परालको आगो (मैथिली: लारऽक आगि) एक नेपाली कथानक स्वेतकारी चलचित्र छी। ई चलचित्रकेँ निर्माण सन् १९७८ मे भेल छल जकर निर्देशक प्रताप सुब्बा छल आ ई चलचित्रक निर्माण सिनेरोमाद्वारा कएल गेल छल।ई चलचित्रक मुख्य विषयवस्तु नेपाली लेखक गुरु प्रसाद मैनालीकेँ किताब परालको आगो पर आधारित अछि।
परालको आगो Paral Ko Aago | |
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निर्देशक | प्रताप सुब्बा |
निर्माता | सिनेरोमा |
पटकथा | गुरु प्रसाद मैनाली |
सङ्गीतकार | शान्ति थातल |
प्रदर्शित तिथि |
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समयाविधि | १ घण्टा १९ मिनेट |
देश | नेपाल |
भाषा | नेपाली |
जसरी परालको आगो लागे पछि एकै छनमा त्यो आगो ठुलो भएर जान्छ अनि एकै छनमा त्यो निभी हाल्छ। त्यसरी नै लोग्ने स्वास्नीको झगडा पनि केही छनमा ठुलो भएर जान्छ अनि केही छनमा तिनिहरु मिलि हाल्छन्।
यस कथामा कथाकारले लोग्ने-स्वास्नीको झगडालाई परालको आगोसित तुलना गर्नु भएका छन्।
गुरूप्रसाद मैनाली
जन्म: १९००
मृत्यु:१९७१
ई चलचित्रकें निर्माण सन् १९७६ कालिमपोङ आओर दार्जिलिङ, भारतक अगलबगलक क्षेत्रमे छायाङ्कन कएल गेल छल। सन् १९७८ मे प्रदर्शित ई चलचित्र स्वेतकारी छल आ अपन दमदार कथावस्तु आ मधुर सङ्गीतक कारण वृहत सफलता प्राप्त केनए छल।
क्र. | शीर्षक | सङ्गीतकार(सभ) | अवधि |
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1. | "चौबन्दी को तुनामा" | अरुणा लामा, दावा ग्यालमो, शङ्कर गुरुङ | ३:१६ |
2. | "धेरै चुलबुल नगर बैनी" | अरुणा लामा, दावा ग्यालमो | २:१७ |
3. | "उडी जाऊ भने म पंछी होइन" | अरुणा लामा | ४:३१ |
4. | "सुना माया" | अरुणा लामा, दीपा झा | ४:२९ |
ई चलचित्रमे रहल गीतक बोल मनबहादुर मुखिया आ इन्द्र थपलियाद्वारा लिखल गेल छल आ अरुणा लामा, दावा ग्यालमो, पेमा लामा, शङ्कर गुरुङ आ दीपा गौराज (झा)द्वारा गाओल गेल छल।
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