अरुणाचल प्रदेश: पूर्वोत्तर भारत में राज्य

अरुणाचल प्रदेश भारत का एक उत्तर-पूर्वी राज्य है। अरुणाचल का अर्थ उगते सूर्य का पर्वत है (अरूण + अचल ; 'अचल' का अर्थ 'न चलने वाला' = पर्वत होता है।)।

अरुणाचल प्रदेश
राज्य
अरुणाचल प्रदेश: इतिहास, भूगोल, जनसांख्यिकी
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ऊपर से बाएं से दाएं: स्वर्णिम पगोडा, नामसाई, तवांग मठ, तुत्सा नृत्यांगनाएँ, शून्य घाटी (जीरो वैली), पक्के बाघ अभयारण्य, सेला दर्रा
गान: "अरुणाचल हमारा"
अरुणाचल प्रदेश is located in पृथ्वी
अरुणाचल प्रदेश
अरुणाचल प्रदेश
भारत में अरुणाचल प्रदेश की स्थिति
निर्देशांक (Itanagar): 27°04′N 93°22′E / 27.06°N 93.37°E / 27.06; 93.37 93°22′E / 27.06°N 93.37°E / 27.06; 93.37
देशभारत
केन्द्र-शासित प्रदेश21 जनवरी 1972
राज्य का दर्जा20 फ़रवरी 1987
राजधानीईटानगर
सबसे बड़ा शहरईटानगर
जिले25
शासन
 • सभाअरुणाचल प्रदेश सरकार
 • राज्यपाल[[लेफ्टिनेंट जनरल कैवल्य त्रिविक्रम परनाइक, पीवीएसएम, यूवाईएसएम, वाईएसएम (सेवानिवृत्त)]]
 • मुख्यमंत्रीपेमा खांडू (भाजपा)
 • विधान-मंडलएकसदनीय
 •  संसदीय क्षेत्र
 • उच्च न्यायालयगुवाहाटी उच्च न्यायालय - ईटानगर बेंच
क्षेत्र83743 किमी2 (32,333 वर्गमील)
क्षेत्र दर्जा14वां
जनसंख्या (2011)
 • कुल13,82,611
 • दर्जा27वां
 • घनत्व17 किमी2 (43 वर्गमील)
समय मण्डलभारतीय मानक समय (यूटीसी+05:30)
आई॰एस॰ओ॰ ३१६६ कोडIN-AR
मानव विकास सूचकांकवृद्धि 0.661 (medium)
HDI रैंक24वां (2019)
साक्षरता66.95%
राजभाषाअंग्रेज़ी
वेबसाइटarunachalpradesh.gov.in

प्रदेश की सीमाएँ दक्षिण में असम दक्षिणपूर्व में नागालैंड पूर्व में बर्मा/म्यांमार पश्चिम में भूटान और उत्तर में तिब्बत से मिलती हैं। ईटानगर राज्य की राजधानी है। प्रदेश की बोलचाल की मुख्य भाषा हिन्दी है। अरुणाचल प्रदेश चीन के तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र के साथ 1,129 किलोमीटर सीमा साझा करता है।

भारत की जनगणना २०११ के अनुसार, अरुणाचल प्रदेश की आबादी 1,382,611 और 83,743 वर्ग किलोमीटर (32,333 वर्ग मील) का क्षेत्रफल है। यह एक नैतिक रूप से विविध राज्य है, जिसमें मुख्य रूप से पश्चिम में मोनपा लोग, केन्द्र में तानी लोग, पूर्व में ताई लोग और राज्य के दक्षिण में नागा लोग हैं।

राज्य का एक बड़ा हिस्सा दक्षिण तिब्बत के क्षेत्र के हिस्से के रूप में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ़ चाइना और चीन गणराज्य (ताइवान) दोनों द्वारा दावा किया जाता है।

