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चन्द्रगुप्त मौर्य (जन्म : ३४५ ई॰पु॰, राज ३२१-२९७ई॰पु॰) में भारत के महान सम्राट थे। इन्होंने मौर्य राजवंश की स्थापना की थी। चन्द्रगुप्त पूरे भारत को एक... |
‘शासन-विधि’ के रूप में प्रथम मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त के लिए की गई। अत: इसकी रचना का काल वही मानना उचित है, जो सम्राट चन्द्रगुप्त का काल है। पुरातत्त्ववेत्ता... |
में आये । वास्तविकता जो भी हो, हम चन्द्रगुप्त प्रथम को गुप्त साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक मान सकते हैं । चन्द्रगुप्त-कुमारदेवी प्रकार के सिक्के: इन सिक्कों... |
बिहार का प्राचीन इतिहास (अनुभाग मौर्य राजवंश) थे। ३२२ ई. पू. में चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की सहायता से धनानन्द की हत्या कर मौर्य वंश की नींव डाली थी। चन्द्रगुप्त मौर्य ने नन्दों के अत्याचार... |
या चित्रांग मौर्य , मोरी कबीले के एक सरदार थे । जिन्होंने चित्तौड़गढ़ के किले की नींव रखी थी और यह भारत का सबसे बड़ा किला है। चित्रांग मौर्य ने चितोड़गढ़... |
दुर्धरा (श्रेणी मौर्य राजवंश) के जैन ग्रंथ परिशिष्टपर्व के अनुसार प्राचीन भारत के मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य की पत्नी थीं। इस ग्रंथ में उन्हें दूसरे मौर्य साम्राज्य... |
उन्होंने नंदवंश का नाश करके चन्द्रगुप्त मौर्य को अजापाल से प्रजापाल (राजा) बनाया। उनके द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति... |
साथ संकलित थीं :- कानन कुसुम प्रेम पथिक महाराणा का महत्त्व सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य छाया उर्वशी राज्यश्री करुणालय प्रायश्चित्त कल्याणी परिणय इनमें से... |
राजधानी पर कब्जा कर लिया। इससे साम्राज्य का पतन हुआ और अंततः चंद्रगुप्त मौर्य के अधीन मौर्य साम्राज्य का निर्माण हुआ। जो अब आधुनिक अफगानिस्तान है, उसमें... |
प्राचीन भारत (अनुभाग मौर्यों के बाद) मरवा दिया चंद्र नंद से चंद्रगुप्त मौर्य बन गया इसके बाद चन्द्रगुप्त ने दक्षिण की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार किया। चन्द्रगुप्त ने सिकंदर के क्षत्रप सेल्यूकस... |
गुप्त राजवंश (श्रेणी सन्दर्भ त्रुटि के साथ पृष्ठ) मगध के आस-पास तक ही सीमित था। सन् ३२० में चन्द्रगुप्त प्रथम अपने पिता घटोत्कच के बाद राजा बना। चन्द्रगुप्त गुप्त वंशावली में पहला स्वतन्त्र शासक था। इसने... |
है। चन्द्रगुप्त पिप्पलिवन के क्षत्रियकुल “मोरिय” का वंशज था। इतिहास में पिप्पलिवन (पीपल वनों) के निवासी आदिम क्षत्रिय मौर्य जाति में चंद्रगुप्त और अशोक... |
मोरिय (गणजाति) (अनुभाग संदर्भ) किया गया था, जिसे वर्तमान में मोरिय गणराज्य कहा जाता है। चन्द्रगुप्त मौर्य, पिप्पलिवन के मौर्यों के राजकुमार थे । मोरिय कोसल के उत्तर-पूर्व में रहते थे... |
नंद वंश (अनुभाग सन्दर्भ ग्रन्थ) की गई थी। इस राजवंश का अंतिम शासक धनानन्द था। सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य ने धनानंद को पराजित कर मौर्य साम्राज्य की नींव रखी। पुराणों में इसे नंद राजवंश के... |
महाभारत (भारत (ग्रन्थ) से अनुप्रेषित) वंशावली को यदि चन्द्रगुप्त मौर्य से मिला कर देखा जाये तो १९०० ईसा पूर्व की तिथि निकलती है, परन्तु कुछ विद्वानों के अनुसार चन्द्रगुप्त मौर्य १५०० ईसा पूर्व... |
मुनि प्रणम्यसागर (अनुभाग सन्दर्भ सूत्र) सत्संख्यादि अनुयोग द्वार सल्लेखना/संथारा क्या आत्महत्या है? जैन सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य वर्धमान स्तोत्र - ६४ श्लोकों में महावीर स्वामी की स्तुती की गयी है।... |
बिहार के प्राचीन इतिहास के स्रोत (श्रेणी लेख जिन्हें जुलाई 2014 से अतिरिक्त संदर्भ की आवश्यकता है) के मौर्य दरबार में भेजे गये थे। मेगस्थनीज-यह बिहार आने वाला प्रथम और प्रसिद्ध यात्री था जो सेल्यूकस का राजदूत बनकर मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार... |
मुराव (अनुभाग मौर्य गोत्र सूची) राम के वंशज शाक्यों की उपशाखा हैं। मौर्य (मुराव/मुराई/मोरी) में परिवर्तित कैसे हुई — अतएव उपरोक्त आधारानुसार मौर्य शब्द बदल कर मौर्यवा हुआ और फिर वही... |
चंद्रगिरी पहाड़ी (अनुभाग संदर्भ) भद्रबाहु और चन्द्रगुप्त मौर्य ने कैवल्य (आनंद) प्राप्त करने के लिए इस स्थान का दौरा किया था। छोटी पहाड़ी का नाम चंद्रा पड़ा क्योंकि चंद्रगुप्त उन ऋषियों... |
भद्रबाहु (अनुभाग सन्दर्भ सूची) श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा अंतिम श्रुतकेवली माने जाते हैं। भद्रबाहु चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे। भगवान महावीर के निर्वाण के लगभग १५० वर्ष पश्चात् (ईसवी... |