पृथ्वी

पृथ्वी (प्रतीक: ) सौर मंडल में सूर्य के ओर से बुध अउरी शुक्र की बाद तिसरका ग्रह हवे। पृथ्वी से मिलत जुलत संरचना वाला ग्रहन के पार्थिव ग्रह कहल जाला जिनहन में पृथ्वी सबसे बड़हन बाटे आ बाकी अउरी तीन गो बुध, शुक्र आ मंगल बाड़ें। पृथ्वी अंतरिक्ष में से नीला रंग के लउकेले एही से एकरा के नीला ग्रह भी कहल जाला। वैज्ञानिक प्रमाण की हिसाब से पृथ्वी के उत्पत्ति अब से करीब साढ़े चारि अरब बरिस पहिले भइल रहल।

पृथ्वी 🜨
पृथ्वी
"दि ब्लू मार्बल" नाँव के फोटो, अपोलो 17 मिशन के दौरान 1972 में लिहल गइल
परिकरमा कक्षा बिसेसता
ऍपक J2000
अपसौर152100000 किमी
(94500000 मील; 1.017 AU)
उपसौर147095000 किमी
(91401000 मील; 0.98327 AU)
सेमी-मेजर एक्सिस
149598023 किमी
(92955902 मील; 1.00000102 AU)
इस्सेंट्रीसिटी0.0167086
ऑर्बिटल पीरियड
365.256363004 d
(1.00001742096 yr)
औसत ऑर्बिटल गति
29.78 किमी/से
(107200 किमी/घं; 66600 मील/घं)
औसत एनामली
358.617°
ऑर्बिटल झुकाव
  • 7.155° सुरुज के बिसुवत से;
  • 1.57869° स्थाई प्लेन से;
  • 0.00005° J2000 एक्लिप्टिक से
उदय संपात के देशांतर
−11.26064° J2000 एक्लिप्टिक से
उपसौर के आर्गुमेंट
114.20783°
उपग्रह
  • 1 प्राकृतिक उपग्रह: चंद्रमा
  • 5 आभासी-उपग्रह
  • >1 400 चालू बनावटी उपग्रह
  • >16 000 अंतरिक्ष कचरा
भौतिक लच्छन
औसत रेडियस
6371.0 किमी (3958.8 मील)
बिसुवतरेखीय रेडियस
6378.1 किमी (3963.2 मील)
ध्रुवीय रेडियस
6356.8 किमी (3949.9 मील)
चपटापन0.0033528
1/298.257222101 (ETRS89)
परिधि
  • 40075.017 किमी बिसुवत रेखी (24901.461 मील)
  • 40007.86 किमी देशांतरी (24859.73 मील)
सतह क्षेत्रफल
  • 510072000 किमी2 (196940000 वर्ग मील)
  • 148940000 किमी2 जमीनी (57510000 वर्ग मील; 29.2%)
  • 361132000 किमी2 जलक्षेत्र (139434000 वर्ग मील; 70.8%)
आयतन1.08321×1012 km3 (2.59876×1011 cu mi)
द्रब्यमान5.97237×1024 किg (1.31668×1025 पाउंड)
(3.0×10−6 M)
औसत घनत्व
5.514 ग्रा/सेमी3 (0.1992 lb/cu in)
सतही गुरुत्व
9.807 मी/से2 (g; 32.18 फुट/से2)
इनर्शिया फैक्टर के मूमेंट
0.3307
इस्केप वेलासिटी
11.186 किमी/से
(40270 किमी/घं; 25020 मील/घं)
साइडेरियल घुमरी काल
0.99726968 d
(23h 56m 4.100s)
बिसुवतरेखी घुमरी बेग
0.4651 किमी/से
(1674.4 किमी/घं; 1040.4 मील/घं)
एक्सिस के झुकाव
23.4392811°
अल्बेडो
  • 0.367 ज्यामिती
  • 0.306 बांड अल्बेडो
सतही ताप. मिनि. औस. अधि.
केल्विन 184 K 288 K 330 K
सेल्सियस −89.2 °C 15 °C 56.7 °C
फारेनहाइट −128.5 °F 59 °F 134 °F
वायुमंडल
सतही दाब
101.325 किलोपास्कल (समुंद्र तल पर)
आयतन अनुसार घटक