भौगोलिक दृष्टि से पूर्वोत्तर के राज्यों में यह सबसे बड़ा राज्य है। पूर्वोत्तर के अन्य राज्यों की तरह इस प्रदेश के लोग भी तिब्बती-बर्मी मूल के हैं। वर्तमान समय में भारत के अन्य भागों से बहुत से लोग आकर यहाँ आर्थिक और सांस्कृतिक गतिविधियाँ कर रहे ।

इतिहास

अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमान्त एजेंसी (नॉर्थ ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी- नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारम्भ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का सम्बन्ध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फरवरी 1826 को 'यण्डाबू सन्धि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ़्रण्टियर एजेंसी (नेफ़ा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परन्तु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मन्त्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मन्त्रालय के अन्तर्गत आ गया था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केन्द्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' किया गया। इस सब के बाद 20 फरवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वाँ राज्य बनाया गया।

भूगोल

इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अन्तरराष्ट्रीय सीमाएँ हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। 'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियाँ इसे अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं।

अरुणाचल का अधिकांश भाग हिमालय से ढका है, लेकिन लोहित, चांगलांग और तिरप पतकाई पहाडि़यों में स्थित हैं। काँग्तो, न्येगी कांगसांग, मुख्य गोरीचन चोटी और पूर्वी गोरीचन चोटी इस क्षेत्र में हिमालय की सबसे ऊँची चोटियाँ हैं।

तवांग में स्थित बुमला दर्रा 2006 में 44 वर्षों में पहली बार व्यापार के लिए खोला गया। दोनों तरफ के व्यापारियों को एक दूसरे के क्षेत्र में प्रवेश करने की अनुमति दी गई।

यहाँ के प्रमुख दर्रो में यांगयाप दर्रा, दीफू दर्रा, पंगसौ दर्रा भी शामिल हैं।

हिमालय पर्वतमाला का पूर्वी विस्तार इसे चीन से अलग करता है। यह पर्वतमाला नागालैंड की ओर मुड़ती है और भारत और बर्मा के बीच चांगलांग और तिरप जिले में एक प्राकृतिक सीमा का निर्माण करती है और एक प्राकृतिक बाधा के रूप में कार्य करती है। यह पहाड़ महान हिमालय से कम ऊँचे हैं।

है।

जनसांख्यिकी

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* निशि जनजाति का एक पुरुष अपनी पारम्परिक वेशभूषा में।

63% अरुणाचल वासी 19 प्रमुख जनजातियों और 85 अन्य जनजातियों से संबद्ध हैं। इनमें से अधिकांश या तो तिब्बती-बर्मी या ताई-बर्मी मूल के हैं। बाकी 35 % जनसंख्या आप्रवासियों की है, जिनमें 31000 बंगाली, बोडो, हजोन्ग, बांग्लादेश से आये चकमा शरणार्थी और पड़ोसी असम, नागालैंड और भारत के अन्य भागों से आये प्रवासी शामिल हैं। सबसे बडी़ जनजातियों में आदि, गालो, निशि, खम्ति, मोंपा और अपातनी प्रमुख हैं।

राज्य की साक्षरता दर 1991 में 41.59 % से बढ़कर 54.74 % हो गयी। 487796 व्यक्ति साक्षर है। भारत सरकार की 2001 की जनगणना के आँकड़ों से पता चलता है कि अरुणाचल की 20% जनसंख्या के प्रकृतिधर्मी हैं, जो जीववादी धर्म जैसे डोन्यी-पोलो और रन्गफ्राह का पालन करते है। मिरि और नोक्ते लोगों को मिलाकर 29 प्रतिशत हिंदू हैं। राज्य की 13% जनसंख्या बौद्ध है। तिब्बती बौद्ध पन्थ मुख्यतः तवांग, पश्चिम कामेंग और तिब्बत से सटे क्षेत्रों में प्रचलित है। थेरावाद बौद्ध पन्थ का बर्मी सीमा के निकट रहने वाले समूहों द्वारा पालन किया जाता है। लगभग 19% आबादी ईसाईपन्थ की अनुयायी है।

