कर्नाल (तत्सम: कर्णालय) भारत के हरियाणा राज्य के करनाल ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है। कर्नाल यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है।
कर्नाल कर्णालय | |
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कर्नाल के दृश्य | |
निर्देशांक: 29°41′10″N 76°59′20″E / 29.686°N 76.989°E 76°59′20″E / 29.686°N 76.989°E | |
देश | भारत |
राज्य | हरियाणा |
ज़िला | करनाल ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 2,86,827 |
भाषा | |
• प्रचलित | हरियाणवी, पंजाबी, हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
करनाल राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर चण्डीगढ़ से 126 कि॰मी॰ की दूरी पर यमुना नदी के किनारे स्थित है। घरौंड़ा, नीलोखेड़ी, असन्ध, इन्द्री और तरावड़ी इसके मुख्य कस्बे हैं। करनाल में अनेक फैक्ट्रियां हैं। इन फैक्ट्रियों में वनस्पति तेल, इत्र और शराब तैयार की जाती है। इसके अलावा यह अपने अनाज, कपास और नमक के बाजार के लिए भी बहुत प्रसिद्ध है। यहां पर मुख्यत: धान की खेती की जाती है। यह धान उच्च गुणवत्ता वाला होता है और इसका निर्यात विदेशों में किया जाता है। इसकी उत्तर-पश्चिम दिशा में कुरूक्षेत्र, पश्चिम में जीन्द व कैथल, दक्षिण में पानीपत और पूर्व में उत्तर प्रदेश स्थित है। पर्यटक यहां पर अनेक पर्यटक स्थलों की यात्रा कर सकते हैं। इनमें कलन्दर शाह गुम्बद, छावनी चर्च और सीता माई मन्दिर आदि प्रमुख हैं। यह सभी बहुत खूबसूरत हैं और पर्यटकों को बहुत पसंद आते हैं। करनाल के एक छोटे से गाँव मदनपुर का एक लड़का जिसका नाम कमल कशयप है वह अपनी तीव्र बुद्धि के लिए पूरे हरियाणा में मशहूर है।
दंतकथा के अनुसार दुर्योधन ने सूर्यपुत्र कर्ण को इस प्रदेश का राज्य सौंपकर उसे अंगराज बनाया था। करनाल अंग महाजनपद के अंतर्गत आता था इस सम्पूर्ण राज्य पर कर्ण का अधिकार हुआ करता था। करनाल पर नादिरशाह ने मुग़ल बादशाह मुहम्मदशाह को हराया था। इसके बाद यह क्रमश: जींद के राजाओं, मराठों और लाडवा के सिक्ख राजा गुरुदत्तसिंह के अधिकार में रहा। 1805 ई. में अंग्रेज़ों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया। राजा कर्ण के नाम पर ही शहर का नाम करनाल पड़ा है।
करनाल शहर की सड़कें अधिकांशत: पक्की, परंतु टेढ़ी-मेढ़ी और सँकरी हैं। यहाँ देशी कपड़ा बनता है जो यहीं पर प्रयोग में आ जाता है। कंबल और जूते बाहर भेजे जाते हैं। कंबल व्यवसाय में अधिक लोग लगे हुए हैं। करनाल शहर दिल्ली,प।नीपत तथा अंबाला से विशेष संबंधित है। यह शहर गांव रगंरूटी खेडा से 40.85 कि॰मी॰ दूर है।
इसके निर्माण में मार्बल का प्रयोग किया गया है और इसे खूबसूरत कलाकृतियों से सजाया गया है। इसका निर्माण दिल्ली के शासक गयासुद्दीन ने कराया था। यह गुम्बद बो अली कलन्दर शाह को समर्पित है। बो अली कलन्दर शाह मुस्लिम विद्वान थे। गुम्बद में मस्जिद, जलाशय और झरने का निर्माण भी किया गया है। पर्यटकों को यह गुम्बद बहुत पसंद आता है और वह इसके खूबसूरत दृश्य अपने कैमरों में कैद करके ले जाते हैं।
करनाल में खूबसूरत छावनी चर्च भी है। इस चर्च को कई मील दूर से भी देखा जा सकता है क्योंकि यह लगभग 100 फीट ऊंचा है। चर्च में धातु का क्रॉस भी लगाया गया है। इसका निर्माण सेंट जेम्स ने कराया था। उन्हीं के नाम पर इसका नामकरण किया गया है।
