रामसेतु

७९°३१′१८″E / ९.१२१०°N ७९.५२१७°E / 9.1210; 79.5217

रामसेतु (तमिल: இராமர் பாலம்- रामर पालम, मलयालम: രാമസേതു- रामसेतु, अङ्ग्रेजी: Adam's Bridge- आदमक पुल) भारतक दक्षिणमे अवस्थित तमिलनाडुक दक्षिण पूर्वी तटक किनारमे रामेश्वरम द्वीप तथा श्रीलंकाक उत्तर पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीपक मध्य चुना पत्थरसँ बनल एक शृङ्खला छी । भौगोलिक प्रमाणसभसँ पता चलल अछि की कोनो समय ई सेतु भारत तथा श्रीलंकाकें भू मार्गसँ आपसमे जोड़ैत अछि । हिन्दू पुराणसभक मान्यताक अनुसार ई सेतुक निर्माण अयोध्याक राजा राम श्रीरामक सेनाक दुई सैनिक नल-निलद्वारा कएल गेल वर्णन रामायणमे मिलैत अछि । नल आ निल वानर छल आ सुग्रीवक वानर सेना छल ।

रामसेतु
आकाशसँ रामसेतुक दृश्य

ई बाँध ४८ किलोमिटर (३० माइल) लम्बा अछि तथा मन्नारक खाड़ीकें (दक्षिण पश्चिम) पाक जलडमरूमध्य (उत्तर पूर्व) सँ अलग करैत अछि । एकर किछ बलुवा तट शुष्क अछि तथा ई क्षेत्रमे समुद्र बहुत इजोतगर अछि, किछ स्थानसभ पर मात्र ३ फिट सँ ३० फिट (१ मिटर सँ १० मिटर) जे पनिया नावसभक लेल मुश्किल खड़ा करैत अछि । समुद्रमे रहल बाँधक स्थान कथित रूपसँ १५ शताब्दीधरि पैदल पार करवाक योग्य छल जाबे धरि की तीव्र तूफानसभ ई समुद्रकें ओ भागकें गहीर बनाए देलक । मन्दिरक अभिलेखसभक अनुसार रामसेतु पूर्ण रूपसँ सागरक जलसँ ऊपर अवस्थित छल, जाबे धरि की एकरा सन् १४८० मे एक चक्रवात तहस नहस नै करि देलक ।

नाम

सेतुक उल्लेख सभसँ पहिने प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य वाल्मीकि रामायणमे कएल गेल छल । रामक सेतु या राम सेतुक नाम हिन्दू धर्मशास्त्रमे रामक वानर सेनाद्वारा बनाएल गेल बाँधक वर्णन करैत अछि । ई बाँध वानर सेना नलक निर्देशन पर निर्माण भेल छल । ई सेतु निर्माणक मुख्य उद्देश्य लंका पहुँचि राक्षस राजा रावणसँ सीताकें रक्षा केनाए छल । हिन्दू धर्मग्रन्थ रामायणमे ई सेतु निर्माणक श्रेय रामके देल गेल अछि जकर वर्णन २-२२-७६ पद्यमे उल्लेख कएल गेल अछि जाहिमे एकर नाम सेतुबन्धनम कहल गेल अछि ।

भारत आ श्रीलंकाकें अलग करैवला समुद्रकें सेतुसमुद्रम कहल जाइत अछि जकर अर्थ सागरक बाँध होइत अछि । तञ्जवुर सरस्वती महल पुस्तकालय में उपलब्ध, सन् १७४७ में डच मानचित्रकारद्वारा तैयार कएल गेल मानचित्रमे ई क्षेत्रकें रमणकोइल कहल गेल अछि जकर सम्वादात्मक तमिल रूप रमण कोविल (या रामक मन्दिर) होइत अछि । सन् १७८८ मे जे राइनेलद्वारा तैयार कएल गेल मुगल भारतक एक अन्य नक्सा जे ओहि पुस्तकालयसँ लेल गेल अछि, ओ नक्सामे सेहो ई क्षेत्रक नाम राम मन्दिर क्षेत्र कहल गेल अछि आ रामेश्वरममे रामकें समर्पित मन्दिरक वर्णन अछि । स्वार्जबर्गक ऐतिहासिक एट्लसक बहुतेक अन्य नक्सामेआ मार्को पोलोद्वारा यात्रा पाठ ई क्षेत्रकें सेतुबन्धसेतुबन्ध रामेश्वरम कहने अछि ।

