भारतक राष्ट्रीय ध्वज जेकरा तिरङ्गा सेहो कहल जाइत अछि, तीन रङ्गक क्षैतिज पट्टिसभक बीच नील रङ्गक एक चक्र द्वारा सुशोभित ध्वज छी। एकर अभिकल्पना पिङ्गली वैङ्कैया केनए छल। एकरा १५ अगस्त १९४७ मे अङ्ग्रेजसभसँ भारतक स्वतन्त्रताक किछ ही दिन पूर्व २२ जुलाई, १९४७ मे आयोजित भारतीय संविधान-सभाक बैठकमे अपनाएल गेल छल। एहीमे तीन समान चौडाईक क्षैतिज पट्टिसभ अछि, जाहिमे सभसँ ऊपर केसरिया, बीचमे श्वेत आ नीचा गाढा हरियर रङ्गक पट्टी अछि। ध्वजक लम्बाई एवं चौडाईक अनुपात ३:२ अछि। श्वेत पट्टी के मध्यमे गाढा नील रङ्गक एक चक्र अछि जाहिमे २४ चक्र होइत अछि। ई चक्र के व्यास लगभग श्वेत पट्टीक चौडाई के बराबर होइत अछि आ रूप सारनाथमे स्थित अशोक स्तम्भ के शेर के शीर्षफलक के चक्रमे देखइ वाला के अनुरुप होइत अछि।
राष्ट्रीय झण्डा निर्दिष्टीकरण के अनुसार झण्डा खादीमे ही बनेवाक चाहि। ई एक विशेष प्रकारसँ हातसँ काते गेल कपडासँ बनैत अछि जे महात्मा गान्धी द्वारा लोकप्रिय बनाएल गेल छल। ई सभ विशिष्टतासभक व्यापक रूपसँ भारतमे सम्मान देल जाइत अछि भारतीय ध्वज संहिता के द्वारा एकर प्रदर्शन आ प्रयोग पर विशेष नियन्त्रण अछि। ध्वजक हेराल्डिक वर्णन एही प्रकारसँ होइत अछि:
गान्धी जी सभसँ पहिने १९२१ मे काङ्ग्रेस के अपन झण्डाक बात केनए छल। ई झण्डाक पिङ्गली वेङ्कैया डिजाइन केनए छल। एहीमे दुईटा रङ्ग छल लाल रङ्ग हिन्दुसभक लेल आ हरा रङ्ग मुस्लिमसभक लेल। बीचमे एक चक्र छल। बादमे एहीमे अन्य धर्मसभक लेल श्वेत रङ्ग जोडल गेल। स्वतन्त्रता प्राप्तिसँ किछ दिन पहिने संविधान सभा राष्ट्रध्वजक संशोधित केलक। एहीमे चरखाक जगह अशोक चक्र लेलक। ई नयाँ झण्डाक देशक दोसर राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन फेरसँ व्याख्या केलक।
२१ फीट गुणा १४ फीट के झण्डा पूरा देशमे केवल तीन किलाक ऊपर फहराएल जाइत अछि। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिल्लामे स्थित किला ओहीमे सँ एक छी। एकर अतरिक्त कर्नाटकक नारगुन्ड किला आ महाराष्ट्रक पनहाला किला पर सेहो सभसँ लम्बा झण्डाक फहराएल जाइत अछि।
१९५१ मे पहिल बेर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) पहिल बेर राष्ट्रध्वजक लेल किछ नियम निर्माण केलक। १९६८ मे तिरङ्गा निर्माणक मानक फिक्सड कएल गेल। ई नियम अत्यन्त कडा अछि। केवल खादी वा हात सँ कातल गेल कपडा ही झण्डा बनावे के लेल उपयोग कएल जाइत अछि। कपडा बुनए सँ लके झण्डा बनए धरि के प्रक्रियामे अनेकौं बेर एकर टेस्टिङ्ग कएल जाइत अछि। झण्डा बनावे के लेल दुई प्रकारक खादी के प्रयोग कएल जाइत अछि। एक ओ खादी जाहिसँ कपडा बनैत अछि आ दोसर खादी-टाट। खादी के केवल कपास, रेशम आ ऊन के प्रयोग कएल जाइत अछि। एतेक धरि की एकर बुनाई सेहो सामन्य बुनाई सँ भिन्न होइत अछि। ई बुनाई बेहद दुर्लभ होइत अछि। एकरा केवल पूरा देशक एक दर्जनसँ सेहो कम लोग जनैत अछि। धारवाण के निकट गदग आ कर्नाटकक बागलकोटमे ही खादी के बुनाई कएल जाइत अछि। मुद्दा '''हुबली''' एक मात्र लाइसेन्स प्राप्त संस्थान छी जतय सँ झण्डा उत्पादन आ आपूर्ति कएल जाइत अछि। बुनाई सँ लके बजारमे पहुँचे धरि अनेकौं बेर बीआईएस प्रयोगशालासभमे एकर परीक्षण होइत अछि। बुनाई के बाद सामग्रीक परीक्षण के लेल भेजल जाइत अछि। कडा गुणवत्ता परीक्षण के बाद ओकरा फेरसँ कारखाना भेज देल जाइत अछि। एकर बाद ओकरा तीन रङ्गमे रङ्गल जाइत अछि। केन्द्रमे अशोक चक्र के काढल जाइत अछि। ओकर बाद एकरा फेर परीक्षण के लेल भेजल जाइत अछि। बीआईएस झण्डासभक जाँच करैत अछि एकर बाद ही एकरा बजारमे बेचए के लेल भेजल जाइत अछि।
ई ध्वज भारतक स्वतन्त्रता के सङ्ग्राम कालमे निर्मित कएल गेल छल। १८५७ मे स्वतन्त्रताक पहिल सङ्ग्रामक समय भारत राष्ट्रक ध्वज बनावे के योजना बनल छल, मुद्दा ओ आन्दोलन असमय ही समाप्त भऽ गेल छल आ ओकर साथ ही ओ योजना सेहो बीचमे ही अटक गेल छल। वर्तमान रूपमे पहुँचे सँ पूर्व भारतीय राष्ट्रीय ध्वज अनेक चरणसँ सँ गुजरैत अछि। ई विकासमे ई भारतमे राजनैतिक विकासक परिचायक सेहो अछि। किछ ऐतिहासिक चरण ई प्रकार अछि :-
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