पृथ्वी के सबसे बड़ बिसेसता बा इहाँ जीवित जीव जंतु आ पेड़ पौधा के मिलल। अबहिन ले पूरा ब्रह्माण्ड में अउरी कौनो अइसन पिण्ड नइखे मिलल जेवना पर जीवन मिलला के सबूत होखे। खाली मनुष्ये ना बालुक अउरी हजारन लाखन परकार के जीवित परानी पृथ्वी पर निवास करेलन। एकरी खातिर कई गो कारण जिम्मेवार बा जइसे कि पृथ्वी के सूर्य से दूरी एकदम सही बा ए से ई न ढेर गरम रहेले न ढेर ठंढा हो जाले, पृथ्वी के वायुमंडल में गैसन के मात्रा एकदम सही अनुपात में बा, ओजोन परत आ पृथ्वी के चुंबकीय मण्डल सूर्य की हानिकारक किरण से जीवित परानिन के रक्षा करे लें।

पृथ्वी के जीवन धारण कइला कि क्षमता की कारण आ मनुष्य कि एकरी ऊपर निर्भर रहला की कारण एकरा के भारतीय संस्कृति में धरती माई कहल जाला काहें कि सगरी जीव जंतु आ पेड़ पौधा एही पृथ्वी के संतान हवे लोग । संसार की प्राचीनतम ग्रन्थ वेद में पृथ्वी कि आराधना में एगो पूरा सूक्त बा जेवना के पृथिवी सूक्त कहल जाला। पुरानन में पृथ्वी के शेषनाग की फन पर स्थित बतावल गइल बा।

पृथ्वी के अध्ययन करे वाला विज्ञानन के पृथ्वी विज्ञान कहल जाला। इन्हन में सबसे पुरान विज्ञान के भूगोल कहल जाला जेवन पृथ्वी के अलग-अलग अस्थान के रूप आ उहाँ पावल जाए वाला पर्यावरण आ लोगन के अध्ययन आ वर्णन करे वाला विषय हवे। पृथ्वी की अन्दर की जानकारी के खोज करे वाला बिज्ञान भूगर्भशास्त्र कहल जाला। भूगोल में पृथ्वी की ज़मीन वाला हिस्सा के स्थलमंडल, पानी वाला हिस्सा के जलमंडल, पृथ्वी की चारो ओर की गैस से बनल हिस्सा के वायुमंडल आ ए बाकी तीनों में व्याप्त ओ हिस्सा के जे में जीव पावल जालें, जैवमंडल कहल जाला।

पृथ्वी पर पावल जाए वाला पर्यावरण मनुष्य आ बाकी सभ जीव जंतु खातिर बहुत महत्व के चीज बा काहें से कि एकरी अन्दर गड़बड़ी से एकर संतुलन बिगड़ जाई टा सारा जीव जंतु के अस्तित्व समाप्त हो जाई। एही से पृथ्वी की पर्यावरण के सुरक्षा खातिर बहुत व्यापक चर्चा होत बा काहें से कि मनुष्य की क्रियाकलाप से पृथ्वी की प्राकृतिक पर्यावरण के खतरा पैदा हो गइल बा।

हर साल अप्रैल महीना की 22 तारिख के पृथ्वी दिवस आ 5 जून के पर्यावरण दिवस मनावल जाला।

नाँव

पृथ्वी (या पृथिवी) के अरथ होला "बिसाल आकार वाली" आ एकरा के अउरी कई गो नाँव से भी जानल जाला, जइसे कि धरती, भूमि, भू, भूँइ वगैरह। पृथिवी शब्द से जुड़ल पुराणन के कहानी भी बा। विष्णु पुराण के मोताबिक राजा पृथु के नाँव पर "पृथ्वी" नाँव पड़ल हवे। कहानी के अनुसार अंग देस के राजा वेन सुभाव से दुष्ट रहलें आ जज्ञ पूजा के रोक दिहलें जेकरे कारण तपस्वी ऋषि लोग उनके पीट के मुआ घालल आ उनके बाँह के मीसल जेकरा से पृथु नाँव के राजा पैदा भइलें। प्रजा के पृथ्वी से अन्न आ शाक वगैरह मिलल बंद हो गइल रहे जेकरे कारण पृथु तीर-धेनुही ले के पृथ्वी के पीछा कइलें जे गाय के रूप ध के भागल आ अंत में एह शर्त पर तइयार भइल कि ओकरा के एगो बाछा दे दिहल जाय। तब पृथु, स्वयंभू मनु के बाछा बना के पृथ्वी रुपी गाय के दुहलें आ ओकरे बाद पृथ्वी से फिर से अन्न वगैरह के उपज सुरू भइल।