पश्चिमी दुनियाकें पहिल बेर ९अम शताब्दीमे ऐतिहासिक कार्य इब्न खोरदादबेहद्वारा अपन पुस्तक बुक अफ रोड्स एन्ड किङ्गडम्स (c. 850)मे एकर उल्लेख सेट बन्धाई या सागरक पुल कऽ रूपमे उल्लेख केनए अछि । बादमे, एलबेरुनी एकर वर्णन केनए छल । एडम्स बाँध कऽ नामसँ नामाङ्कित पहिल नक्सा सन् १८०४ मे ब्रिटिश मानचित्रकारद्वारा तैयार कएल गेल छल ।किछ प्रारम्भिक इस्लामी सूत्रसभ श्रीलंकामे अवस्थित एक पर्वतकें एडम्स पर्वतक रूपमे उल्लेख केनए अछि ।

स्थान

रामसेतु 
सन् १९६४ मे आएल चक्रवातसँ पहिने रामसेतु आ परिदृश्यक ऐतिहासिक नक्सा

ई बाँध भारतक पाम्बन द्वीपक धनुषकोड़ीसँ किनार श्रृङ्खलाक रूपमे शुरू होइत अछि आ श्रीलंकाक मन्नार द्वीपमे समाप्त होइत अछि । पाम्बन द्वीप भारतीय मुख्य भूमिसँ २ किलोमिटर लम्बा पाम्बन बाँधसँ अर्द्ध-जुड़ल अछि । मन्नार द्वीप मुख्यभूमि श्रीलंकासँ एक पक्का सड़कद्वारा जुड़ल अछि । भारत आ श्रीलंकाक बीच रहल अन्तर्राष्ट्रिय सीमा दुनियामे सभसँ छोट भूमि सीमासभमे सँ एककें गठन करैक लेल एकर किनार जिम्मेवार अछि । रामसेतु आ पड़ोसी क्षेत्रसभ जेना रामेश्वरम, धनुषकोड़ी, देविपट्टिनम आ थिरुपल्लानीक वर्णन रामायणमे विभिन्न किम्वदन्तिसभक सन्दर्भमे कएल जाइत अछि ।

यातायात आ पथ प्रदर्शन

रामसेतु 
भारतीय मुख्य भूमिसँ पाम्बन द्वीपधरि रेल बाँध
रामसेतु 
भारतीय मुख्यभूमिसँ पाम्बन द्वीप जोड़वला पाम्बन रेल बाँधक निर्माण सन् १९१४ मे भेल छल ।

भारतीय मुख्य भूमिसँ रामेश्वरमक छोट बन्दरगाह पाम्बन द्वीप (तमिलनाडु, भारत) लगभग २ किलोमिटर दुर अछि । पाम्बन जलधाराक पार करैत पाम्बन बाँध भारतक मुख्यभूमि आ पाम्बन द्वीपक जोड़ैत अछि । ई दूनू सड़क बाँध आ एक तोहेदार रेलवे बाँधकें सन्दर्भित करैत अछि । छोट नौकासभ २,०६५ मिटर-लम्बा (६,७७५ फिट) सड़क बाँधक नीचासँ चलि जाइत अछि तँ रेलवे बाँध दूनू दिस खुजि जाइत अछि ।

