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है शाकम्भरी माता राजस्थान,को सकरायपीठ कहते हैं जोकि राजस्थान मे है और सांभर पीठ भी राजस्थान मे है ।वर्तमान मे उत्तर भारत की नौ देवियों मे शाकम्भरी देवी... |
प्रसिद्ध यात्रा माँ शाकम्भरी देवी के दर्शन बिना पूर्ण नही होती। शिवालिक पर्वत पर स्थित यह शाकम्भरी देवी का सबसे प्राचीन तीर्थ है। शाकम्भरी यत्र जाता मुनिनात्राण... |
होता है । आरती : जय शाकम्भरी माता ,मैया जय शाकम्भरी माता , तुमको जो भी ध्याता ,सब संपत्ति पा जाता . जय शाकम्भरी माता ,मैया जय शाकम्भरी माता . धरती सूखी ... |
सांभर पीठ (अनुभाग शाकम्भरी माता की कथा) प्राप्त हुआ। शाक उत्पन्न करने के कारण शाकम्भरी नाम पड़ा। इसके बाद सारा संसार हराभरा हो गया। राजस्थान मे वैसे तो शाकम्भरी माता चौहान वंश की कुलदेवी है लेकिन... |
कनकदुर्गा (अनुभाग शाकम्भरी नाम की कथा) प्रकट) बताया है।कनक दुर्गा को देवी शाकम्भरी का रूप भी माना जाता है यहाँ शाकम्भरी उत्सव मनाया जाता है देश मे माँ शाकम्भरी का मुख्य मंदिर उत्तर प्रदेश के सहारनपुर... |
पर्वत हैं और दक्षिण में सिन्धु-गंगा के मैदान हैं। शिवालिक की पहाडियों में शाकम्भरी शक्तिपीठ तीर्थ है भारत का सबसे लोकप्रिय ऐतिहासिक पर्यटन स्थल ताज महल यहां... |
यहाँ शाकम्भरी देवी को समर्पित एक मंदिर भी उपस्थित है। वैसे माता शाकम्भरी देवी का मुख्य मंदिर सहारनपुर मे है चौहानों ने यहां पर भी माँ शाकम्भरी देवी की... |
विक्रम संवत के दसवें मास पौष के शुक्ल पक्ष की 15वीं तिथि है। इस दिन को देवी शाकम्भरी की याद मे भी मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन देवों की करूण पुकार को सुन आदिशक्ति... |
काली, सरस्वती, गंगा, लक्ष्मी और उनके अवतार जैसे सीता, राधा,बाला सुंदरी,शाकम्भरी आदि। वास्तव में सभी देवियाँ एक आदिशक्ति के विभिन्न रूप है। देखिये : देवता।https://upload... |
शाकम्भरी कहा गया। यहाँ भैरव भूरादेव के नाम से प्रथम पुजा पाते हैं। यह शाकम्भरी पीठ अत्यंत जाग्रत क्षेत्र है। काली माता कलकत्ता हिंगलाज भवानी शाकम्भरी... |
सहंस्रा ठाकुर धाम (श्रेणी शाकम्भरी) 40 किलोमीटर दूर शिवालिक की पर्वतमालाओं में स्थित है। यह स्थान जिले के शाकम्भरी क्षेत्र में आता है इस स्थान पर भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर बना हुआ है।... |
नवमी श्री राधाष्टमी : भादों सुदी( शुक्ल पक्ष ) अष्टमी शाकम्भरी पुर्णिमा- पौष की पुर्णिमा को शाकम्भरी देवी का अवतार हुआ था इनका प्रमुख प्राचीन शक्तिपीठ मंदिर... |
विभिन्न कंदमूल, शाक, फल इत्यादि प्रकट कर सब जीवो की बुभुक्षा को शांत किया और शाकम्भरी देवी के नाम से प्रसिद्ध हो गई। उसके बाद मा पार्वती ने दुर्गमासुर दैत्य... |
स्थित नगर है और नमक के निर्यात के कारण काफी प्रसिद्ध है। इसका प्राचीन नाम 'शाकम्भरी' है। महाभारत के आदि पुराण में इसका उल्लेख है। स्कंदपुराण ने इसके आसपास... |
के १०वीं शताब्दी के राजा (५) वाक्पतिराज प्रथम -- १०वीं शताब्दी के शाकम्भरी चाहमन राजा (६) वाक्पतिराज द्वितीय -- ११वीं शताब्दी के शाकम्भरी चाहमन राजा... |
वाक्पतिराज द्वितीय (राज्यकाल 1026 - 1040 ई), शाकम्भरी चहमान राजवंश का शासक था। उसने सपदलक्ष पर शासन किया जिसके अन्तर्गत राजस्थान और उत्तरी-पश्चिमी भारत... |
आशापुरा शाकम्भरी देवी का ही एक नाम माना जाता है जिनका प्रमुख शक्तिपीठ सहारनपुर उत्तर प्रदेश में है। इसके अलावा राजस्थान के सीकर में भी शाकम्भरी माता के... |
वाक्पतिराज प्रथम (राज्यकाल 917 – 944 ई), शाकम्भरी चहमान राजवंश का राजा था। उसने सपदलक्ष पर शासन किया जिसके अन्तर्गत वर्तमान समय के राजस्थान और उत्तरी-पश्चिमी... |
माता भीमा देवी महाशक्ति जगदंबा शाकम्भरी देवी का ही एक स्वरूप है। माँ भीमा देवी हिमालय और शिवालिक पर्वतों पर तपस्या करने वालों की रक्षा करने वाली देवी है।... |
अरुणासुर नामक दैत्य का वध किया गया था। माँ भ्रामरी देवी जगदम्बा भवानी शाकम्भरी का ही एक स्वरूप है। माँ भ्रामरी देवी का मंदिर हरियाणा के हिसार मे बनभौरी... |