अरुण (Uranus; प्रतीक: ), या यूरेनस हमारे सौर मण्डल में सूर्य से सातवाँ ग्रह है। व्यास के आधार पर यह सौर मण्डल का तीसरा बड़ा और द्रव्यमान के आधार पर चौथा बड़ा ग्रह है। द्रव्यमान में यह पृथ्वी से १४.५ गुना अधिक भारी और अकार में पृथ्वी से ६३ गुना अधिक बड़ा है। औसत रूप में देखा जाए तो पृथ्वी से बहुत कम घना है - क्योंकि पृथ्वी पर पत्थर और अन्य भारी पदार्थ अधिक प्रतिशत में हैं जबकि अरुण पर गैस अधिक है। इसीलिए पृथ्वी से तिरेसठ गुना बड़ा अकार रखने के बाद भी यह पृथ्वी से केवल साढ़े चौदह गुना भारी है। हालांकि अरुण को बिना दूरबीन के आँख से भी देखा जा सकता है, यह इतना दूर है और इतनी माध्यम रोशनी का प्रतीत होता है के प्राचीन विद्वानों ने कभी भी इसे ग्रह का दर्जा नहीं दिया और इसे एक दूर टिमटिमाता तारा ही समझा। १३ मार्च १७८१ में [[विलियम हरशॅल मोइन हरसल ने इसकी खोज की घोषणा करी। अरुण दूरबीन द्वारा पाए जाने वाला पहला ग्रह था।
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खोज | ||||||||||
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खोज कर्ता | William Herschel | |||||||||
खोज की तिथि | March 13, 1781 | |||||||||
उपनाम | ||||||||||
विशेषण | Uranian | |||||||||
युग J2000 | ||||||||||
उपसौर |
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अपसौर |
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अर्ध मुख्य अक्ष |
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विकेन्द्रता | 0.044 405 586 | |||||||||
परिक्रमण काल |
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संयुति काल | 369.66 days | |||||||||
औसत परिक्रमण गति | 6.81 km/s | |||||||||
औसत अनियमितता | 142.955 717° | |||||||||
झुकाव | 0.772 556° to Ecliptic 6.48° to Sun's equator 1.02° to Invariable plane | |||||||||
आरोही ताख का रेखांश | 73.989 821° | |||||||||
उपमन्द कोणांक | 96.541 318° | |||||||||
उपग्रह | 27 | |||||||||
भौतिक विशेषताएँ | ||||||||||
विषुवतीय त्रिज्या | 25,559 ± 4 km 4.007 Earths | |||||||||
ध्रुवीय त्रिज्या | 24,973 ± 20 km 3.929 Earths | |||||||||
सपाटता | 0.022 9 ± 0.000 8 | |||||||||
परिधि | 159,354.1 km | |||||||||
तल-क्षेत्रफल | 8.115 6×109 km2 15.91 Earths | |||||||||
आयतन | 6.833×1013 km3 63.086 Earths | |||||||||
द्रव्यमान | (8.6810 ± 0.0013)×1025 kg 14.536 Earths GM=5 793 939 ± 13 km3/s2 | |||||||||
माध्य घनत्व | 1.27 g/cm3 | |||||||||
विषुवतीय सतह गुरुत्वाकर्षण | 8.69 m/s2 0.886 g | |||||||||
पलायन वेग | 21.3 km/s | |||||||||
नाक्षत्र घूर्णन काल | 0.718 33 day (Retrograde) 17 h 14 min 24 s | |||||||||
विषुवतीय घूर्णन वेग | 2.59 km/s 9,320 km/h | |||||||||