पृथ्वी के अन्य नाँव भी बाने। धरा, धरती वगैरह के अरथ सभके धारण करे वाली होला। वसुंधरा के अरथ वसु सभ के धारण करे वाली। रसा के अरथ जेह में सभ रस मौजूद होखे भा जेह से रस के उत्पत्ती होखे। रत्नगर्भा मने जेह से रतन उत्पन्न होखत होखें।

अंग्रेजी में पृथ्वी के अर्थ (Earth) कहल जाला। लातीनी भाषा में टेरा (Terra) आ यूनानी भाषा में ज्या भा जी (γῆ)। टेरा से टेरेस्ट्रियल वगैरह शब्द बने लें जबकि ज्याग्रफी (भूगोल), जियोलोजी (भूबिज्ञान) वगैरह शब्द यूनानी मूल शब्द से बनल हवें।

वैदिक साहित्य में ऋग्वेद आ अथर्ववेद में पृथ्वी के देवी रूप में बर्णन कइल गइल बा। अथर्ववेद में पृथ्वीसूक्त में पृथ्वी देवी के बिस्तार से स्तुति गावल गइल बा।

समयक्रम

निर्माण

पृथ्वी 
सुरुआती सौर मंडल आ ग्रह सभ के डिस्क के कल्पना आधरित चित्र

सौर मंडल में मौजूद सभसे पुरान पदार्थ के समय 4.5672±0.0006 बिलियन साल पहिले (Gya) निर्धारित कइल गइल बा। 4.54±0.04 Gya तक ले सुरुआती (प्राइमार्डियल) पृथ्वी के निर्माण हो गइल रहे। सौर मंडल के ग्रह आ वगैरह सभ के निर्माण आ इवोल्यूशन सुरुज के साथे-साथ भइल। सिद्धांत रूप में, एगो सौर नेबुला से मॉलिक्यूलर बदरी के रूप में निकल के पदार्थ चापट डिस्क के नियर रूप लिहलस जे घुमरी करे लागल आ एही डिस्क से ग्रह सभ आ सुरुज के उत्पत्ती भइल। नेबुला में गैस, बरफ के कण, आ ब्रह्मांडी धूर रहल (जेह में प्राइमार्डियल यानि सुरुआती न्यूक्लियस भा केंद्रबिंदु भी रहलें)। नेबुलर सिद्धांत के अनुसार, ग्रहाणु (प्लैनेटेसिमल) सभ के उत्पत्ती नेबुला के पदार्थ सभ के एकट्ठा होखे (एक्रियेशन) से भइल आ सुरुआती पृथ्वी के बने में 10–20 मिलियन साल (Ma) के समय लागल।

चंद्रमा के उत्पत्ती, जवन 4.53 बिलियन साल पहिले भइल, अभिन ले रिसर्च के बिसय बा। कामचलाऊँ हाइपोथीसिस के मोताबिक, चंद्रमा के उत्पत्ती पृथ्वी से निकलल पदार्थ के एकट्ठा होखे से भइल जब मंगल के आकार के एगो आकाशी पिंड थीया (Theia) पृथ्वी के टकरा गइल। एह सिनैरियो में, थीया के द्रब्यमान पृथ्वी के द्रब्यमान के 10% के आसपास रहल, भयानक टक्कर भइल, आ एकर कुछ द्रब्यमान पृथ्वी के साथ बिलय भी हो गइल। लगभग 4.1 आ 3.8 Gya तक ले, कई सारा एस्टेरोइड टक्कर भइल जेकरा के अब बाद के हैबी बमबारी कहल जाला आ ई काफी ब्यापक रूप से चंद्रमा के सतह आ वातावरण के बदल दिहलस, एही तर्ज पर, अइसने परभाव धरती पर भी भइल।

भूगर्भशास्त्रीय इतिहास

पृथ्वी 
हूडू नाँव के थलरूप, अमेरिका के उटा राज्य के ब्राइस कैनियन नेशनल पार्क में।

