हीरापुर का चौसठ योगिनी मन्दिर, उड़ीसा के हीरापुर में स्थित एक चौसठ योगिनी मंदिर है। इसे महामाया मन्दिर भी कहते हैं। मंदिर परिसर का रखरखाव अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किया जाता है। हीरापुर, उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर से 20 किमी दूर एक गाँव हैं। स्थानीय पुजारियों के अनुसार, मंदिर के पीछे की कथा यह है कि देवी दुर्गा ने एक राक्षस को हराने के लिए 64 देवी-देवियों का रूप धारण किया था।
चौसठ योगिनी मन्दिर | |
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ଚଉଷଠି ଯୋଗିନୀ ମନ୍ଦିର, ହୀରାପୁର | |
धर्म संबंधी जानकारी | |
सम्बद्धता | हिन्दू धर्म |
देवता | काली |
त्यौहार | काली पूजा |
अवस्थिति जानकारी | |
अवस्थिति | हीरापुर |
ज़िला | खुर्दा |
राज्य | ओड़ीशा |
देश | India |
भौगोलिक निर्देशांक | 20°13′35.454″N 85°52′32.141″E / 20.22651500°N 85.87559472°E 85°52′32.141″E / 20.22651500°N 85.87559472°E |
वास्तु विवरण | |
प्रकार | छतविहीन मंदिर (Hypaethral) |
आयाम विवरण | |
मंदिर संख्या | 2 |
स्मारक संख्या | 3 |
अवस्थिति ऊँचाई | 17 मी॰ (56 फीट) |
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण ९वीं शताब्दी में ब्रम्हा वंश की रानी हीरादेवी ने करवाया था। १६वीं शताब्दी के 'कालापहाड़' नामक एक मुस्लिम सेनापति ने इस मंदिर पर भी आक्रमण किया था और मूर्तियों को तोड़ा था। उसे पुरी और कोणार्क मंदिरों के विध्वंसक के रूप में जाना जाता है।
चौसठ योगिनी महोत्सव प्रति वर्ष 23 से 25 दिसम्बर के बीच आयोजित किया जाता है। इस दौरान ओड़ीसी नृत्य और संगीत का प्रदर्शन मंदिर के बाहर एक मंच पर किया जाता है।
यह मंदिर छोटा और गोलाकार है, जिसका व्यास केवल 25 फीट है। चौसठ योगिनी मन्दिरों में यह सबसे छोटा मन्दिर है। मंदिर का प्रवेश द्वार संकरा और ऊंचाई में कम है। इसकी वास्तु अन्य मंदिरों की तुलना में थोड़ी समानता रखती है। इसका निर्माण करने के लिए स्थानीय बलुआ पत्थर का उपयोग किया गया है। मूर्तियों को बनाने के लिए काले ग्रेनाइट पत्थर का उपयोग किया गया है। वृत्ताकार दीवारों के प्रत्येक गुहाओं और कोटरों में देवी प्रतिमाएँ स्थापित की गई हैं। 64 देवी मूर्तियों में से 56 अभी भी बची हुई हैं। माँ काली की मूर्ति कमरे के केंद्र में स्थित है जो यह एक मानव के सिर के ऊपर खड़ी हैं। इसे "चंडी मंडप" के नाम से भी जाना जाता है। बाहरी दीवारों पर द्वारपाल जय और विजय की आकृति उकेरी हुई हैं।
यह मंदिर देवी महामाया (चंडी देवी) और 64 योगिनियों को समर्पित है और हरे-भरे खेतों के बीच स्थापित है। स्थानीय लोग इसे "महामाया मंदिर" कहते हैं। यह मन्दिर सुबह 6 बजे से शाम 4 बजे तक मंदिर खुला रहता है। मंदिर के पट बंद होने की पूर्व संध्या पर आरती की जाती है।
इस मंदिर की स्थापना ९वीं शताब्दी में भौम वंश की रानी हीरादेवी ने की थी। ओडिशा राज्य संग्रहालय के केदारनाथ महापात्र ने 1953 में इस मंदिर की आधिकारिक खोज की थी। तब से यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत है।
इस मंदिर को देखने किसी भी मौसम में जा सकते हैं लेकिन बरसात और गर्मी के मौसम में न जाने की सलाह दी जाती है। चौसठ योगिनी मंदिर, हीरापुर गाँव में भुवनेश्वर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर है। निकटतम हवाई अड्डा भुवनेश्वर का बीजू पटनायक हवाई अड्डा है, जो सिर्फ 6 किलोमीटर दूर है। निकटतम रेलवे स्टेशन भुवनेश्वर रेलवे स्टेशन है, जो सिर्फ 5 किलोमीटर दूर है।
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