अक्षीय नमन | 97.77° | |||||||||
उत्तरी ध्रुव दायां अधिरोहण | 17 h 9 min 15 s 257.311° | |||||||||
उत्तरी ध्रुवअवनमन | −15.175° | |||||||||
अल्बेडो | 0.300 (Bond) 0.51 (geom.) | |||||||||
सतह का तापमान 1 bar level 0.1 bar (tropopause) |
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सापेक्ष कांतिमान | 5.9 to 5.32 | |||||||||
कोणीय व्यास | 3.3"–4.1" | |||||||||
वायु-मंडल | ||||||||||
स्केल हाईट | 27.7 km | |||||||||
संघटन | (Below 1.3 bar)
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हमारे सौर मण्डल में चार ग्रहों को गैस दानव कहा जाता है, क्योंकि इनमें मिटटी-पत्थर की बजाय अधिकतर गैस है और इनका आकार बहुत ही विशाल है। अरुण इनमे से एक है - बाकी तीन बृहस्पति, शनि और वरुण (नॅप्टयून) हैं। इनमें से अरुण की बनावट वरुण से बहुत मिलती-जुलती है। अरुण और वरुण के वातावरण में बृहस्पति और शनि के तुलना में बर्फ़ अधिक है - पानी की बर्फ़ के अतिरिक्त इनमें जमी हुई अमोनिया और मीथेन गैसों की बर्फ़ भी है। इसलिए कभी-कभी खगोलशास्त्री इन दोनों को "बर्फ़ीले गैस दानव" नाम की श्रेणी में डाल देते हैं। सौर मण्डल के सारे ग्रहों में से अरुण का वायुमण्डल सब से ठण्डा पाया गया है और उसका न्यूनतम तापमान -४९ कैल्विन (यानी -२२४° सेण्टीग्रेड) देखा गया है। इस ग्रह में बादलों की कई तहें देखी गई हैं। मानना है के सब से नीचे पानी के बादल हैं और सब से ऊपर मीथेन गैस के बादल हैं। यह भी माना जाता है कि यदि किसी प्रकार अरुण के बिलकुल बीच जाकर इसका केन्द्र देखा जा सकता तो वहाँ बर्फ़ और पत्थर पाए जाते।
युरेनस प्रत्येक ८४ पृथ्वी वर्षों में सूर्य का एक चक्कर लगाता है। इसकी सूर्य से औसत दूरी लगभग ३ अरब कि॰मी॰ (२० ख.ई.) है। युरेनस पर सूर्य प्रकाश की तीव्रता पृथ्वी पर की तुलना में लगभग १/१४०० है। सबसे पहले इसके कक्षीय तत्वों की गणना १७८३ में पियरे-सीमोन लाप्लास द्वारा की गई थी | समय के साथ, अनुमानित और अवलोकित कक्षाओं के बीच की विसंगतियां नज़र आनी शुरू हो गई और १८४१ में जॉन काउच एडम्स ने सबसे पहले प्रस्तावित किया कि यह अंतर किसी अदृश्य ग्रह के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव के कारण हो सकता है। १८४५ में, उर्बैन ली वेर्रिएर ने यूरेनस की कक्षा पर अपना स्वतंत्र अनुसंधान शुरू किया | २३ सितंबर १८४६ को जोहान गोटफ्राइड गाले ने एक नया ग्रह खोजा, बाद में इसका नाम नेपच्यून रखा गया, यह ली वेर्रिएर द्वारा अनुमान लगाईं गई स्थिति के करीब था।
युरेनस के भीतर की घूर्णन अवधि १७ घंटे, १४ मिनट है। सभी महाकाय ग्रहों की तरह, इसका उपरी वायुमंडल भी घूर्णन की दिशा में बहुत शक्तिशाली हवाओं को महसूस करता है। कुछ अक्षांशों पर जैसे कि भूमध्य रेखा से दक्षिण ध्रुव की ओर के दो-तिहाई रास्ते पर, वातावरण की दृश्य आकृतियां बहुत तेजी से चलती है और छोटे से छोटा १४ घंटों का एक पूर्ण घूर्णन बनाती है।