कृषि

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भालुकपुंग से लिया गया एक दृष्य

अरुणाचल प्रदेश के नागरिकों के जीवनयापन का मुख्य आधार कृषि है। इस प्रदेश की अर्थव्यवस्था मुख्यत: 'झूम' खेती पर ही आधरित है। आजकल नकदी फसलों जैसे- आलू, और बागबानी की फसलें जैसे सेब, संतरे और अनन्नास आदि को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी लोग खेती की पारंपरिक विधि शिइंग (झूम) का प्रयोग करते हैं। इस कृषि विधि की मुख्य पैदावार चावल, मक्का, जौ एवं मोथी (कूटू) हैं। अरुणाचल प्रदेश की मुख्य फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, जौ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन हैं।

खनिज और उद्योग

राज्य की विशाल खनिज संपदा के संरक्षण के लिए 1991 में 'अरुणाचल प्रदेश खनिज विकास' और 'व्यापार निगम लिमिटेड' (ए॰पी॰एम॰डी॰टी॰सी॰एल॰) की स्थापना की गई थी। विभिन्न प्रकार के व्यापार में हस्तशिल्पियों को प्रशिक्षण देना, रोइंग, टबारीजो, दिरांग, युपैया और मैओ में कार्यरत पाँच 'सरकारी औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान' (आई॰टी॰आई॰) हैं। आई॰टी॰आई॰ युपैया महिलाओं के लिए विशेष रूप से बना है जो पापुम पारे जनपद में स्थित है।

सिंचाई और बिजली

अरुणाचल प्रदेश में 87,500 हेक्टेयर से अधिक भूमि सिंचित क्षेत्र है। राज्य की विद्युत क्षमता लगभग 30,735 मेगावॉट है। राज्य के 3,649 गाँवों में से लगभग 2,600 गाँवों का विद्युतीकरण कर दिया गया है।

अर्थव्यवस्था

सन 2004 में अरुणाचल प्रदेश का सकल घरेलू उत्पादन 70.6 करोड़ डॉलर के लगभग था। अर्थव्यवस्था मुख्यत: कृषि प्रधान है। 'झुम' खेती जो आदिवासी समूहों में पहले प्रचलित थी, अब कम लोग इस प्रकार खेती करते हैं। अरुणाचल प्रदेश का लगभग 61,000 वर्ग किलोमीटर का भाग घने जंगलों से भरा है और वन्य उत्पाद राज्य की अर्थव्यवस्था का दूसरा महत्त्वपूर्ण भाग है। यहाँ फ़सलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन मुख्य रूप से हैं।

अरुणाचल प्रदेश फलों के उत्पादन के लिए आदर्श है। पर्यावरण की दृष्टि से यहाँ के प्रमुख उद्योग आरा मिल और प्लाईवुड को कानूनन बन्द कर दिया गया है। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयाँ, हस्तशिल्प और हथकरघा आदि यहाँ के अन्य प्रमुख उद्योग हैं। यह तालिका अरूणाचल प्रदेश के राज्य सकल घरेलू उत्पाद का रुझान बाजार मूल्यों पर सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मन्त्रालय के अनुमान पर आधारित है। लाखों रुपयों में।

वर्ष राज्य का सकल घरेलू उत्पाद
1980 1,070
1985 2,690
1990 5,080
1995 11,840
2000 17,830

2004 में अरुणाचल प्रदेश का राज्य सकल घरेलू उत्पाद 706 मिलियन डॉलर के करीब था। राज्य की अर्थव्यवस्था कृषि आधारित है। झुम खेती जो आदिवासी समूहों के बीच पहले व्यापक रूप से प्रचलित थी अब कम लोगों में प्रचलित है। अरुणाचल प्रदेश के करीब 61,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र जंगलों से ढका है और वन्य उत्पाद अर्थव्यवस्था का सबसे दूसरा सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र है। यहाँ की फसलों में चावल, मक्का, बाजरा, गेहूँ, दलहन, गन्ना, अदरक और तिलहन प्रमुख हैं। अरुणाचल फलों के उत्पादन के लिए भी आदर्श स्थान है। यहाँ प्रमुख उद्योग आरामिल और प्लाईवुड को कानून द्वारा बन्द कर दिया गया है। चावल मिल, फल परिरक्षण इकाइयों हस्तशिल्प और हथकरघा आदि अन्य प्रमुख उद्योग हैं।

