महेंदर मिसिर (16 मार्च 1865 – 26 अक्टूबर 1946) भोजपुरी भाषा के कवी रहलें। इनके खास पहिचान इनके लिखल पुरबी गीत सभ के वजह से भइल आ इनके पूरबी सम्राट भा पुरबिया उस्ताद के उपाधि दिहल गइल। इनके जिनगी के ऊपर भोजपुरी लेखक पांडेय कपिल एगो उपन्यास फुलसुंघी लिखलें जे भोजपुरी साहित्य में खास महत्व वाला उपन्यास बाटे। 1994 में रामनाथ पांडेय जी के उपन्यास महेन्दर मिसिर, जौहर साफियाबादी जी के पूर्वी के धाह, जगन्नाथ मिश्र जी द्वारा लिखित पुरवी के पुरोधा, तीर्थराज शर्मा जी द्वारा लिखित उपन्यास गीत जो गा न सका और भगवती प्रसाद द्विवेदी जी द्वारा प्रकाशित महेन्द्र मिसिर प्रमुख किताब बा जे इनका बारे में बा।
महेंदर मिसिर | |
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जनम | मार्च 16, 1865 |
निधन | अक्टूबर 26, 1946 छपरा, बिहार | (उमिर 81)
पेशा | कवी |
भाषा | भोजपुरी |
राष्ट्रियता | भारतीय |
समय | ब्रिटिश काल |
बिधा | पूरबी, भजन, निर्गुण, गजल, दादरा, ठुमरी, बारहमासा |
बिसय | प्रेम, बिरह, भक्ती |
साहित्यिक आंदोलन | भोजपुरी के प्रथम महाकाव्य, अपुर्व रामायण की रचना |
सक्रियता साल | अंतिम क्षण तक यानी 1946 ई0 तक |
संतान | 1 |
रिश्तेदार | शिवशंकर मिसिर (बाबूजी) गायत्री देई (महतारी) |
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