युरेनस का अक्षीय झुकाव ९७.७७ डिग्री है, इसलिए इसकी घूर्णन धूरी सौरमंडल तल के साथ करीब करीब समानांतर है। यह उसको अन्य प्रमुख ग्रहों के विपरीत पूरी तरह से भिन्न मौसमी परिवर्तन देता है। अन्य ग्रह सौरमंडल तल पर डोलते लट्टुओं की तरह घूमते हुए देखे जा सकते हैं, जबकि युरेनस एक डोलती लुढ़कती गेंद की तरह परिभ्रमण करता है। युरेनस संक्रांति के वक्त के करीब, एक ध्रुव लगातार सूर्य के सामने रहता है जबकि दूसरा ध्रुव परे रहता है। केवल भूमध्यरेखा के आसपास का संकरा पट्टा द्रुत दिन-रात के चक्रों को महसूस करता है, लेकिन क्षितिज पर बहुत नीचे सूर्य के साथ साथ जिस तरह से पृथ्वी के ध्रुवीय क्षेत्रों में होता है। यूरेनस की कक्षा के दूसरी ओर पर सूर्य के सामने के ध्रुवों का अभिविन्यास उलट है। प्रत्येक ध्रुव ४२ वर्षों के आसपास लगातार उजाला पाता है, फिर अगले ४२ वर्ष अँधेरे में गुजारता है। विषुवों के समय के पास, सूर्य युरेनस के विषुववृत्त के सामने होता है और दिन-रात के चक्रों की एक समयावधि देता है, उसी तरह जैसी वह अधिकतर अन्य ग्रहों में देखी गई। युरेनस अपने सबसे हाल के विषुव पर ७ दिसम्बर २००७ को पहुंचा |
उत्तरी गोलार्ध | वर्ष | दक्षिणी गोलार्ध |
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दक्षिणायन | १९०२, १९८६ | उत्तरायण |
वसंत-विषुव | १९२३, २००७ | शरद-विषुव |
उत्तरायण | १९४४, २०२८ | दक्षिणायन |
शरद-विषुव | १९६५, २०४९ | वसंत-विषुव |
इस अक्षीय झुकाव का एक परिणाम यह है कि, वर्ष के औसत काल में, युरेनस के ध्रुवीय क्षेत्र इसके भूमध्यरेखीय क्षेत्रों की तुलना में सूर्य से निवेशित ऊर्जा का वृहत्तर हिस्सा प्राप्त करते हैं। फिर भी युरेनस, अपने ध्रुवों पर की तुलना में अपनी भूमध्यरेखा पर ज्यादा तप्त है। इसके लिए उत्तरदायी अंतर्निहित तंत्र अज्ञात है। यूरेनस के असामान्य धुरिय झुकाव का कारण भी निश्चितता के साथ ज्ञात नहीं है, लेकिन हमेशा की तरह अटकलें यह है कि सौरमंडल निर्माण के दौरान, एक पृथ्वी के आकार का आदिग्रह यूरेनस के साथ टकराया और इस विषम अभिविन्यास का कारण बना | १९८६ में वोएजर २ के गुजारे के समय यूरेनस का दक्षिण ध्रुव तकरीबन सीधे सूर्य की ओर था। ग्रह के घूर्णन की दिशा के मौजूद होने के बावजूद, "दक्षिण" के रूप में पहचान के लिए इसका ध्रुव हाल के अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा समर्थित परिभाषा का उपयोग करता है। अर्थात् कि ग्रह या उपग्रह का उत्तरी ध्रुव वह ध्रुव होगा जो सौरमंडल के अविकारी तल के ऊपर की ओर होगा। कभी कभी एक भिन्न परिपाटी प्रयोग की जाती है, जिसमें एक पिंड के उत्तर और दक्षिण ध्रुवों को घूर्णन की दिशा के संबंध में दक्षिण-हस्त नियम के अनुसार परिभाषित किया जाता है। इस दूसरी निर्देशांक प्रणाली की शर्तों में यूरेनस का उत्तर ध्रुव वह था जो १९८६ में सूर्य की ओर था।