सामाजिक जीवन

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निशिंग जनजाति का न्योकुम उत्सव

अरुणाचल प्रदेश के कुछ महत्त्वपूर्ण त्योहारों में 'अदीस' समुदाय का 'मापिन और सोलंगु', 'मोनपा' समुदाय का त्योहार 'लोस्सार', 'अपतानी' समुदाय का 'द्री', 'तगिनों' समुदाय का 'सी-दोन्याई', 'इदु-मिशमी' समुदाय का 'रेह', 'निशिंग' समुदाय का 'न्योकुम' आदि त्योहार शामिल हैं। अधिकतर त्योहारों पर पशुओं को बलि चढ़ाने की पुरातन प्रथा है।

राजनीति

अरुणाचल प्रदेश में मुख्यत: पाँच राजनैतिक दल हैं-

  • भारतीय जनता पार्टी
  • अरुणाचल कांग्रेस
  • अरुणाचल कांग्रेस (मेइते)
  • कांग्रेस (दोलो)
  • पिपुल्स पार्टी आफ़ अरुणाचल

मुख्य पर्यटन स्थल

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अरुणाचल अपने पहाड़ी दृश्यों के लिये प्रसिद्ध है।

किला

ईटानगर में पर्यटक ईटा किला भी देख सकते हैं। इस किले का निर्माण 14-15वीं शताब्दी में किया गया था। इसके नाम पर ही इसका नाम ईटानगर रखा गया है। पर्यटक इस किले में कई खूबसूरत दृश्य देख सकते हैं। किले की सैर के बाद पर्यटक यहाँ पर पौराणिक गंगा झील भी देख सकते हैं। इनके अलावा अन्य कई झीले व वास्तुकला के मनोहर दृश्य है जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।

पौराणिक गंगा झील

यह ईटानगर से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। झील के पास खूबसूरत जंगल भी है। यह जंगल बहुत खूबसूरत है। पर्यटक इस जंगल में सुन्दर पेड़-पौधे, वन्य जीव और फूलों के बगीचे देख सकते हैं। यहाँ आने वाले पर्यटकों को इस झील और जंगल की सैर जरूर करनी चाहिए।

बौद्ध मंदिर

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नामसाइ स्थित स्वर्ण पगोडा

यहाँ पर एक खूबसूरत बौद्ध मन्दिर है। बौद्ध गुरु दलाई लामा भी इसकी यात्रा कर चुके हैं। इस मन्दिर की छत पीली है और इस मन्दिर का निर्माण तिब्बती शैली में किया गया है। इस मन्दिर की छत से पूरे ईटानगर के खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं। इस मन्दिर में एक संग्राहलय का निर्माण भी किया गया है। इसका नाम जवाहर लाल नेहरू संग्राहलय है। यहाँ पर पर्यटक पूरे अरूणाचल प्रदेश की झलक देख सकते हैं।

अन्य स्थल

इसके अलावा यहाँ पर लकड़ियों से बनी खूबसूरत वस्तुएँ, वाद्ययन्त्र, शानदार कपड़े, हस्तनिर्मित वस्तुएँ और केन की बनी सुन्दर कलाकृतियों को देख सकते हैं। संग्राहलय में एक पुस्तकालय का निर्माण भी किया गया है। इसके अलावा भी यहाँ पर पर्यटक कई शानदार पर्यटन स्थलों की सैर कर सकते हैं।

