ध्वनि प्रदूषण किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव-जन्तुओं को परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण है। जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात और वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है।
दुनिया भर में सबसे ज्यादा शोर के स्रोत परिवहन प्रणालियों, मोटर वाहन का शोर है, किंतु इसमें वैमानिक शौर-शराबा तथा (aircraft noise) रेल से होने वाला शोर भी शामिल है। खराब शहरी नियोजन (urban planning) ध्वनि प्रदूषण को बढा सकता है, क्योंकि इसके साथ-साथ औद्योगिक और आवासीय इमारतें आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का कारण बन सकते हैं। अमेरिकन शहरी परिवहन विभाग खराब शहरी नियोजन ( शहरी नियोजन) आवाजाचे प्रदूषण, तसेच औद्योगिक व निवासी इमारती, निवासी भागात ध्वनि प्रदूषण वाढवू शकते. कारण होऊ शकते. अन्य स्रोतों में कार्यालय के उपकरण, फैक्टरी मशीनरी, निर्माण कार्य, उपकरण, बिजली उपकरण, प्रकाश व्यवस्था (lighting) गुनगुनाना एवं ऑडियो मनोरंजन सिस्टम आते है। इतर स्रोतांमध्ये ऑफिस उपकरणे, कारखाना यंत्रणा, बांधकाम कार्य, उपकरणे, पॉवर टूल्स, लाइटिंग ( एन लाइटिंग लाइटिंग) आणि संगीत मनोरंजन प्रणाली समाविष्ट आहे. . .
' शोर स्वास्थ्य प्रभाव (Noise health effects) दोनों की प्रकृति स्वास्थ्य और व्यवहार (behavioral) जैसी होती है। पसंद न की जाने वाली ध्वनि को ध्वनि शोर-शराबा कहा जाता है। यह अवांछित ध्वनि शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को हानि पहुंचा सकती है। ध्वनिक प्रदूषण चिड़चिड़ापन एवं आक्रामकता के अतिरिक्त उच्च रक्तचाप, तनाव, कर्णक्ष्वेड, श्रवण शक्ति का ह्रास, नींद में गड़बड़ी और अन्य हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकता है।. इसके अलावा, तनाव और उच्च रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं के प्रमुख हैं, जबकि कर्णक्ष्वेड स्मृति खोना, गंभीर अवसाद और कई बार असमंजस के दौरे पैदा कर सकता है।
शोर-शराबा के प्रति लगातार प्रदर्शन से ध्वनि प्रजनित श्रवण शक्ति का ह्रास (noise-induced hearing loss) हो सकता है। गंभीरव्यावसायिक शोर-शराबा (occupational noise) की प्रतिछाया में आने वाले पुरूषों में इससे दूर रहने वाले पुरूषों की तुलना में श्रंवण संवेदनशीलता का गंभीर ह्रास (significantly) होता है, हालाँकि श्रवण संवेदनशीलता में अंतर समय के साथ-साथ कम होने लगते हैं और 79 वर्ष की आयु होते होते दोनों समूहों के पुरूषों में अंतर की पहचान करना कठिन हो जाता है। घूमने फिरने अथवा औद्योगिक शोर-शराबे के संपर्क में अधिक आने वाली माबान (Maaban) जनजाति (tribesmen) की तुलना अमरीकी की आदर्श जनसंख्या से करने पर ऐसी जानकारी मिली है जिससे ज्ञात होता है कि पर्यावरणीय शोर श्राबे के हल्के उच्च स्तर के संपर्क में आने पर श्रवण शक्ति का ह्रास होता है।