महाभारत के युद्ध में राजा कर्ण ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वह अपनी दानवीरता के लिए जाने जाते थे। उन्होंने ही करनाल की स्थापना की थी। उनकी याद में यहां पर एक जलाशय का निर्माण किया गया है। हाल ही में इस जलाशय की मरम्मत की गई है। इसको देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन यहाँ आते हैं।
सीता माई मन्दिर सीता माई गांव में स्थित है। यह नीलोखेड़ी से 19 कि॰मी॰ दूर है। इस मन्दिर का कुछ भाग मुस्लिम शासकों द्वारा गिरा दिया गया था। इसके बावजूद यह मन्दिर पर्यटकों को आकर्षित करता है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहां सीता धरती की गोद में समा गई थी। सीता माई गावं के पास ही कोयर गांव है जहां पर पंचतीर्थ धाम है। गांव में राजपूत ब्राह्मण व अन्य सभी लोग आपस में भाईचारा बनाकर रहते है।
कुंजपुरा करनाल की उत्तर-पूर्व दिशा में 6 मील की दूरी पर है। इसकी स्थापना पठान शासक निजाबत खान ने की थी। उन्होंने यहां पर एक शानदार किले का निर्माण भी कराया था। अब इस महल में सैनिक स्कूल का निर्माण कर दिया गया है। कंजपुरा में पर्यटक अनाज मण्डी देखने भी जा सकते हैं।
यह शहर महान सम्राट पृथ्वीराज चौहन का भी गढ रहा है आज भी यहाँ पर चौहान का किला मौजूद ,जो भी स्वयं में एक दार्शनिक स्थल है,आजकल इस किले में स्थानिय निवासी ही रहते है!यह सिक्ख व हिंदु लोगो के लिए भी एक पवतरावड़ी करनाल की उत्तर दिशा में स्थित ऐतिहासिक शहर है क्योंकि यहां पर औरंगजेब के पुत्र आजम का जन्म हुआ था। आजम के नाम पर इसका नाम आजमाबाद रखा गया था। बाद में यह आजमाबाद से तरा वड़ी हो गया। औरंगजेब ने इसके चारों तरफ दीवार बनवाई थी और चारदीवारी के अन्दर तालाब और मस्जिद का निर्माण भी कराया था। यह तालाब और मस्जिद बहुत खूबसूरत है। इसे देखने के लिए पर्यटक प्रतिदिन यहां आते हैं। यहां पर बासमती चावलों की खेती की जाती है। इन चावलों का निर्यात विदेशों में किया जाता है।
पुराणों के अनुसार यह वही स्थान है जहां ऋषि वेद व्यास ने महाभारत की रचना की थी। यह करनाल से 27 कि॰मी॰ दूर है। यह भी कहा जाता है कि बास्थली के नीचे गंगा बहती है।
यह गांव करनाल का अति महत्वपूर्ण गांव है। यहां स्तिथ नाग देवता का बाहुत पुराना मंदिर है जिसके बारे में मशहूर है कि अगर किसी को भी नाग यानी सांप काट ले और वो या उसके घर का कोई सदस्य यहां मंदिर में आ कर नाग देवता के सामने देसी घी का दीपक जलाये ओर नाग देवता को पानी मिश्रित दूध से स्नान कराये तो उस व्यक्ति जिसको सांप ने डसा है, उस पर कितना भी विषैला सांप हो उसका ज़हर कोई असर नही करता। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि आज तक बरसालू गांव में किसी की भी सांप के काटने से मृत्यु नही हुई।
वायुमार्ग से भी पर्यटक आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। पर्यटकों की सुविधा के लिए करनाल में करनाल फ्लाईंग क्लब का निर्माण किया गया है। निकटतम व्यावसायिक विमानक्षेत्र दिल्ली व चंडीगढ़ हैं।
पर्यटक रेल द्वारा भी आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली से करनाल के लिए कई एक्सप्रेस और सवारी रेल चलती हैं।
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 से पर्यटक आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं। दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से करनाल के लिए बसें चलती हैं। अगर पर्यटक बस द्वारा नहीं जाना चाहते तो टैक्सी या अपनी कार द्वारा भी आसानी से करनाल तक पहुंच सकते हैं।
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