चार्ल्स द्वितीय (29 मई 1630 - 6 फरवरी 1685) 1649 से 1651 तक स्कॉटलैंड का राजा एवं 1660 से 1685 में अपनी मृत्यु तक स्कॉटलैंड, इंग्लैण्ड और आयरलैण्ड का राजा था।
चार्ल्स द्वितीय | |
---|---|
स्कॉट्स का राजा, इंग्लैण्ड का राजा और आयरलैण्ड का राजा | |
शासनावधि | 29 मई, 1660 – 6 फरवरी, 1685 (वैधानिक रूप से राजा 30 जनवरी 1649 से) |
पूर्ववर्ती | रिचर्ड क्रामवेल (वास्तविक) चार्ल्स प्रथम (वैधानिक) |
उत्तरवर्ती | जेम्स द्वितीय |
जन्म | 29 मई 1630 सेंट जेम्स पैलेस, लंदन |
निधन | 6 फ़रवरी 1685 वाइटहॉल पैलेस, लंदन | (उम्र 54)
समाधि | |
जीवनसंगी | ब्रागांंज़ा की कैथरीन |
घराना | स्टुआर्ट |
पिता | चार्ल्स प्रथम |
माता | फ्रांस की हरीता मारिया |
अंग्रेजी गृहयुद्ध के दौरान 30 जनवरी 1649 को व्हाइटहॉल में इनके पिता चार्ल्स प्रथम को प्राणदण्ड दे दिया गया था। तब स्कॉटलैंड की संसद ने 5 फरवरी 1649 को चार्ल्स द्वितीय को राजा बनाने की घोषणा की। क्रॉमवेल ने 3 सितंबर 1651 को वॉर्सेस्टर की लड़ाई में चार्ल्स द्वितीय को हराया और चार्ल्स यूरोप भाग गए। जिसके बाद कुछ साल तक राजशाही समाप्त करके इंग्लैण्ड, स्कॉटलैण्ड और आयरलैण्ड में आलिवर क्रामवेल के नेतृत्व में गणतन्त्र की स्थापना हुई। चार्ल्स ने अगले नौ वर्ष फ्रांस, डच गणराज्य और स्पेनिश नीदरलैंड में निर्वासन में बिताए। 1658 में क्रॉमवेल की मृत्यु के बाद हुए राजनीतिक संकट के परिणामस्वरूप राजशाही की बहाली हुई और चार्ल्स को ब्रिटेन लौटने के लिए आमंत्रित किया गया। इनके राजा बनने की ठीक तारीख़ तय करना मुश्किल है, क्योंकि उस समय ब्रिटेन में काफ़ी राजनैतिक उथल-पुथल हो रही थी। 1660 के बाद, सभी कानूनी दस्तावेजों में ऐसा किया गया जैसे कि उन्होंने 1649 में अपने पिता से ही राजगद्दी प्राप्त की हो।
यूरोप में हो रहे कैथोलिक और प्रोटेस्टैण्ट संप्रदायों के बीच हो रहे संघर्ष की वजह से चार्ल्स द्वितीय का अधिकतर समय घरेलू और विदेशी नीतियों को संभालने में लगा। उनके प्रारंभिक शासनकाल की प्रमुख विदेश नीति दूसरा एंग्लो-डच युद्ध था। 1670 में, उन्होंने फ्रांस के राजा एवं फुफेरे भाई राजा चौदहवें लुई के साथ एक गठबंधन किया। लुई ने उन्हें तीसरे एंग्लो-डच युद्ध में सहायता करने और उन्हें पेंशन देने की सहमति दी और चार्ल्स ने गुप्त रूप से एक अनिर्दिष्ट तारीख में कैथोलिक धर्म में धर्म परिवर्तन करने का वादा किया। अपने पिता की तरह ही इंग्लैण्ड की संसद के साथ चार्ल्स द्वितीय के सम्बन्ध काफ़ी तनावपूर्ण रहे। चार्ल्स ने अपने 1672 के रॉयल घोषणापत्र के साथ कैथोलिकों के लिए धार्मिक स्वतंत्रता देने का प्रयास किया, लेकिन अंग्रेजी संसद ने उन्हें इसे वापस लेने के लिए मजबूर कर दिया। साथ ही इनके दरबार में कूटनीति और साजिशों का बोलबाला रहा। 1679 में, एक खुलासे ने संकट को जन्म दिया जब यह पता चला कि चार्ल्स के भाई और उत्तराधिकारी जेम्स, ड्यूक ऑफ यॉर्क, कैथोलिक हैं। इसी समय इंग्लैण्ड में विग और टोरी राजनैतिक पार्टियाँ पहली बार उभर कर सामने आईं। अपने राज के अन्तिम वर्षों में इन्होंने संसद को हटाकर खुद का राज स्थापित करने में सफलता मिली। चार्ल्स ने 1681 में अंग्रेजी संसद को भंग कर दिया और 1685 में अपनी मृत्यु तक अकेले शासन किया। लेकिन पिता की तरह इन्हें लोगों के विरोध का सामना करना नहीं पड़ा, जिसका प्रमुख कारण है कि इन्होंने जनता पर कोई नए कर नहीं लगाए।
चार्ल्स द्वितीय को मैरी मोनार्क (अंग्रेजी: Merry Monarch, खुशदिल राजा) कहा जाता है, क्योंकि इनके दरबार में ज़िन्दादिली और इच्छावाद का बोलबाला था। इनकी बहुत सी अवैधानिक संताने हुईं लेकिन कोई वैधानिक सन्तान नहीं हुई। इसलिये राजगद्दी के उत्तराधिकारी उनके भाई जेम्स हुए। ये ललित कलाओं के संरक्षक थे, जिनको प्रोटेक्टेरेट में लगे निषेध के बाद इनके दरबार में बहुत प्रोत्साहन मिला। चार्ल्स द्वितीय ने मृत्यु से पहले रोमन कैथोलिक सम्प्रदाय को अपना लिया था।
इनका विवाह पुर्तगाली राजकुमारी कैथरीना से 1661 को हुआ था और इनको दहेज में मुंबई प्राप्त हुआ था।
यह जीवनचरित लेख एक आधार है। जानकारी जोड़कर इसे बढ़ाने में विकिपीडिया की मदद करें। |
This article uses material from the Wikipedia हिन्दी article इंग्लैंड के चार्ल्स द्वितीय, which is released under the Creative Commons Attribution-ShareAlike 3.0 license ("CC BY-SA 3.0"); additional terms may apply (view authors). उपलब्ध सामग्री CC BY-SA 4.0 के अधीन है जब तक अलग से उल्लेख ना किया गया हो। Images, videos and audio are available under their respective licenses.
®Wikipedia is a registered trademark of the Wiki Foundation, Inc. Wiki हिन्दी (DUHOCTRUNGQUOC.VN) is an independent company and has no affiliation with Wiki Foundation.