हाइड्रोक्लोरिक अम्ल एक प्रमुख अकार्बनिक अम्ल है। वस्तुतः हाइड्रोजन क्लोराइड गैस के जलीय विलयन को ही हाइड्रोक्लोरिक अम्ल कहते हैं।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल | |
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आईयूपीएसी नाम | क्लोरेन (Chlorane) |
अन्य नाम |
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पहचान आइडेन्टिफायर्स | |
सी.ए.एस संख्या | [7647-01-0][CAS] |
पबकैम | |
EC संख्या | |
UN संख्या | 1789 |
कैमस्पाइडर आई.डी | |
गुण | |
आण्विक सूत्र | HCl(aq) |
दिखावट | Colorless, transparent liquid, fumes in air if concentrated |
गंध | Pungent characteristic |
गलनांक | Concentration-dependent – see table |
क्वथनांक | Concentration-dependent – see table |
log P | 0.00 |
अम्लता (pKa) | −5.9 (HCl gas) |
खतरा | |
NFPA 704 | |
जहां दिया है वहां के अलावा, ये आंकड़े पदार्थ की मानक स्थिति (२५ °से, १०० कि.पा के अनुसार हैं। ज्ञानसन्दूक के संदर्भ |
इस अम्ल का उल्लेख ग्लौबर ने १६४८ ई. में पहले पहल किया था। जोसेफ़ प्रीस्टली ने १७७२ में पहले पहल तैयार किया और सर हंफ्री डेवी ने १८१० ई. में सिद्ध किया कि हाइड्रोजन और क्लोरीन का यौगिक है। इससे पहले लोगों की गलत धारणा थी कि इसमें ऑक्सीजन भी रहता है। तब इसका नाम 'म्यूरिएटिक अम्ल' पड़ा या जो आज भी कहीं कहीं प्रयोग में आता है।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल ज्वालामुखी गैसों में पाया जाता है। मानव जठर में इसकी अल्प मात्रा रहती है और आहार पाचन में सहायक होती है।
हाइड्रोजन और क्लोरीन के सीधे संयोजन से यह बन सकता है। कहीं कहीं व्यापार का हाइड्रोक्लोरिक अम्ल इसी विधि से तैयार होता है। यह क्रिया सामान्य ताप पर नहीं होती। सूर्यप्रकाश में अथवा २५० डिग्री सें. पर गरम करने से संयोजन विस्फोट के साथ होता है। साधारणतया नमक पर गंधकाम्ल की क्रिया से इसका निर्माण होता है। सामान्य ताप पर हाइड्रोजन क्लोराइड और सोडियम बाइसल्फेट बनते हैं और उच्च ताप पर हाइड्रोजन क्लोराइड ओर सोडियम सल्फेट बनते हैं।
ब्लॉक विधि से धावन सोडा के निर्माण में यही उच्च तापवाली विधि प्रयुक्त होती है और यहाँ हाइड्रोजन क्लोराइड सह-उत्पाद के रूप में प्राप्त होता है।
हाइड्रोजन क्लोराइड के निर्माण में पार्सिलैन या काँच के पात्र सुविधाजनक होते हैं क्योंकि सामान्य धातुएँ इस अम्ल से आक्रांत हो जाती हैं। परंतु अब कुछ ऐसी धातुएँ या मिश्र धातुएँ प्राप्त हुई हैं, जैसे टैंटेलम, हिस्टेलाय (histalloy), डुरिक्लोर (durichlor) जिनके पात्रों का उपयोग हो सकता है क्योंकि ये अम्ल का अत्यधिक प्रतिरोध करती है।
शुद्ध हाइड्रोक्लोरिक अम्ल वर्णहीन होता है पर व्यापार का अम्ल लोहे और अन्य अपद्रव्यों के कारण पीले रंग का होता है। विलयन में २८% से ३६% अम्ल रहता है। व्यापार का अम्ल प्रधानतया तीन श्रेणियों का होता है, १८ बौमेका (HCl, 27.92 प्रतिशत, विशिष्ट गुरुत्व १.१४१७), २० बौमेका (HCl, 33.145 प्रतिशत, विशिष्ट गुरुत्व १.१६००) और २२ बौमेका (HCl, 35.21, प्रतिशत, विशिष्ट गुरुत्व १.१७८९)।
