याज्ञवल्क्य
मिथिलाक दार्शनिक राजा कृति जनकक दरबारमे छलाह। हुनकर माताक वा पिताक नाम सम्भवतः वाजसनी छलन्हि। ओना हुनकर पिता देवरातकेँ मानल जाइत छन्हि। हुनकर माता ऋषि वैशम्पायनक बहिन छलीह। वैशम्पायन याज्ञवल्क्यक मामा छलाह संझ्गहि हुनकर गुरु सेहो। हुनकर पिता खेनाइ पुरस्कारक रूपमे बँटैत रहथि आऽ तेँ हुनकर नाम बाजसनि सेहो छन्हि। ब्यासक चारू पुत्रसँ ओऽ चारू वेदक शिक्षा पओलन्हि। यजुर्वेद ओऽ वैशम्पायनसँ सेहो सिखलन्हि, वेदान्त उद्दालक आरुणिसँ आऽ योगक शिक्षा हिरण्यनाभसँ लेलन्हि।
याज्ञवल्क्यक दू टा पत्नी छलथिन्ह, १. कात्यायनी आऽ दोसर मैत्रेयी। मत्रेयी ब्रह्मवादिनी छलीह। कात्यायनीसँ हुनका तीनटा पुत्र छलन्हि- चन्द्रकान्ता, महामेघ आऽ विजय।
१. शुक्ल यजुरवेद, २. शतपथ ब्राह्मण, बृहदारण्यक उपनिषद आऽ स्मृतिक दृष्टा/लेखक छथि। स्मृतिमे आचार, व्यवहार, आऽ प्रायश्चित अध्याय अछि।राजधर्म, सिविल आऽ क्रिमिनल लॉ एहिमे अछि।कौटिल्य जेकाँ सेहो मानैत छथि जे राजा आऽ पुरहित दुनू दण्डनीतिक ज्ञान राखथि। राज्यक सप्तांग सिद्धांतक चरचा सेहो विस्तारमे करैत छथि।
याज्ञवल्क्य | |
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जन्म | कार्तिकमासक शुक्लसप्तमी |
पेशा | ऋषि |
राष्ट्रियता | भारतीय |
शैली | यजुर्वेदक ज्ञाता |
जीवनसाथी | मैत्रेयी |
नातेदार | वेदव्यासक शिष्य |
दाएँ|अंगूठाकार|413x413पिक्सेल|देवी सरस्वती के समक्ष उपस्थित भेलीह | याज्ञवल्क्य (7वीं शताब्दी ईसा पूर्व) भारत के वैदिक काल के एकटा ऋषि आ दार्शनिक छलाह।
वैदिक साहित्य मे शुक्ल यजुर्वेदक वाजसेनिया शाखाक द्रष्टा छलैथ। हुनका अपन समयक अग्रणी वैदिक विद्वान मानल जाइत छनि।
केरऽ एगो आउर महत्वपूर्ण कृति छै शतपथ ब्राह्मण केरऽ रचना – बृहदारण्यक उपनिषद जे बहुत महत्वपूर्ण उपनिषद केरऽ अंग छै । हिनक काल 1800-700 ई.पू. मानल जाएत छनि।
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