नल आ दमयन्तीक कथा भारतक महाकाव्य, महाभारतमे आवैत अछि।
युधिष्ठिरक जुवामे अपन सभ-किछ गुमाके अपन भाइसभक साथ वनवास करनाए पडल छल। ओही ठाम एकटा ऋषि हुनका नल आ दमयन्तीक कथा सुनौलक्।
नल निषध देशक राजा छल। ओ वीरसेनक पुत्र छल। नल बडका वीर छल आ सुन्दर सेहो। शस्त्र-विद्या तथा अश्व-सञ्चालनमे ओ निपुण छल। दमयन्ती विदर्भ (पूर्वी महाराष्ट्र) नरेशक मात्र पुत्री छल। ओ सेहो बहुत सुन्दर आ गुणवान छल। नल ओकर सौन्दर्यक प्रशंसा सुनि ओकरासँ प्रेम करै लगल। हुनकर प्रेमक सन्देश दमयन्तीक पास बड कुशलतासँ पहुँचेलक् एकटा हंस। आ दमयन्ती सेहो अपन ओ अनजान प्रेमीक विरहमे जलै लगल।
ई कथामे प्रेम आ पीडाक एहन प्रभावशाली पुट अछि कि भारतके ही नै देश-विदेशक लेखक आ कवि सेहो एहीसँ आकर्षित भेल बिन नै रहि सकल। बोप ल्याटिनमे तथा डीन मिलमैन अङ्ग्रेजी कवितामे अनुवाद करि के पश्चिमक सेहो ई कथासँ भली भान्ति परिचित करौने अछि।
विदर्भ देशमे भीष्मक नामक एक राजा राज्य करैत छल। हुनकर पुत्रीक नाम दमयन्ती छल। दमयन्ती लक्ष्मीक समान रूपवती छल। ओही दिन निषध देशमे वीरसेनक पुत्र नल राज्य करैत छल। ओ बडका ही गुणवान्, सत्यवादी तथा ब्राह्मण भक्त छल। निषध देशसँ जे लोग विदर्भ देशमे आवैत छल, ओ महाराज नलके गुणसभक प्रशंसा करैते छल। ई प्रशंसा दमयन्तीक कान धरि सेहो पहुँचल छल। एही तरह विदर्भ देशसँ आवै वाला लोग राजकुमारीक रूप आ गुणसभक चर्चा महाराज नलक समक्ष करैत छल। एकर परिणाम ई भेल कि नल आ दमयन्ती एक-दोसरके प्रति आकर्षित होएत गेल।
महाभारतमे धर्मराज युधिष्ठिरक आग्रह करै पर महर्षि बृहदश्व नल-दमयन्तीक कथा सुनौलक्-
धर्मराज ! निषध देशमे वीरसेनक पुत्र नल नामक एक राजा भ चुकल अछि। ओ बड गुणवान्, परम सुन्दर, सत्यवादी, जितेन्द्रिय, सभक प्रिय, वेदज्ञ एवं ब्राह्मणभक्त छल। हुनकर सेना बहुत बड छल। ओ स्वयं अस्त्रविद्यामे बहुत निपुण छल। ओ वीर, योद्धा, उदार आ प्रबल पराक्रमी सेहो छल। हुनका जूआ खेलैके सेहो किछ-किछ शौक छल।
ओही दिनसभमे विदर्भ देशमे भीम नामक एक राजा राज्य करैत छल। ओ सेहो नल के समान ही सर्वगुण सम्पन्न आ पराक्रमी छल। ओ दमन ऋषिक प्रसन्न करि के हुनकर वरदानसँ चार सन्तानसभ प्राप्त केने छल—तीन पुत्र आ एक कन्या। पुत्रसभक नाम छल—दम, दान्त, आ दमन। पुत्रीक नाम छल—दमयन्ती। दमयन्ती लक्ष्मीक समान रूपवती छल। ओकर नेत्र विशाल छल। देवतासभ आ यक्षसभमे सेहो ओहन सुन्दरी कन्या कतौ देखै मे नै आवैत छल। ओ दिनसभ कतेक ही लोग विदर्भ देशसँ निषध देशमे आवैत आ राजा नलक सामने दमयन्तीक रूप आ गुणक बखान करैत छल। निषध देशसँ विदर्भमे जाए वाला सेहो दमयन्ती के सामने राजा नल के रूप, गुण आ पवित्र चरित्रक वर्णन करैत छल। एही प्रकार दुनु के हृदयमे पारस्परिक अनुराग अङ्कुरित भ गेल।
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