यूक्लिड (Euclid; 300 ईसा पूर्व), या उकलैदिस, प्राचीन यूनान का एक गणितज्ञ था। उसे ज्यामिति का जनक कहा जाता है। उसकी एलिमेंट्स (Elements) नामक पुस्तक गणित के इतिहास में सफलतम् पुस्तक है। इस पुस्तक में कुछ गिने-चुने स्वयंसिद्धों (axioms) के आधार पर ज्यामिति के बहुत से सिद्धान्त निष्पादित (deduce) किये गये हैं। इनके नाम पर ही इस तरह की ज्यामिति का नाम यूक्लिडीय ज्यामिति पड़ा। हजारों वर्षों बाद भी गणितीय प्रमेयों को सिद्ध करने की यूक्लिड की विधि सम्पूर्ण गणित का रीढ़ बनी हुई
यूक्लिड ने शांकवों, गोलीय ज्यामिति और संभवत: द्विघातीय तलों पर भी पुस्तकें लि
यूक्लिड (Euclid) ग्रीक गणितज्ञ थे, जो ईसा से लगभग ३२५ वर्ष पूर्व हुए थे। ऐसा कहा जाता है कि प्लेटो (Plato) के शिष्यों से ही एथेंस में इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की थी। यह टोलेमी प्रथम (Ptolemy 1) के, जिसने ईसा से ३०६ वर्ष पूर्व से २८३ वर्ष पूर्व तक राज्य किया था, समकालीन थे। यूक्लिड ने [एलेक्ज़ेंड्रिया]] में एक पाठशाला स्थापित की थी। इसके अतिरिक्त यूक्लिड के विषय में कुछ पता नहीं चलाता। कुछ लोग इन्हें गलती से मेगारा (Megara) का यूक्लिड समझते थे, जो (Plato) का समकालीन था, परंतु यह उनका भ्रम था, जिसको एक लेखक ने १५७२ ई० में दूर किया।
यूक्लिड का सबसे बड़ा ग्रंथ 'एलीमेंट्स' (Elements) है, जो १३ भागों में है। इससे पहले भी बहुत से गणितज्ञों ने ज्यामितियाँ लिखी थीं, परंतु उन सब के बाद जो ज्यामिति यूक्लिड ने लिखी उसकी बराबरी आज तक कोई नहीं कर सका है और न संसार में आजतक कोई ऐसी पुस्तक लिखी गई जिसने किसी विज्ञान के क्षेत्र में बिना बदले हुए लगभग २,००० वर्षो तक अपना प्रभुत्व जमाए रखा हो और जो मूल में १९वीं शताब्दी के अंत तक पढ़ाई जाती रही हो। यूक्लिड ने नई उत्पत्तियाँ दी। उत्पत्तियों के क्रम भी बदल दिए, जिससे पुरानी उत्पत्तियाँ सब बेकार हो गई। यह मानना ही पड़ेगा कि पुस्तक की अभिकल्पना उसकी अपनी थी। उसने उस समय तक के सभी अनुसंधानों को अपनी पुस्तक में दे दिया था। उसने सभी तथ्यों को बड़े तार्किक ढंग से ऐसे क्रम में लिखा कि प्रत्येक नया प्रमेय उसके पहले प्रमेयों के तथ्यों पर आधारित था। ऐसा करते करते यूक्लिड ऐसे तथ्यों पर पहुँचे जिनके लिये प्रमाण की आवश्यकता नहीं थी। उन्होंने ऐसे तथ्यों को स्वयंसिद्ध कहा। ऐसे स्वयंसिद्धों की संख्या कहीं छह, या कहीं बारह है। अंतिम स्वयंसिद्ध इस प्रकार है। यदि एक रेखा दो रेखाओं को काटे और एक ओर अंत:कोणें का योग दो समकोण से कम है। बहुत दिनों तक तो इस स्वयंसिद्ध के विषय में किसी को आलोचना करने का साहस नहीं हुआ, परंतु लोग इसको स्वयंसिद्ध मानने में आपत्ति करते रहे। यहाँ तक कि बहुत अन्वेषण हुए। १९वीं शताब्दी में ही लोग इस निष्कर्ष पर पहुँच पाए कि उपर्युक्त स्वयंसिद्ध सत्य नहीं है, जिससे उन्होंने अयूक्लिडीय ज्यामिति का आविष्कार किया। अज्
यूक्लिड ने अन्य ग्रंथ भी लिखे हैं, जिनमें कुछ मिले हैं और कुछ नहीं। जो ग्रंथ मिले हैं, वे निम्नलिखित है
(१) डाटा (Data) इसमें ९४ प्रमेय हैं, जो इस बात से संबंध रखते हैं कि यदि किसी आकृति के कुछ अवयय ज्ञात हों, तो अन्य कैसे निकाले जाएँ।
(२) भाग (Division)- यह पुस्तक मूल रूप में तो नहीं मिली परंतु पैरिस में इसका अरबी भाषा में रूपांतर मिला। इसका संपादन १८५१ ई० में यूरोपीय भाषाओं में हुआ। इस पुस्तक में किसी आकृति को बराबर भागों, या किसी नियत अनुपात कें बाँटने के संबंध में बहुत से प्रमेय दिए हैं।
(३) ऑप्टिक्स (Optics)- इस नाम की पुस्तक ग्रीक में ही विद्यमान है।
(४) फेनॉमिना (Phaenomena)- इस ग्रंथ में गोले की ज्यामिति की व्याख्या की है, जो ज्योतिष से संबंध रखती है।
गान विद्या पर भी एक पुस्तक लिखी कही जाती है, परंतु यह यूक्लिड की लिखी नहीं मालूम पड़ती। अन्य ग्रंथ, जिनका पता नहीं चला है, निम्नलिखित है:
(१) नौसिखियों को भ्रांतियों से आगाह करने के संबंध में एक ग्रंथ।
(२) पोरिज़म ; तीन खंड़ों में।
(३) शांकव, चार भागों में।
(४) तलपथ (surface Loci), चार भागों में।
यूक्लिड के एलिमेंट्स का बहुत सी भाषाओं में अनुवाद किया गया है। इसका सबसे पहले लैटिन और अरबी में अनुवाद हुआ, जिसका १५७० ई० में अंग्रेजी में अनुवाद हुआ।
१७९८ ई० में इस गणितज्ञ की स्मृति में यूक्लिड नाम का शहर बसाया गया, जो अमरीका के ओहायो प्रांत में है।
चन्द्रकान्त राजू तथा कुछ अन्य विद्वानों का विचार है कि युक्लिड एक मिथक व्यक्तित्व है। उनका तर्क है कि युक्लिड को जिस 'एलिमेन्ट्स' आदि का रचनाकार बताया जाता है वे पुस्तकें बहुत बाद की रचना हैं। ग्रीक पाण्डुलिपियों में युक्लिड का नाम नहीं आता, बल्कि सभी पाण्डुलिपियाँ 'एलिमेण्ट्स के लेखक' कहकर अनाम व्यक्ति की ओर संकेत करतीं हैं।
{{प्राचीन यूनान के प्रमुख दार्श निक}}
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