पैग नौका जहाजसभ पाम्बन जलधाराक हिलकोर मारैत पानिमे नै जा सकैत अछि कियाकी पथ प्रदर्शनमे समस्या विद्यमान अछि । पाम्बन जलधारामे तलकर्षण केनाए बेसी लागत ऐबाक सम्भवाना छल जाहि कारण राम सेतु क्षेत्रक जलधारामे तलकर्षण कएल जेबाक निष्कर्ष निकालल गेल जतय पानि तुलनात्मक रूपसँ कम गहीर आ कम गहीर सतह छल । याह कारण, सन् २००५ मे भारत सरकारद्वारा सेतुसमुद्रम सेतुसमुद्रम जलयात्रा नहर परियोजनाकें मञ्जूरी दऽ देलक, जकर उद्देश्य राम सेतुमे पाक जलसन्धि काटैत एक जलधारा बनेनाए छल ।विभिन्न सङ्गठनसभ धार्मिक, आर्थिक आ पर्यावरणीय आधार पर आधारित ई परियोजनाक विरोध केनए अछि आ चर्चाक पहिल चरणक दौरान वैकल्पिक संरेखणक कार्यान्वयनक माङ्ग केनए अछि ।

श्रीलंकामे तलाईमन्नारक संग भारतक धनुषकोडीकें एक नौका सेवासँ जोड़ल गेल । ब्रिटिश शासनक दौरान ई सेवा इन्डो-सिलोन रेलवे सेवा कऽ हिस्सा छल । कियो चेन्नईसँ कोलम्बो धरिक रेलवे टिकट खरीद सकैत छल, जाहिमे लोक रेलवेद्वारा चेन्नईसँ पाम्बन द्वीपधरि यात्रा करैत छल, नौकासँ तलाईमन्नारधरि जाइत छल, आ फेर कोलम्बो रेलसँ यात्रा करैत छल । सन् १९६४ मे एकटा ट्रेन रेलवे स्टेसन पहुँचैवला छल की एक चक्रवात धनुषकोडीकें पूर्ण रूपसँ नष्ट करि देलक । पाक खाड़ी आ पाक जलसन्धिक तटसभक संग रेलपटरी आ घाटकें भारी क्षति भेल । धनुषकोडीकें पुन: नै बनाएल गेल आ ट्रेन अपन यात्रा वर्तमानमे रामेश्वरममे समाप्त करि दैत अछि ।

बादमे धनुषकोडीसँ तलाईमन्नारधरि एक छोट नौका सेवा छल, मुदा सन् १९८२ कें मध्यमे एकरा श्रीलंका सरकारक सैनिक आ अलगाववादी एलटिटिईक बीचक लड़ाईक कारण निलम्बित करि देल गेल छल ।

भूवैज्ञानिक विकास

सुझाव आ भ्रमक बहुतेक विविधता ई संरचनाक प्रकृति आ उत्पत्तिक बारेमे विद्यमान अछि । १९हम शताब्दीमे, ई संरचनाकें सम्बन्धमे दुई प्रमुख सिद्धान्त कायम छल । एकटा सिद्दान्त अनुसार ई मानल जाइत अछि की ई भूमि बढ़वाक प्रक्रियाक कारण गठित भेल, जबकि अन्य सिद्दान्त ई अनुमान लगेने छल की ई भारतीय मुख्य भूमिसँ श्रीलंकाकें तोड़वाक लेल स्थापित कएल गेल छल । बादमे भेटल पैग आयातकार पत्थरपर लकीरसभ ई संरचना कृतिम भेल बातकें जन्म देलक ।

मद्रास विश्वविद्यालयक प्राकृतिक खतरा आ आपदा अध्ययन केन्द्रक भी राम मोहनक अनुसार, द्वीप श्रृङ्खलाक भूवैज्ञानिक विकासक पुनर्निर्माण एक चुनौतीपूर्ण कार्य छी आ एकर अध्ययन परिस्थितिजन्य साक्ष्यसभक आधार पर कएल जेवाक चाही

उमर

प्रारम्भिक सर्वेक्षण आ निकर्षणक प्रयाससभ

सेतुसमुद्रम जलयात्रा नहर परियोजना

विवादित मूल

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