१९९५ से २००६ तक, यूरेनस का आभासी परिमाण + ५.६ और + ५.९ के बीच घटता-बढ़ता रहा, नग्न आंखों की दृश्यता की सीमा के ठीक भीतर रखने पर परिमाण + ६.५ का होता है। इसका कोणीय व्यास ३.४ और ३.७ आर्क सेकण्ड है, तुलना के लिए शनि ग्रह के लिए १६ से २० आर्क सेकण्ड और बृहस्पति के लिए ३२ से ४५ आर्क सेकण्ड है। विमुखता पर, युरेनस रात्रि आकाश में नग्न आँखों से दिखता है और दूरबीन के साथ शहरी परिवेश में भी एक आसान लक्ष्य बन जाता है। १५ और २३ से.मी. व्यास के बड़े शौकिया दूरबीनों में के साथ, यह ग्रह एक हल्की हरी नीली चकती के जैसा नज़र आता है। २५ से.मी. या इससे व्यापक की एक बड़ी दूरबीन के साथ, बादल के स्वरूप को, यहाँ तक कि कुछ बड़े उपग्रहों को, जैसे कि टाईटेनिया और ओबेरोन को, देख सकते हैं।
युरेनस का द्रव्यमान पृथ्वी की तुलना में १४.५ गुना है, जो वृहदाकार ग्रहों में सबसे कम है। इसकी त्रिज्या नेप्चून की तुलना में थोड़ी सी ज्यादा और पृथ्वी की त्रिज्या की चार गुना है। नतीजतन, १.२७ ग्रा./से.मी.३ का घनत्व युरेनस को शनि के बाद सबसे कम घना ग्रह बनाता है। यह मान इंगित करता है कि यह मुख्य रूप से विभिन्न प्रकार के बर्फों से बना है, जैसे कि जल, अमोनिया और मीथेन | यूरेनस के आंतरिक भाग में बर्फ की समग्र मात्रा ठीक से ज्ञात नहीं है, मॉडल के चुनाव के हिसाब से अलग अलग आंकड़े उभरकर सामने आते है, यह पृथ्वी के द्रव्यमान के ९.३ और १३.५ के बीच होना चाहिए | हाइड्रोजन और हीलियम समग्र का केवल एक छोटा सा हिस्सा बनाते है (०.५ और १.५ पृथ्वी द्रव्यमान के बीच) | शेष गैर-बर्फ की मात्रा (०.५ से ३,७ पृथ्वी द्रव्यमान) चट्टानी सामग्री से बनी है।
यूरेनस संरचना का मानक मॉडल यह है कि यह ग्रह तीन परतों से बना है: केंद्र में एक चट्टानी कोर (सिलिकेट/लोहा-निकल), मध्य में एक बर्फीला मेंटल और एक बाहरी गैसीय (हाइड्रोजन/हीलियम) छिलका | कोर ०.५५ पृथ्वी द्रव्यमान के साथ अपेक्षाकृत छोटा है और त्रिज्या युरेनस की २०% त्रिज्या से कम है, मेंटल १३.४ पृथ्वी द्रव्यमान के साथ ग्रह की एक बड़ी राशि सम्मिलित करता है, जबकि ऊपरी वायुमंडल ०.५ पृथ्वी द्रव्यमान की तौल के साथ तुलनात्मक रूप से अवास्तविक है और युरेनस के आखिरी किनारे की २०% त्रिज्या पर विस्तारित है। युरेनस के कोर का घनत्व ९ ग्राम/से.मी.३ के आसपास है, केंद्र में ८० लाख बार (८०० गीगा पास्कल) का दबाव और लगभग ५००० केल्विन का तापमान है। बर्फ मेंटल पारंपरिक अर्थों में वास्तव में बर्फ का बना हुआ नहीं है, बल्कि एक गर्म और घने तरल पदार्थ का है जो अमोनिया, पानी और अन्य वाष्पशील पदार्थों से मिलकर बना है। इस तरल पदार्थ के पास एक उच्च विद्युत चालकता है, जिसे कभी कभी एक तरल-अमोनिया सागर कहलाता है। यूरेनस और नेप्च्यून की