अनचिन्हार आखर मैथिली गजल एवं शेरो-शाइरीक उपर केंद्रित वेब पत्रिका अछि। 2011मे अही पत्रिकाक नामपर आशीष अनचिन्हारक पोथी सेहो श्रुति प्रकाशनसँ प्रकाशित भेलै।
11/4/2008केँ “अनचिन्हार आखर” नामक ब्लाग इंटरनेटपर आएल। अनचिन्हार आखर केर छोटका नाम " अ-आ " राखल गेल अछि। ई ब्लाग आशीष अनचिन्हार द्वारा शुरू कएल गेल छल आ समय-समयपर आन-आन गजलकार सभकेँ जोड़ल गेल। वर्तमानमे ई ब्लाग आशीष अनचिन्हार आ गजेन्द्र ठाकुर द्वारा संपादित भऽ रहल अछि।एहि ब्लागपर खाली गजल, शेरो-शाइरी ओ एहीसँ संबंधित रचना देल जाइत अछि। इंटरनेटक संसारमे मैथिली गजलकेँ स्थापित आ ओहिसँ बाहर लोकप्रिय करबाक श्रेय अनचिन्हारे आखरकेँ छै। इंटरनेटक संसारमे अनचिन्हार आखरक अलग ओ बेछप स्थान छै।
एहि ब्लागक मुख्य उद्देश्य गजलकेँ लोकप्रिय बनाएब, गजलक मानकीकरण आ ओकर व्याकरण बनाएब अछि। संगहि-संग ई ब्लाग गजलक आडिओ-विडिओ, कैसेट आ सीडीक निर्माणमे अपन सहभागिता सेहो राखत। तकरा पछाति एहि ब्लागक मुख्य ध्येय मायानंद मिश्रक ओहि कथन के खंडन करब रहत जाहिमे ओ कहने छथि जे मैथिली मे गजल लिखले नहि जा सकैए (ई उद्येश्य तहिया छल जहिया ऐ ब्लागक निर्माण भेल छल आब ई उद्येश्य पूरा भऽ गेल ( सी.डी आ वीडियो बला छोड़ि कऽ)। वर्तमान समय मने 2014सँ आब एकर उद्येश्य सी.डी आ वीडियो संग ईहो रहत जे मैथिलीमे कोना एक समयमे 75-100 टा गजलकार रचनारत रहथि।
वर्तमान समयमे अनचिन्हार आखरक प्रकाशन सहयोगी गणक रचनापर आधारित अछि। सहयोगी बिना कोनो रोक-टोककेँ कोनो समय अपन रचना प्रकाशित कऽ सकै छथि। आ ओहि रचनापर आएल टिप्पणीकेँ आत्मसात कऽ सकै छथि। एहि ठाम अपन रचना प्रकाशित करबाक लेल कोनो संपादकीय रोक नै छै आ शायद एही कारणसँ अनचिन्हार आखर मैथिली साहित्यमे सभसँ बेसी आ उर्जावान रचनाकारकेँ देलक अछि।
1) अ-आ प्रिंट वा इंटरनेटपर पहिल उपस्थिति अछि जे की मात्र आ मात्र मैथिली गजल एवं गजल अधारित विधापर केन्द्रित अछि।
2) अ-आ केर आग्रहपर श्री गजेन्द्र ठाकुर जी गजलशास्त्र लिखला जे की मैथिलीक पहिल गजलशास्त्र भेल।
3) अ-आ द्वारा "गजल कमला-कोसी-बागमती-महानन्दा सम्मान" केर शुरूआत भेल। जे की स्वतन्त्र रूपें गजल विधा लेल पहिल सम्मान अछि।
4) अ-आ केर ई सौभाग्य छै जे ओ मैथिली बाल गजल नामक नव विधाकेँ जन्म देलक आ ओकर पोषण केलक। मैथिली भक्ति गजल सेहो अ-आ केर देन अछि। विदेहक अङ्क 111 पूर्ण रूपेण बाल-गजल विशेषांक अछि आ अङ्क 126 भक्ति गजल विशेषांक।
5) बर्ख 2008 आ 2015 माँझ करीब 30टासँ बेसी गजलकार मैथिली गजलमे एलाह। ई गजलकार सभ पहिनेसँ गजल नै लिखै छलाह। सङ्गे-सङ्ग करीब 5टा समीक्षक-आलोचक सेहो एलाह।
6) पहिल बेर मैथिली गजलक क्षेत्रमे एकै बेर करीब 16-17 टा आलोचना लिखाएल।
7) अ-आ मैथिली गजलकेँ विश्वविद्यालय ओ यू.पी.एस.सी एवं बी.पी.एस.सीमे स्थान दिएबाक अभियान चलौने अछि आ एकटा माडल सिलेबस सेहो बना क' प्रस्तुत केने अछि।
8) अ-आ प. जीवन झा जीक मृत्यु केर अंग्रेजी तारीख पता लगा ओकरा गजल दिवस मनेबाक अभियान चलौने अछि।
9) अ-आ 1905सँ ल' क' 2013 धरिक गजल सङ्ग्रहक सूची एकट्ठा ओ प्रकाशित केलक ( व्याकरणयुक्त एवं व्याकरणहीन दूनू )।
10) अ-आ अधिकांश गजलकारक ( व्याकरण युक्त एवं व्याकरणहीन दूनू ) संक्षिप्त परिचय प्रस्तुत केलक।
11) अ-आ 62 खण्डमे गजलक इस्कूल नामक श्रृखंला चलौलक जे की समान्य पाठकसँ ल' क' गजलकार धरि लेल समान रूपसँ उपयोगी अछि।
12) अ-आ मैथिलीमे पहिल बेर आन-लाइन मोशयाराक आरम्भ केलक आ ई बेस लोकप्रिय भेल।
13) मैथिली गजल आ अन्य भारतीय भाषाक गजल बीच संबंध बनेबाक लेल "विश्व गजलकार परिचय शृखंला" शुरू कएल गेल।
अनचिन्हार आखरक एही काज सभकेँ देखैत मैथिली गजलक पहिल अरूजी गजेन्द्र ठाकुर 2008क बाद सँ लऽ कऽ वर्तमान कालखंडकेँ "अनचिन्हार युग" केर नाम देलाह।
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