मौर्य वंश कऽ शक्तिक शिथिल भेला पर जब मगध साम्राज्यक अनेक सुदूरवर्ती प्रदेश मौर्य सम्राटक अधीनतासँ मुक्त होए लगल ,तब कलिङ्ग सेहो स्वतन्त्र भेल । उडिसा कऽ भुवनेश्वर नामक स्थानसँ तीन मील दूर उदयगिरि नाम क पहाड अछि, जेकर एक गुफ़ा मे एक शिलालेख उपलब्ध भेल अछि, जे 'हाथीगुम्फा शिलालेख' नाम सँ प्रसिद्ध अछि। एकरा कलिङ्गराज खारवेल उत्कीर्ण करवाने छल । ई लेख प्राकृत भाषा मे अछि आ प्राचीन भारतीय इतिहासक लेल एकर बहुत अधिक महत्त्व अछि। एकर अनुसार कलिङ्गक स्वतन्त्र राज्यक राजा प्राचीन 'ऐल वंश' चेति या चेदि क्षत्रिय छल । चेदि वंश मे 'महामेधवाहन' नामक प्रतापी राजा छल , जे मौर्यों क निर्बलता सँ लाभ उठाकर कलिङ्गमे अपना स्वतन्त्र शासन स्थापित केलक। महामेधवाहनक तेसर पीढ़ीमे खारवेल भेल , जेकर वृत्तान्त हाथीगुम्फा शिलालेखमे विशदके रूप सँ उल्लिखित अछि। खारवेल जैन धर्म कऽ अनुयायी छल आ सम्भवतः ओ समय मे कलिङ्गक बहुसंख्यक जनता सेहो वर्धमान महावीर कऽ धर्म अपना चुक्ल छल ।
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