अधिकांश संरचना, बृहस्पति और शनि की तुलना में बहुत अलग हैं, गैसों पर बर्फ हावी है, इसलिए बर्फ दानव के रूप में उनके पृथक वर्गीकरण को सही ठहराया जाता है। वहाँ आयनित जल की एक परत हो सकती है, जहां पानी के अणु हाइड्रोजन और ऑक्सीजन आयनों के एक सूप के रूप में टूट जाते हैं और इसके नीचे गहरे में पराआयनित जल (sperionic water) है, जिसमें ऑक्सीजन क्रिस्टलीकृत होता है किन्तु हाइड्रोजन आयन ऑक्सीजन के जालीदार ढाँचे के भीतर आजादी से घूमता फिरता है।
हालांकि मॉडल यथोचित मानक के ऊपर का माना गया, पर यह अद्वितीय नहीं है, अन्य मॉडल भी अवलोकनों को संतुष्ट करते हैं। उदाहरणार्थ, अगर हाइड्रोजन और चट्टानी सामग्री की पर्याप्त मात्रा बर्फ मेंटल में मिश्रित हुई हैं, तो आतंरिक भाग में बर्फ की कुल मात्रा कम हो जायेगी और इसी तरह चट्टानों और हाइड्रोजन की मात्रा अधिक हो जायेगी | वर्तमान में उपलब्ध आंकड़े, कौन सा मॉडल सही है इसके निर्धारण की विज्ञान को अनुमति नहीं देता है। यूरेनस की तरल पदार्थ युक्त आंतरिक संरचना का मतलब है कि इसकी कोई ठोस सतह नहीं है। गैसीय वातावरण भीतरी तरल परतों में धीरे धीरे घुलता मिलता है। सुविधा के लिए, एक परिक्रमी चपटे उपगोल को उस बिंदु पर निर्धारित किया गया है जिस पर वायुमंडलीय दाब १ बार (१०० गीगा पास्कल) के बराबर है और साथ ही इसे एक "सतह" के रूप में नामित किया गया है। इसकी विषुववृत्तिय और ध्रुवीय त्रिज्या क्रमशः २५,५५९ ± ४ और २४,९७३ ± २० कि॰मी॰ है। यह सतह ऊंचाई के लिए एक शून्य बिंदु के रूप में इस लेख में इस्तेमाल की जायेगी |
यूरेनस का आंतरिक ताप स्पष्ट रूप से अन्य वृहदाकार ग्रहों की तुलना में कम जान पड़ता है, खगोलीय शब्दों में, इसके पास एक निम्न तापीय प्रवाह है। युरेनस का आतंरिक तापमान इतना कम क्यों है यह अभी भी समझ से परे है। नेप्चून, जो कि आकार और संरचना में युरेनस का द्विगुणा है, २.६१ गुना ज्यादा ऊर्जा अंतरिक्ष में विकरित करता है जितना कि वह सूर्य से प्राप्त करता है। यूरेनस द्वारा अवरक्त वर्णक्रम (यानी गर्मी) के भाग से छोड़ी गई कुल शक्ति, उसके अपने वातावरण में अवशोषित सौर ऊर्जा की १.०६ ± ०.०८ गुना है। वास्तव में, यूरेनस का तापीय प्रवाह केवल ०.०४२ ± ०.०४७ वॉट/मी२ है, जो ०.०७५ वॉट/मी२ के लगभग पृथ्वी के आंतरिक तापीय प्रवाह से कम है। युरेनस के ट्रोपोपाउस में दर्ज हुआ निम्नतम तापमान ४९ केल्विन (-२२४ °से.) है, जो युरेनस को सौरमंडल में सबसे ठंडा ग्रह बनाता है।
इस विसंगति के लिए एक परिकल्पना सुझाव देती है कि जब यूरेनस एक विशालकाय प्रहारीत निकाय द्वारा ठोंका गया, यूरेनस की अधिकांश आद्य गर्मी के निष्कासन का कारण बना, यह गर्मी एक समाप्त हो चुके कोर तापमान के साथ छोड़ी गई थी | एक अन्य परिकल्पना है कि यूरेनस के ऊपरी परतों में किसी तरह का अवरोध मौजूद है जो कोर की गर्मी को सतह तक पहुँचने से रोकता है। उदाहरण के लिए, संवहन संरचनात्मक रूप से भिन्न परतों के एक समूह में जगह ले सकता है, जो ऊपर की ओर गमित ताप परिवहन को बाधित कर सकता हैं, यह संभव है कि दोहरा वाचाल संवहन एक सीमित कारक हो |