शोर-शराबा का उच्च स्तर ह़दय संबंधी रोगों (cardiovascular) को जन्म दे सकता है तथा आठ घंटके की एकल अवधि के दौरान माध्यमिक उच्च स्तर केप्रभाव में आने से रक्त चाप में पांच से दस बिंदुओं तक की वृद्धि तथा तनाव (stress) एवं वेसोकन्सट्रिक्शन (vasoconstriction) में बढोतरी हो सकती है। जिससे उच्च रक्तचाप (increased blood pressure) के साथ-साथ कोरोनरी आर्टरी रोग हो सकते हैं। (coronary artery disease)
शोर प्रदूषण चिड़चिड़ेपन का भी एक कारण है। स्पेन के शोधकर्ताओं द्वारा 2005 में किए गए एक अध्ययन में पाया है कि शहरी क्षेत्रों में रहने वाले घरेलू लोग ध्वनि प्रदूषण में कमी लाने के लिए प्रति वर्ष लगभग चार यूरोस खर्च करना चाहते हैं।
शोर-शराबा पशुओं में तनाव पैदा करने, प्रीडेटर/शिकार की पहचान तथा बचाव एवं प्रजनन एवं नेवीगेशन के संबंध में सम्प्रेषण के समय ध्वनि के उपयोग के साथ हस्तक्षेप द्वारा नाजुक संतुलन कोपरिवर्तित करते हुए जानवरों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। अधिक देर तक ध्वनिक प्रतिछाया में बने रहने से अस्थायी या स्थायी तौर पर श्रवण शक्ति का ह्रास. हो सकता है।
पशु जीवन पर शोर-शराबे का प्रभाव उपयोग हेतु आवास में कमी (reduction of usable habitat) ला सकता है जो शोर शराबे वाले क्षेत्रों के कारण हो सकता है तथा जो खतरे में पड़ी प्रजातियों के मामले में विलुप्तीकरण (extinction) के मार्ग का एक भाग हो सकता है।.ध्वनि प्रदूषण के कारण होने वाली क्षति के सर्वोत्तम ज्ञात मामलों में से एक समुद्री व्हेल (beached whale) की कुछ विशेष प्रजातियों की मृत्यु होती है जिन्हें सेना की तोपों की भंयकर गर्जना अर्थात सोनार द्वारा समुद्र के किनारे ला दिया जाता है (sonar)।
शोर-शराबा प्रजातियों को तेज आवाज में वार्ता करने में सक्षम बनाता है जिसे लोम्बार्ड स्थानीय प्रतिक्रिया कहते हैं। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने एसेऐसे प्रोग्राम आयोजित किए हैं जिनसे व्हेल के गुनगुनाने की अवधि की लंबाई उस समय अधिक होती है जब पनडुब्बी डिटेक्टर ऑन होते हैं यदि प्राणी ऊंचे आवाज में ठीक प्रकार से " बात " नहीं करते हैं तब अपनी आवाज मानोद्भाव (anthropogenic) ध्वनि के द्वारा नकाबपोश (masked) कर दी जाएगी। ये अनसुनी आवाजें चेतावनियां भी हो सकती हैं जो अपना शिकार खोजने अथवा बुदबुदाने की तैयारी कर रही हों। जब एक प्रजाति तेज आवाज में बातें शुरू करती है तब यह दूसरी प्रजाति की आवाज की नकल (mask) करती है जिससे संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र स्वत: ही तेज गूंजने लगता है।
जेब्रा फिंच (Zebra finch) यातायात के कारण पैदा होने वाले शोर शराबे के संपर्क में आते समय अपने सहयोगियों के साथ तुलनात्मक रूप से कम विश्वस्नीय रह जाता है। यह बदल सकता है विकासवादी की आबादी के पथ को चुन कर " सेक्सी " गुण, sapping संसाधनों को आम तौर पर अन्य गतिविधियों के लिए समर्पित है और इस तरह का नेतृत्व करने के लिए आनुवंशिक और गहरा विकासवादी परिणाम हैं .
