प्रारंभिक निर्माता मेवाड़ राजवंश... |
गुहिल राजवंश (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) राजवंश मेवाड़ पर वर्ष 1303 तक शासन करता रहा जब मुसलमान आक्रमणकारी अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर घेरा डालकर गुहिलों को पराजित करा था | मेवाड़ का प्राचीन... |
महाराणा कुम्भा (अनुभाग सन्दर्भ ग्रन्थ) महाराणा कुम्भा या महाराणा कुम्भकर्ण (मृत्यु 1468 ई.) सन 1433 से 1468 तक मेवाड़ के राजा थे। भारत के राजाओं में उनका बहुत ऊँचा स्थान है। उनसे पूर्व राजपूत... |
अरावली अंश परिक्षेत्र को मेवाड़ कहते है। मेव+ वाड़ा अर्थात मेवो का रहने का स्थान। कतिपय इतिहासकारों की राय है कि " मेव " शब्द से मेवाड़ बना है। यहां सवाल खड़ा... |
राणा सांगा (श्रेणी मेवाड़ के शासक) महाराणा कुंभा के बाद,सबसे प्रसिद्ध महाराजा थे। मेवाड़ में सबसे महत्वपूर्ण शासक। इन्होंने अपनी शक्ति के बल पर मेवाड़ साम्राज्य का विस्तार किया और उसके तहत राजपूताना... |
मेवाड़, राजस्थान के शिशोदिया राजवंश के शासक थे उनके पिता राणा अमरसिंह थे। पहले मेवाड़ी राजकुमार जो मुगल दरबार मे गए तथा सर्वप्रथम मुगल दरबार मे मनसबदारी... |
जैत्र सिंह (अनुभाग मेवाड़ राजा जैत्रसिंह) ई. में मेवाड़ शासक बने। जैत्र सिंह ने मौर्यों को पराजित करके चित्तौड़ पर अधिकार किया था। दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिश ने इनके शासनकाल में मेवाड़ राज्य पर... |
भैंसरोड़गढ़ (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) अंत में यह मेवाड़ के प्रमुख सामंत की राजधानी बना। इसमें पांच टाँकें हैं व देवी भीम चौरी, शिव और गणेश के मंदिर और किराए के लिए एक महल है। मेवाड़ राज्य की... |
हरिदास केसरिया (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) 16 वीं शताब्दी के मेवाड़ सरदार, राजस्थान के योद्धा और कवि थे । 1519 में गागरोन के युद्ध में, उन्होंने राणा सांगा के नेतृत्व में मेवाड़ सेना के साथ लड़े... |
उदयपुर को पहले मेवाड़ के नाम से जाना जाता था। इस शहर ने बहुत कम समय में देश को कई देशभक्त दिए हैं। यहां का मेवाड़ राजवंश अपने को सूर्य से जोड़ता है। यहां... |
दधवाड़िया (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) स्थापित किया। इसके पश्चात, राजनीतिक उथल-पुथल के कारण, देवल-चारणों ने मारवाड़, मेवाड़, बीकानेर और जयपुर जैसे अन्य क्षेत्रों और राज्यों में पलायन करना शुरू कर... |
गागरोन का युद्ध (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) पर कब्जा कर लिया गया था, जिस कारण सांगा को मेदिनी राय के साथ मेवाड़ लौटना पड़ा। मेवाड़ में मेदिनी राय सांगा की सेवा में कार्यरत रहा। मालवा क्षेत्र में... |
प्रकार है :- १. पश्चिमी राजस्थान में बोली जाने वाली बोलियाँ - मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढारकी, बीकानेरी, बाँगड़ी, शेखावटी, खेराड़ी, मोड़वाडी, देवड़ावाटी आदि।... |
दुर्गादास राठौड (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) मारवाड़ में सीमित थीं: मेवाड़ में अभियान को मुगलों द्वारा छोड़ दिया गया था लेकिन मारवाड़ लगभग तीन दशकों तक युद्ध की स्थिति में रहा। मेवाड़ से मुगल वापसी का... |
खतोली का युद्ध (अनुभाग संदर्भ) में इब्राहिम लोदी के लोदी साम्राज्य और मेवाड़ राज्य के महाराणा राणा सांगा के बीच लड़ी गई थी। जिस दौरान मेवाड़ विजयी हुआ। 1518 में सिकंदर लोदी की मृत्यु... |
हरीत ऋषि के आशीर्वाद से चितौडगढ के शासक मान मौर्य को पराजित कर मेवाड़ के शासक बने मेवाड़ की राजधानी नागदा को बनायी एकलिंग देव का मंदिर , सास - बहु का मंदिर(नागदा)... |