वॉयेजर २ की पहुँच से पहले, युरेनस के मैग्नेटोस्फेयर का कोई भी मापन नहीं लिया गया था, इसीलिए इसकी प्रकृति एक रहष्य बनी रही | १९८६ से पहले, खगोलविदों ने युरेनस के चुम्बकीय क्षेत्र को सौर वायु के साथ की रेखा में होने की उम्मीद थी, इसके बाद इसका ग्रह के ध्रुवों के साथ मिलान हो गया जो कि क्रांतिवृत्त में स्थित है।
वॉयेजर के अवलोकनों ने दर्शाया कि दो कारणों से युरेनस का चुम्बकीय क्षेत्र विशिष्ट है, एक तो क्योंकि यह ग्रह के ज्यामितीय केंद्र से आरम्भ नहीं होता है और दूसरा क्योंकि यह घूर्णी अक्ष से ५९° पर झुका है। वास्तव में यह चुम्बकीय द्विध्रुव ग्रह के केंद्र से दक्षिण घूर्णी ध्रुव की ओर ग्रहीय व्यास के अधिकतम एक तिहाई जितना खिसक गया है। उच्च असममितीय मैग्नेटोस्फेयर में इस अप्रत्याशित ज्यामितीय परिणामस्वरूप, जहां दक्षिणी अर्धागोलार्ध में की सतह पर चुम्बकीय क्षेत्र का सामर्थ्य निम्नतम ०.१ गॉस (१० µT) हो सकता है, इसी तरह उत्तरी अर्धागोलार्ध में यह उच्चतम १.१ गॉस (११० µT) हो सकता है। सतह पर औसत क्षेत्र बल ०.२३ गॉस (२३ µT) है। तुलना के लिए, पृथ्वी का चुम्बकीय क्षेत्र मोटे तौर पर दोनों ध्रुव पर शक्तिशाली है और 'चुम्बकीय भूमध्यरेखा ' मोटे तौर पर अपनी भौगोलिक भूमध्यरेखा के साथ समानांतर है।
युरेनस के २७ ज्ञात प्राकृतिक उपग्रह है। इन उपग्रहों के लिए नामों को शेक्सपीयर और अलेक्जेंडर पोप की कृतियों के पात्रों से चुना गया है। पांच मुख्य उपग्रह है : मिरांडा, एरियल, अम्ब्रियल, टाईटेनिया और ओबेरॉन | यह युरेनस उपग्रहीय प्रणाली गैस दानवों के बीच सबसे कम बड़ी है; सचमुच, इन प्रमुख उपग्रहों का संयुक्त द्रव्यमान अकेले ट्राईटोन के आधे से भी कम होगा। इन उपग्रहों में सबसे बड़े, टाईटेनिया, की त्रिज्या मात्र ७८८.९ कि.मी, या चाँद के आधे से भी कम है, परन्तु शनि के दूसरे सबसे बड़े चन्द्रमा रिया से थोड़ी सी ज्यादा है, जो टाईटेनिया को सौरमंडल में आंठवाँ सबसे बड़ा चन्द्रमा बनाता है। इन चंद्रमाओं का अपेक्षाकृत निम्न एल्बिडो का विचरण अम्ब्रियल के लिए ०.२० से एरियल के लिए ०.३५ है (हरे प्रकाश में) | यह चन्द्रमा एक संपीडित बर्फीली-चट्टानें है, जो मोटे तौर पर पचास प्रतिशत बर्फ और पचास प्रतिशत चट्टान से बनी है। यह बर्फ, अमोनिया और कार्बन डाईआक्साइड को सम्मिलित किये हो सकते हैं।
इन उपग्रहों में से, एरियल की सतह कुछेक संघात के साथ नवीकृत जान पड़ती है, जबकि अम्ब्रियल की पुरानी नज़र आती है।
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सौर मण्डल |
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