हाइड्रोजन क्लोराइड वर्णहीन, तीव्र गंधवाली गैस है। ० डिग्री सें. और १ वायुमंडलीय दबाव पर एक लिटर गैस का भार १.६३९ ग्राम होता है। द्रव का क्वथनांक -८५ डिग्री से. और हिमांक -११४ डिग्री, क्रांतिक ताप ५२ डिग्री से. और क्रांतिक दबाव ९० वायुमंडलीय है। यह जल में अतिविलेय है। शून्य डिग्री से. पर एक आयतन जल ५०६ आयतन गैस और २० डिग्री से. पर ४७७ आयतन का घुलता है। गैस के घुलने से ऊष्मा निकलती है। आर्द्र वायु में यह धूम (धुँआ) देती है। इसका विलयन स्थायी क्वथनांक वाला द्रव, क्वथनांक ११०डिग्री, बनता है। ऐसे द्रव में हाइड्रोजन क्लोराइड २०.२४ प्रतिशत रहता है।
सांद्रता | घनत्व | मोलरता | पीएच (pH) | श्यानता | विशिष्ट ऊष्मा | वाष्पदाब | क्वथनांक | द्रवणांक | ||
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kg HCl/kg | kg HCl/m3 | बौमे (Baumé) | kg/L | mol/dm3 | mPa·s | kJ/(kg·K) | kPa | °C | °C | |
10% | 104.80 | 6.6 | 1.048 | 2.87 | −0.5 | 1.16 | 3.47 | 1.95 | 103 | −18 |
20% | 219.60 | 13 | 1.098 | 6.02 | −0.8 | 1.37 | 2.99 | 1.40 | 108 | −59 |
30% | 344.70 | 19 | 1.149 | 9.45 | −1.0 | 1.70 | 2.60 | 2.13 | 90 | −52 |
32% | 370.88 | 20 | 1.159 | 10.17 | −1.0 | 1.80 | 2.55 | 3.73 | 84 | −43 |
34% | 397.46 | 21 | 1.169 | 10.90 | −1.0 | 1.90 | 2.50 | 7.24 | 71 | −36 |
36% | 424.44 | 22 | 1.179 | 11.64 | −1.1 | 1.99 | 2.46 | 14.5 | 61 | −30 |
38% | 451.82 | 23 | 1.189 | 12.39 | −1.1 | 2.10 | 2.43 | 28.3 | 48 | −26 |
इस सारणी के लिए सन्दर्भ ताप व दाब क्रमशः 20 °C तथा 1 वायुमण्डल (101.325 kPa) हैं। |
रसायन की दृष्टि से यह एक प्रबल अम्ल है। अनेक धातुओं, जैसे सोडियम, लोहा, जस्ता, बंग आदि को आक्रांत कर क्लोराइड बनाता और हाइड्रोजन उन्मुक्त करता है। धातुओं के आक्साइडों और हाइड्राक्साइडों को आक्रांत कर धातुओं का क्लोराइड बनाता और जल उन्मुक्त करता है। यह सरलता से आक्सीकृत हो क्लोरीन मुक्त करता है। मैंगनीज डाइआक्साइड पर हाइड्रोजनक्लोराइड की क्रिया से क्लोरीन निकलता है।
सांद्र हाइड्रोक्लोरिक अम्ल चमड़े को जलाता और शोथ उत्पन्न करता है। तनु अम्ल अपेक्षया निर्दोष होता है।
नाइट्रिक अम्ल के साथ मिलकर (HNO3 : HCl :: (3:1 अनुपात में) यह अम्लराज (aquaregia) बनता है जिसमें नाइट्रोसिल क्लोराइड (NOCl) रहता है जो अन्य धातुओं के साथ साथ प्लैटिनम और स्वर्ण को भी आक्रांत करता है। ये दोनों उत्कृष्ट धातुएँ अन्य किसी एक अम्ल से आक्रांत नहीं होती हैं।
हाइड्रोक्लोरिक अम्ल रसायनशाला का एक बहुमूल्य अभिकारक है। इसके उपयोग अनेक उद्योग धंधों में भी होते हैं। लोहे पर जस्ते या बंग का लेप चढ़ाने के पहले इसी अम्ल से सतह को साफ करते हैं। अनेक पदार्थों, जैसे सरेस, जिलेटिन, अस्थिकोयला, रंजकों के माध्यम, कार्बनिक यौगिकों अदि के निर्माण, में यह काम आता है। इसके अनेक लवण भी बड़े औद्योगिक महत्व के हैं। यह द्विगुण लवण भी बनाता है जिसके महत्व रासायनिक विश्लेषण में अधिक हैं। पेट्रोलियम कूपों के उपचार, बिनौले से कर्पासिका निकालने और रोगाणुनाशी के रूप में भी यह काम आता है। इसका उपयोग पानी में pH मात्रा संतूलित करने में होता है
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