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दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें... |
है, का गुरु माना है। साथ ही यह भी माना है कि इनकी साधना पद्धति मत्स्येन्द्रनाथ और गोरखनाथ की पद्धति से भिन्न थी। जलंधरनाथ को कुछ लोग दत्तात्रेय का शिष्य... |
शाक्त सम्प्रदाय' हिन्दू धर्म के तीन प्रमुख सम्प्रदायों में से एक है। आदिशक्ति अर्थात माता पार्वती की उपासना करने वाला सम्प्रदाय शाक्त सम्प्रदाय कहलाता... |
अनुयायी प्रमुख रूप से हठयोग की साधना करते थे। उन्हें नाथ योगी भी कहा जाता है। शैव धारा के अतिरिक्त बौद्धों ने भी हठयोग की पद्धति अपनायी थी। इस योग का महत्व... |
संभवतः यह वामाचारी साधना थी;-चौथी यह कि शुरू से ही जालांधरनाथ और कानिपा की साधना-पद्धति मत्स्येंद्रनाथ और गोरखनाथ की साधना-पद्धति से भिन्न थी। यह स्पष्ट... |
शैव (शैव सम्प्रदाय से अनुप्रेषित) वालों और भगवान शिव की आराधना करने वाले लोगों को शैव कहते हैं। शैव में शाक्त, नाथ, दशनामी, नाग आदि उप संप्रदाय हैं । ये भी संप्रदाय हैं जो भगवान शिव की आराधना... |
है कि धर्म को सम्प्रदाय या पन्थ से जोड़ कर देखना वास्तव में धर्म की समझ को सीमित करना है, चूँकि पश्चिमी-जगत का सम्बद्ध केवल सम्प्रदाय या "विश्वास" से... |
'सुभगोदय स्तुति' एवं 'श्रीविद्यारत्न सूत्र' प्रसिद्ध हैं। मध्ययुग में तांत्रिक साधना एवं साहित्य रचना में जितने विद्वानों का प्रवेश हुआ था उनमें से कुछ विशिष्ट... |
आदिकाल (अनुभाग नाथ साहित्य) नादबिन्दु की साधना को महत्त्वपूर्ण माना। हठयोग की जटिलता तथा साधना पद्धति की कठिनाइयों के कारण इनकी साधना में गुरु का काफ़ी महत्व दिखाई देता है। नाथ पंथ जीवन... |
होने पर भी इन साधुओं की साधना में, जिनमें नाथ, सिद्ध और शैव सभी थे, जीवन के विचार और भाव-पक्ष की उपेक्षा नहीं थी और इनमें से अनेक साधु आत्माभिव्यक्ति... |
अद्वैतवादी ही कहे जाते हैं। सिद्धों तथा नाथों ने भी अद्वैतवाद का अनुसरण किया तथा कबीर, ज्ञाननाथ आदि अनेक संत कवियों की साधना में अद्वैत तत्व वहीं से लिया गया... |
शासकों ने भी प्रश्रय दिया और संगीत को मनोरंजन का उपकरण मानते हुए भी इसके साधना पक्ष को विस्मृत न करते हुए संगीतज्ञों तथा शास्त्रकारों को राज्य अथवा रियासतों... |
तन्त्रालोक (अनुभाग प्रक्रिया अथवा पद्धति ग्रन्थ) में पद्धति लेखन का प्रारम्भ करते हुए एक पद्धति लिखी जिसे अभिनव ने उद्धृत किया है किन्तु उसका नाम नहीं बताया है। यह सम्भव है कि विभिन्न पद्धतियों तथा उनमें... |
श्री विद्या (अनुभाग सम्प्रदाय) विद्या देवी ललिता त्रिपुरसुन्दरी से सम्बन्धित तन्त्र विद्या का हिन्दू सम्प्रदाय है। ललितासहस्रनाम में इनके एक सहस्र (एक हजार) नामों का वर्णन है। ललितासहस्रनाम... |
में मान्यता दी है। हिन्दू धर्म, जैन धर्म और बौद्ध धर्म में योग के अनेक सम्प्रदाय हैं, योग के विभिन्न लक्ष्य हैं तथा योग के अलग-अलग व्यवहार हैं। परम्परागत... |
दिशा ली है। वेदांत दर्शन के अवांतर सम्प्रदायों में शुद्धाद्वैत के आधुनिकोन्मुखी विकास में एम.पी. तेलीवाला, केदार नाथ मिश्र एवं श्याम मनोहर गोस्वामी ने... |