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गुरु गोरखनाथ ने अवतार लिया था. उस समय गुजरात में स्थित जूनागढ़(गिरनार)गोरखमढ़ी में तप किया था. इसी जगह पर श्री कृष्ण और रुक्मणि विवाह हुआ था. तब गुरु... |
गोरखनाथ मन्दिर, उत्तर प्रदेश के गोरखपुर नगर में स्थित है। बाबा गोरखनाथ के नाम पर इस जिले का नाम गोरखपुर पड़ा है। गोरखनाथ मन्दिर के वर्तमान महंत श्री बाबा... |
प्रसिद्ध हुए। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के शासक जैबरजी (राजा जेवरसिंह) की पत्नी बाछल कंवर के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो... |
गोगामेड़ी (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) गुरुभक्त, वीर योद्ध ओर प्रतापी राजा थे गुरु गोरखनाथ के परमशिष्य थे जिनकि याद में ये मेला लगता है। गौरतलब है कि गुरु गोरखनाथ जी ने यहाँ 12 वर्ष तपस्या की थी।... |
सिद्धमुख (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) बड़े शहरों से भी जुड़ा हुआ है। वहा एक प्रसिद्ध गुरु गोरखनाथ मंदिर स्थित हैं। जहा पर मां बाछल को गुरु गोरखनाथ ने वरदान दिया था। आपका भाई असित यदुवंशी UP 75... |
गोरख धंधा शब्द गुरु गोरखनाथ के आचकित क्रिया की वजह से प्रचलन में आया था, जो तंत्र के ज्ञाता थे। आजकल बहुत अधिक उलझन से भरे विषय, समस्या आदि को गोरख धंधा... |
टिल्ला जोगियाँ (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) कि यहाँ पर सन् १०० ईसापूर्व के आसपास एक हिन्दू मठ बनाया गया था। यहाँ गुरु गोरखनाथ के अनुयायी रहा करते थे जिन्हें अपने कान छिदवा लेने के कारण 'कानफटे जोगी'... |
दोनों में भीषण युद्ध हुआ पृथ्वीराज चौहान बुरी तरह घायल हुए आल्हा के गुरु गोरखनाथ के कहने पर आल्हा ने पृथ्वीराज चौहान को जीवनदान दिया और बुन्देलखण्ड के... |
गोरखपुर (श्रेणी आईएसबीएन के जादुई कड़ियों का उपयोग करने वाले पृष्ठ) किन्तु मध्ययुगीन सर्वमान्य सन्त गोरखनाथ के बाद, उनके ही नाम पर इसका वर्तमान नाम गोरखपुर रखा गया। यहाँ का प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर अभी भी नाथ सम्प्रदाय की... |
है और गाँव से दूरी 40 किमी है। गाँव का जिला हेड क्वार्टर अलीगढ़ है जो 35 कि०मी० दूर है। • श्री श्री गुरु गोरखनाथ परम शिष्य बाबा भजन गिरी एवं बाबा लौंग... |
में प्राचीन सूर्य सरोवर है जहां गुरु गोरखनाथ ने तपस्या की थी जिस वजह से यहां सिद्धपीठ बनाई गई है। भगवान सूर्य नारायण का मंदिर होने के कारण गांव अब विश्व... |
प्रभावित करती हैं। प्रत्येक शतक में सौ-सौ श्लोक हैं। बाद में इन्होंने गुरु गोरखनाथ के शिष्य बनकर वैराग्य धारण कर लिया था इसलिये इनका एक लोकप्रचलित नाम बाबा... |
का प्रयोग हुआ है, जैसे 'साखि करब जालंधर पाए ' (सिद्ध कण्हृपा)। आगे चलकर नाथ परंपरा में गुरुवचन ही साखी कहलाने लगे। इनकी रचना का सिलसिला गुरु गोरखनाथ से... |
के कारण गुरु गोरखनाथ प्रकट होते हैं। गुरु गोरखनाथ अपने शिष्य पूर्णमल को जब तक नवीना का पुत्र योग्य न हो तब तक राज्य भार का कार्य संभालने का आदेश देकर... |
सती का वाम स्कन्ध पाटम्बर अंग यहाँ आकर गिरा था, इसलिए यह स्थान देवी पाटन के नाम से प्रसिद्ध है। यहीं भगवान शिव की आज्ञा से महायोगी गुरु गोरखनाथ ने सर्वप्रथम... |
भैरौंनाथ (अनुभाग वर्तमान समय में ये स्थान) दुर्जय का संहार भी माता वैष्णो देवी ने किया था। शिवावतार गोरखनाथ भैरौंनाथ के गुरु थे। गोरखनाथ के गुरु का नाम मत्स्येन्द्रनाथ था। बाबा भैरौंनाथ का मुख्य... |
सिंह बिष्ट था और कालांतर में श्री अवैद्यनाथ बनकर भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर थे के रूप में प्रसिद्द हुए। श्री अवैद्यनाथ जी ने... |
गुरु गोरखनाथ जी का मंदिर है।। देवस्थान प्रगाण में ही श्री शिव मंदिर और माता दुर्गा & श्री कृष्ण का मंदिर भी है।। इस गांव में प्राचीन पथवारी माता का मंदिर... |
से पहली में कल्लूसिंह वा कालूराम हुए जो बाबा किनाराम के गुरु थे। कुछ लोग इस पंथ को गुरु गोरखनाथ के भी पहले से प्रचलित बतलाते हैं और इसका संबंध शैव मत के... |
के लोग हैं। जिन्होने ये नाम 8 वीं शताब्दी के हिन्दू योद्धा संत श्री गुरु गोरखनाथ से प्राप्त किया था। उनके शिष्य बप्पा रावल ने राजकुमार कलभोज ग्वाल/राजकुमार... |