दूसरों के कष्टों और संवेगों (Feelings) का अनुभव करने और समझने को तदनुभूति या समानुभूति (Empathy) कहते हैं। समानुभूति, असमानुभूति (Antipathy) के विपरीत और उदासीनता (apathy) से भिन्न होती है। असमानुभूति में कोई व्यक्ति लोगों के कष्ट को समझने और महसूस करने की बात तो दूर वह उनके विपरीत होता है। समानुभूति, उदासीनता से भिन्न होती है, जबकि सहानुभूति (Sympathy) से बहुत आगे की भावना है।
समानुभूति में दो पहलू पाये जाते हैं- एक, समानुभूति वाला व्यक्ति वह महसूस करता है, जो दूसरा महसूस करता है। दूसरा, समानुभूति वाला व्यक्ति वह समझ सकता है, जो दूसरा महसूस करता है। पहले घटक को भावात्मक घटक कहते हैं जो सभी प्राणियों में होता है। जबकि समानुभूति का संज्ञानात्मक घटक केवल मनुष्य में होता है। दूसरों के कष्ट या संवेगों को दूसरे के परिप्रेक्ष्य से समझने की योग्यता केवल मनुष्य में होती है।
सामाजिक मनोवैज्ञानिकों, के अनुसार दूसरों के कष्टों या संवेगों से परिप्रेक्ष्य ग्रहण के तरीके को समानुभूति कहते हैं। परिप्रेक्ष्य ग्रण तीन प्रकार का होता है-
किसी व्यक्ति के मन में समानुभूति उत्पन्न होने का एक तरीक यह होता है कि किसी घटना का दूसरे व्यक्ति पर परिणाम क्या होगा, इसकी कल्पना के द्वारा वह चीजों को समझता है। इसे 'राहगीर की समानुभूति' (जो भूकंप, आतांकवादी हमला या सूखा से गुजर रहे होते हैं), कहते हैं। किसी भूकंप, आतंकवादी हमला या सूखा की आपदा या त्रासदी से न गुजरने वाले भी जब ऐसे लोगों की मदद के लिए आगे आते हैं, तो इसे अन्य कल्पना परिप्रेक्ष्य के तरीके पर आधरित समानुभूति कहते हैं।
किसी व्यक्ति के मन में समानुभूति उत्पन्न होने का दूसरा तरीका यह होता है कि वह कल्पना करे कि कोई घटना यदि उसके साथ होती हो उसे कैसा लगता। यह स्व कल्पना परिप्रेक्ष्य है। जैसे बाढ़ या तूफान की घटना को देखने के बाद उसे अपने ऊपर लगा कर देखना कि उसका परिणाम क्या होगा, यह स्व कल्पना परिप्रेक्ष्य है। स्व कल्पना परिप्रेक्ष्य पर आधरित समानुभूति में सहायता की प्रवृत्ति तीव्र होती है। लोग अधिक समानुभूति व्यक्त करते हैं, जब वे उसी प्रकार की आपदा का सामना करते हैं। उदाहरण के लिए जो लोग पहले तूफान का सामना कर चुके होंगे वे तूफान से प्रभावित व्यक्तियों के प्रति विशेष रूप से प्रतिक्रियात्मक होंगे। जिन्होंने भूस्खलन एवं बाढ़ का सामना किया होगा, वे उन लोगों की तुलना में जिन्होंने ऐसी विपदा न झेली हो, जैसे वे बाढ़ पीड़ितों के प्रति अधिक प्रतिक्रिया करेंगे। गरीबी का अनुभव झेल चुके व्यक्ति गरीब व्यक्ति के प्रति अधिक गहन संवेगात्मक प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं।
किसी व्यक्ति के मन में समानुभूति पैदा होने का एक तरीका फैंटेसी भी होती है। यह समानुभूति एक कल्पित चरित्र, कल्पित व्यक्ति या जानवर के लिए होती है। टाइटैनिक फिल्म देखने के दौरान अंत में टाइटैनिक जहाज के डूब जाना और अपनी प्रेमिका के लिए कुर्बानी देखकर फिल्म के अन्य पात्रों के साथ रोना फैंटेसी के आधार पर पैदा हुई समानुभूति है।
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