प्रौद्योगिकी को शोर करने या हटाने के रूप में निम्न प्रकार लागू किया जा सकता है :
सड़क पर होने वाले शोर शराबे (roadway noise) को शांत करने के लिए विभिन्न रणनीतियां हैं जिनमें ध्वनि अवरोधक (noise barrier), वाहनों की गति पर प्रतिबंध, सड़क के धरातल में परिवर्तन, भारी वाहनों पर प्रतिबंध (heavy duty vehicle), यातायात नियंत्रण का उपयोग जो ब्रेक और गति बढाने को कम करे तथा टायरों की डिजाईन शामिल हैं। इन रण्नीतियों को लागू करने का एक महत्वपूर्ण कारक सड़क पर होने वाले शोर शराबे (roadway noise) के लिए कम्प्यूटर मॉडल (computer model) है जिसमें स्थानीय जलवायु, मौसम (meteorology), यातायात संचालन तथा संकल्पनात्मक शमन को परिभाषित करने की क्षमता होती है। शमन - निर्माण की लागत को कम किया जा सकता है बशर्ते ये उपाय सड़कमार्ग परियोजना के नियोजन चरण में उठाए गए हों।
कम शोर करने वाले जैट इंजनों (jet engine) की डिजाइन के द्वारा भी कुछ सीमा तक वैमानिक शोर-शराबे (Aircraft noise) को कम किया जा सकता है। इसकी पहल १९७० और १९८० के दशक में की गई थी। इस रणनीति ने शहरी ध्वनि स्तर में हालांकि सीमित ही सही लेकिन उल्लेखनीय कमी लाई है। संचालन पर पुनविचार, जैसे उड़ान पथ (flight path)s और दिन का समय रनवे के उपयोग में फेरबदल हवाई अड्डे के पास रहने वाली आबादी के लिए लाभ प्रदर्शित है। 1970 में एफएए (FAA) द्वारा प्रायोजित आवासीय रिट्रोफिट (इनसुलेशन) प्रोग्रामों ने भी संपूर्ण अमरीका के हजारों घरों के आवासीय (residential) शोर शराबें को कम करने में प्राप्त सफलता का आनंद उठाया है।
औद्योगिक शोर (Industrial noise) के प्रति श्रमिकों का संपर्क में आने को १९३० से ही संबोधित किया जाता रहा है। इन परिवर्तनों में औद्योगिक उपकरण और झटके सहन करने वाले संत्र एवं कार्यस्थल पर भौतिक बाधाओं की डिजाईन शामिल है।
1970 के दशक तक सरकारों ने शोर को पर्यावरणीय समस्या की तुलना में एक " उपद्रव " के रूप में ही देखा था। अमरीका में राजमार्ग और वैमानिक शोर-शराबे के लिए संघीय मानक बनाए गए हैं, यहां प्रांतों और स्थानीय सरकारों के पास विशेष अधिकार हैं जो भवन निर्माण संहिता (building codes),शहरी नियोजन (urban planning) तथा सड़क विकास से संबंधित हैं। कनाडा और यूरोपीय संघ कुछ ऐसे राष्ट्रीय, प्रांतीय, या राज्य के कानून हैं जो ध्वनि के खिलाफ़ हमारी रक्षा करते हैं।
शोर कानून और नियम, नगरपालिका के बीच व्यापक भिन्नता पाई जाती है जो वास्तव में कुछ शहरों में बिल्कुल देखी नहीं जाती है। एक अध्यादेश में उपद्रव वाले किसी भी शोर - शराबे को रोकने के लिए सामान्य निषेध हो सकता है अथवा दिन के समय ताा कुछ विशेष गतिविधियों के लिए शोर शराबे के स्तर हेतु विशेष दिशानिर्देश निर्धारित कर सकता है।
ज्यादातर शहर अध्यादेश (ordinance)s ध्वनि रोक लगाने के ऊपर एक सीमा से अधिक संपत्ति तीव्रता से अनधिकार प ¥ ? लाइन रात में, आमतौर और ६ बजे के बीच १० हूं और दिन के दौरान उच्च स्तर की ध्वनि को प्रतिबंधित करने के लिए कदम उठाते हैं लेकिन ऐसा करते समय प्रवर्तन असमान रहता है। कई नगरपालिकाएं शिकायतों पर अनुवर्ती कार्यवाही नहीं करती हैं। यहां तक कि जिस नगरपालिका में कानून लागू करने का कार्यालय है वहां हो सकता है कि केवल चेतावनी देकजारीकरने की इच्छा ही हो क्योंकि अपराधियों को अदालत में ले जाना महंगा होता है।
ध्वनि प्रदूषण पर बहुत से संघर्ष् उत्सर्जक एवं प्राप्तकर्ता के बीव विचारविमर्श से सुलझाए जाते हैं। अंकुश प्रक्रिया देश के हिसाब से बदलती है और इसमें स्थानीय प्रशासन विशेषकर पुलिस के साथ संयोजन द्वारा कार्रवाई शामिल हो सकती है। ध्वनि प्रदूषण प्राय: होता रहता है क्योंकि शोर-शराबे से प्रभावित होने वाले लोगों में से केवल ५ से १० प्रतिशत ही औपचारिक तौर पर शिकयत (complaint) दर्ज कराते हैं। बहुत से लोगों को अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जानकारी की जागरूकता नहीं हैं और वे नहीं जानते हैं कि शिकयत कैसे दर्ज कराई जाती है।
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