यह पृष्ठ अन्य भाषाओं में उपलब्ध नहीं है।
इस विकि पर "भारतीय+दर्शन" नाम का पृष्ठ बनाएँ! खोज परिणाम भी देखें।
दर्शन, बौद्ध दर्शन से भी प्राचीन ठहरता है। इसकी पुष्टि में यह प्रमाण दिया जाता है कि प्राचीन जैन दर्शनों में न तो बुद्ध दर्शन और न किसी हिन्दू दर्शन का... |
हिन्दू धर्म में दर्शन अत्यन्त प्राचीन परम्परा रही है। वैदिक दर्शनों में षड्दर्शन (छः दर्शन) अधिक प्रसिद्ध और प्राचीन हैं। ये सांख्य, योग, न्याय, वैशेषिक... |
(1890-1968) ने समकालीन भारतीय दर्शन को अपने अध्यक्षीय भाषण का केन्द्र-बिन्दु बनाते हुए यह प्रतिपादित किया कि समकालीन भारतीय दर्शन के सम्यक् विकास के लिए... |
नास्तिक दर्शन भारतीय दर्शन परम्परा में उन दर्शनों को कहा जाता है जो वेदों को नहीं मानते थे। भारत में ऐसे दर्शन भी थे जो वैदिक परम्परा के बन्धन को नहीं... |
दर्शनशास्त्र (दर्शन से अनुप्रेषित) है। विस्तृत विवरण के लिये भारतीय दर्शन देखें। वैसे तो समस्त दर्शन की उत्पत्ति वेदों से ही हुई है, फिर भी समस्त भारतीय दर्शन को आस्तिक एवं नास्तिक दो भागों... |
से पश्चिमी दर्शन को तीन भागों में विभक्त कर सकते हैं- (१) प्राचीन दर्शन (२) मध्यकालीन दर्शन (३) आधुनिक दर्शन (4) समकालीन दर्शन प्राचीन दर्शन में मनुष्य... |
भारतीय दर्शन में परमाणु का उल्लेख पाश्चात्य विज्ञान से कई सदी पहले ही हो गया था। परमाणु और अणु, कई मतों के अनुसार एक ही तत्व से दो नाम हैं। भिन्न भिन्न... |
इन चारों दर्शनों का उदय ईसा की आरंभिक शब्ताब्दियों में हुआ। इसी समय वैदिक परंपरा में षड्दर्शनों का उदय हुआ। इस प्रकार भारतीय पंरपरा में दर्शन संप्रदायों... |
वैशेषिक, भारतीय दर्शनों में से एक दर्शन है। इसके मूल प्रवर्तक ऋषि कणाद हैं (ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी)। यह दर्शन न्याय दर्शन से बहुत साम्य रखता है किन्तु... |
जैन दर्शन सबसे प्राचीन भारतीय दर्शन में से एक है। इसमें अहिंसा को सर्वोच्च स्थान दिया गया है। जैन धर्म की मान्यता अनुसार 24 तीर्थंकर समय-समय पर संसार... |
मीमांसा या पूर्वमीमांसा दर्शन हिन्दुओं के छः दर्शनों में से एक है जिसमें वेद के यज्ञपरक वचनों की व्याख्या बड़े विचार के साथ की गयी है। इसके प्रणेता जैमिनी... |
भारतीय दर्शन के छः प्रकारों में से सांख्य (साङ्ख्य) भी एक है जो प्राचीनकाल में अत्यन्त लोकप्रिय तथा प्रथित हुआ था। यह अद्वैत वेदान्त से सर्वथा विपरीत मान्यताएँ... |
इसी अन्तःप्रेरणा के कारण महर्षि कणाद ने 'वैशेषिक दर्शन' का आविर्भाव किया। हम देखते हैं कि विभिन्न भारतीय दर्शनकारों ने पदार्थों की भिन्न-भिन्न संख्या मानी... |
भारतीय दर्शन में प्रमाद (negligence, carelessness) मानुष्य के सभी कष्टों और समस्याओं का मूल है। अध्यात्म उपनिषद तो प्रमाद को साक्षात 'मृत्यु' कहा है। प्रमादो... |
भारतीय संस्कृति में किसी देवता या पवित्र व्यक्ति को देखना, दर्शन कहलाता है। इसी प्रकार तर्कपूर्ण गहन विचारों का चिन्तन भी दर्शन कहलाता है। इस दृष्टि से... |
चैतन्य और तांत्रिक संप्रदाय तथा अरविन्द दर्शन किसी न रूप में आनंद को आत्मा की पूर्णता का रूप मानते हैं। बौद्ध दर्शन में संसार को दुःखमय माना गया है। दुःखमय... |
जैसे विद्वानों ने कह दिया कि भारतीय दर्शन में राजनीतिक चिन्तन का अभाव है। ये पश्चिम विद्वान यह मानते थे कि भारतीय दर्शन का स्रोत वस्तुतः हिन्दू साहित्य... |
प्रत्यभिज्ञा दर्शन, काश्मीरी शैव दर्शन की एक शाखा है। यह ९वीं शताब्दी में जन्मा एक अद्वैतवादी दर्शन है। इस दर्शन का नाम उत्पलदेव द्वारा रचित ईश्वरप्रत्यभिज्ञाकारिका... |
पारलौकिक सत्ताओं को यह सिद्धांत स्वीकार नहीं करता है। यह दर्शन वेदबाह्य भी कहा जाता है। वेदबाह्य दर्शन छ: हैं- चार्वाक, माध्यमिक, योगाचार, सौत्रान्तिक, वैभाषिक... |
जीव शब्द का प्रयोग जैन दर्शन में आत्मा के लिए किया जाता है। जैन दर्शन सबसे पुराना भारतीय दर्शन है जिसमें कि शरीर (अजीव) और आत्मा (जीव) को पूर्णता पृथक... |