इन पर्यटन स्थलों में दोन्यी-पोलो विद्या भवन, विज्ञान संस्थान, इन्दिरा गांधी उद्यान और अभियान्त्रिकी संस्थान प्रमुख हैं।

इतिहास

अरुणाचल प्रदेश को पहले पूर्वात्तर सीमांत एजेंसी (नार्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी- नेफा) के नाम से जाना जाता था। इस राज्य के पश्चिम, उत्तर और पूर्व में क्रमश: भूटान, तिब्बत, चीन और म्यांमार देशों की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं हैं। अरुणाचल प्रदेश की सीमा नागालैंड और असम से भी मिलती है। इस राज्य में पहाड़ी और अर्द्ध-पहाड़ी क्षेत्र है। इसके पहाड़ों की ढलान असम राज्य के मैदानी भाग की ओर है। 'कामेंग', 'सुबनसिरी', 'सिआंग', 'लोहित' और 'तिरप' आदि नदियां इन्हें अलग-अलग घाटियों में विभाजित कर देती हैं। यहाँ का इतिहास लिखित रूप में उपलब्ध नहीं है। मौखिक परंपरा के रूप में कुछ थोड़ा सा साहित्य और ऐतिहासिक खंडहर हैं जो इस पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं। इन स्थानों की खुदाई और विश्लेषण के द्वारा पता चलता है कि ये ईस्वी सन प्रारंभ होने के समय के हैं। ऐतिहासिक प्रमाणों से पता चलता है कि यह जाना-पहचाना क्षेत्र ही नहीं था वरन जो लोग यहाँ रहते थे और उनका देश के अन्य भागों से निकट का संबंध था। अरुणाचल प्रदेश का आधुनिक इतिहास 24 फ़रवरी 1826 को 'यंडाबू संधि' होने के बाद असम में ब्रिटिश शासन लागू होने के बाद से प्राप्त होता हैं। सन 1962 से पहले इस राज्य को नार्थ-ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी (नेफा) के नाम से जाना जाता था। संवैधानिक रूप से यह असम का ही एक भाग था परंतु सामरिक महत्त्व के कारण 1965 तक यहाँ के प्रशासन की देखभाल विदेश मंत्रालय करता था। 1965 के पश्चात असम के राज्पाल के द्वारा यहाँ का प्रशासन गृह मंत्रालय के अन्तर्गत आ गया था। सन 1972 में अरुणाचल प्रदेश को केंद्र शासित राज्य बनाया गया था और इसका नाम 'अरुणाचल प्रदेश' किया गया। इस सब के बाद 20 फ़रवरी 1987 को यह भारतीय संघ का 24वां राज्य बनाया गया।

जिले

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अरुणाचल प्रदेश के जिले

अरुणाचल प्रदेश में 25 जिले हैं -

भाषाएँ

सन 2001 में अरुणाचल प्रदेश की भाषाएँ ██ न्यिशी (18.94%)██ आदि (17.57%)██ बांग्ला (8.8%)██ नेपाली (8.5%)██ हिन्दी (7.3%)██ असमिया (4.6%)██ मोनपा (5.1%)██ वान्चो (4.3%)██ तङ्सा (3.1%)██ मिश्मी (3.1%)██ मिशिङ (3.0%)██ नोक्टे (2.9%)██ अन्य (11.5%)

वर्तमान समय में भाषा की दृष्टि से अरुणाचल प्रदेश एशिया का सबसे अधिक विविधतापूर्ण क्षेत्र है जिसमें 30 से 50 तक विभिन्न भाषाओं के बोलने वाले रहते हैं। इनमें से अधिकांश भाषाएँ तिब्बती-बर्मी परिवार की हैं। हाल के वर्षों में अरुणाचल प्रदेश में हिन्दी का प्रचलन बढ़ा है और अब यह यहाँ की जनभाषा बन चुकी है।

इन्हें भी देखें

सन्दर्भ

बाहरी कड़ियाँ


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