अंकोरवाट (अंग्रेजी: Angkor Wat; ख्मेर: អង្គរវត្ត) कंबोडिया में मौजूद एगो मंदिर बाटे आ ई दुनिया के सबसे बड़हन धार्मिक स्थल हवे जवन 162.6 हेक्टेयर (1,626,000 वर्गमीटर) क्षेत्रफल में बिस्तार लिहले बा। ई मूल रूप से हिंदू मंदिर के रूप में बनल रहे जवन धीरे-धीरे बौद्ध मंदिर में बदलत चलि गइल। ई ख्मेर राजा सूर्यवर्मन दूसरा के द्वारा 12वीं सदी के शुरुआत में, तत्कालीन राजधानी यशोधरपुर, जवना के अब अंकोरथोम कहल जाला, में बनवावल गइल रहे। अपने पहिले के शैव राजा लोग के परमपरा से अलग हटि सूर्यवर्मन के बनवावल के ई मंदिर विष्णु के समर्पित बाटे। ई ख्मेर शैली के सभसे नीक उदाहरण हवे आ कंबोडिया के चीन्हा के रूप में पहिचानल जाला आ उहाँ के झंडा पर भी देखावल गइल बाटे। ई कंबोडिया के सभसे प्रमुख पर्यटन आकर्षण भी बा।
अंकोर वाट អង្គរវត្ត | |
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नाँव | |
अन्य नाँव | नोकोर वाट (ख्मेर: នគរវត្ត) |
पूरा नाँव | Prasat Angkor Wat |
भूगोल | |
भूगोलीय स्थिति | 13°24′45″N 103°52′0″E / 13.41250°N 103.86667°E 103°52′0″E / 13.41250°N 103.86667°E |
देश | कंबोडिया |
क्षेत्र | अंकोर, सिएम रीप प्रांत, कंबोडिया |
भवन शैली | |
शैली | ख्मेर |
इतिहास आ प्रशासन | |
निर्माण तिथी | 12वीं सदी |
रचनाकार | सुरुआत कइलें सूर्यवर्मन II, पूरा कइलें जयवर्मन VII |
ऑफिशियल नाँव | Angkor |
प्रकार | सांस्कृतिक |
पैमाना | i, ii, iii, iv |
तिथी | 1992(16वाँ सेशन) |
रिफरेंस नं॰ | 668 |
क्षेत्र | एशिया आ प्रशांत क्षेत्र |
अंकोर वाट, ख्मेर शैली के दू गो परंपरा - मंदिर-परबत आ गैलरीदार मंदिर के मिलन के उदाहरण भी हवे। ई मेरु परबत के नकल की रूप में बनावल गइल बाटे जवन हिन्दू धर्म में प्रचलित कथा में देवता लोग के निवास अस्थान मानल जाला। ई तीन चौकोर चबूतरा नियर खण्ड में बा जवना में एक खण्ड से ऊपर वाला पर जाये खातिर सीढ़ी बनल बाटे आ हर खण्ड गैलरी के रूप में कलात्मक ढंग से सजल बाटे।
एकर आधुनिक नाँव अंकोर वाट के अर्थ मंदिर के नगर या मंदिर के राजधानी बा। खमेर भाषा में अंकोर के मतलब "शहर" बा जवन इहाँ के देसी भाषा के नोकोर से निकलल मानल जाला, जवन खुद संस्कृत के नगर के बिगाड़ से बनल हऽ। वाट माने मंदिर होला जवन खुद संस्कृत के वाट शब्द के मतलब होला।
अंकोर वाट आधुनिक सीम रीप नाँव के कस्बा से 5.5 किलोमीटर के दूरी पर उत्तर ओर बाटे आ पुरनकी राजधानी, जवन बाफुनो के लगे रहे, के थोड़िके दूर दक्खिन ओर पुरुबाहुत हटि के बाटे। अंकोर के मंदिरन में ई सभसे दक्खिन में बाटे।
कथा के मोताबिक एह मंदिर के निर्माण के आदेस इंद्र दिहले रहलें। तेरहवीं सदी के एगो चीनी यात्री इहो वर्णन कइलें बा की ई मंदिर, मानल जाला की, कौनों दिब्य आर्किटेक्ट एकही राति में बना दिहलें।
इतिहास के हिसाब से देखल जाय त ई मंदिर के सुरुआती डिजाइन बारहवीं सदी के सुरु के हिस्सा में, सूर्यवर्मन दूसरा (शासन 1113 – ल 1150 ई) बनावल गइल रहे। ई बिष्णु के समर्पित मंदिर रहे आ ई राजा के मंदिर आ एकरे आसपास के इलाका राजधानी बनावे के बिचार से डिजाइन कइल गइल रहे। एकर मूल नाँव मालुम नइखे की का रखल गइल रहे। राजा के मरला के बाद एह मंदिर के कुछ काम अधूरा रहि गइल। सूर्यवर्मन के मौत के लगभग 27 बरिस बाद इहाँ चाम लोग, जे ख्मेर लोग के परंपरागत दुश्मन रहे, के आक्रमण भइल आ अंकोर के लूट लिहल गइल। बाद में एकरा के जयवर्मन सातवाँ, जे इहाँ से थोड़ी दूर उत्तर में (अंकोर थोम आ बाद में बायन में) आपन राजधानी बनवलें, एह मंदिर के उद्धार कइलें। बारहवी सदी के अंत आवत-आवत ई मंदिर बौद्ध परभाव में आवत चलि गइल जवन अभिन ले जारी बाटे।
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