धरती के वायुमंडल आ समुंद्र सभ के रचना ज्वालामुखी क्रिया आ अन्य तरीका से बाहर निकले वाली गैसन के द्वारा भइल जेह में जलभाप भी शामिल रहल। जलभाप के ठंढ़ाईला में एस्टेरोइड, प्रोटोप्लैनेट (आदिग्रह), आ पुच्छल तारा सभ से मिलल पानी आ बरफ के भी योगदान रहल। एह सिद्धांत के मोताबिक, वायुमंडल में मौजूद "ग्रीनहाउस गैस" सभ के कारण समुंद्र के पानी जमे ना पावल जबकि सुरुज अभी अपने वर्तमान दीप्ति के 70% भर प्रकाश देत रहे। 3.5 Gya तक ले, पृथ्वी के चुंबकी क्षेत्र स्थापित हो चुकल रहल, ईहो एह काम में मदद कइलस आ सौर हवा से उड़ के वायुमंडल के बिनास होखे से बचावे में मदद कइलस।

क्रस्ट, यानी पृथ्वी के ऊपरी ठोस परत, के निर्माण पघिलल बाहरी परत के ठंढा होखे से बनल। दू गो मॉडल बाने जे धरती के जमीनी हिस्सा के वर्तमान रूप के धीरे-धीरे निर्माण या फिर, बहुत संभावित बा कि, अचानक तेजी से भइल बिकास के ब्याख्या करे लें जवन कि पृथ्वी के सुरुआती इतिहास में भइल रहल होखी आ एकरे बाद लमहर समय खातिर पृथ्वी के जमीनी महादीपी हिस्सा स्थाई रूप पा गइल। महादीप सभ के उत्पत्ती प्लेट टेक्टॉनिक्स के द्वारा भइल जेकरा के चलावे वाली ताकत पृथ्वी के ठंढा हो रहल अंदरूनी हिस्सा से आवे ले। भूबैज्ञानिक समय पैमाना पर देखल जाव त पछिला कई सौ करोड़ साल में सुपरमहादीप सभ टूट के बिलग होखे आ दुबारा एकट्ठा होखे के प्रक्रिया से गुजरल बाने। लगभग 750 Mya (मिलियन (करोड़) साल पहिले), सभसे पुरान मालुम सुपरमहादीप रोडीनिया टूटे सुरू भइल। बाद में एकर हिस्सा 600–540 Mya के आसपास दोबारा जुड़ के पैनोटिया नाँव के सुपर महादीप बनवलें। एही तरीका से अंत में पैंजिया सुपरमहादीप बनल आ 180 Mya के लगभग इहो टूट गइल जेकर टुकड़ा वर्तमान समय के महादीप हवें सऽ।

बर्फानी जुग के वर्तमान पैटर्न 40 Mya में सुरू भइल आ प्लीस्टोसीन काल, 3 Mya, में अउरी पोढ़ भइल। ऊँच-अक्षांस वाला इलाका सभ में एकरे बाद से कई बेर बर्फानी जुग के ग्लेशियर निर्माण आ फिर इनहन के पघिलाव के घटना भइल बा आ लगभग हर 40,000–100000 साल में चक्र के रूप में अइसन भइल बा। अंतिम महादीपी ग्लेशीयेशन करीबन 10,000 साल पहिले भइल रहे।

जीवन के उत्पत्ती आ इवोल्यूशन

Life timeline
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-4500 —
-4000 —
-3500 —
-3000 —
-2500 —
-2000 —
-1500 —
-1000 —
-500 —
0 —
water
Single-celled
life
photosynthesis
Eukaryotes
Multicellular
life
Land life
Dinosaurs    
Mammals
 
Earliest Earth (−4540)
Earliest water
Earliest life
LHB meteorites
Earliest oxygen
Atmospheric oxygen
Oxygen crisis
Earliest sexual reproduction
Ediacara biota
Cambrian explosion
Earliest humans
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Pongola
Huronian
Cryogenian
Andean
Karoo
Quaternary
Axis scale: millions of years.
Orange labels: known ice ages.
Also see: Human timeline and Nature timeline
पृथ्वी 
पृथ्वी पर जीवन के फाइलोजेनेटिक वर्गीकरण, आरएनए के एनालिसिस पर आधारित

अबसे लगभग चार बिलियन बरिस पहिले, केमिकल रियेक्शन के चलते पहिला अइसन अणु (मोलिक्यूल) सभ के उत्पत्ती भइल जे खुद अपने नियर अणु पैदा करे में सक्षम रहलें। एकरे लगभग आधा बिलियन साल बाद, पृथ्वी के सभसे पहिला अइसन जिंदा के जीव के पैदाइश भइल जे बाद के सगरी जिंदा परानी सभ के पूर्बज मानल जा सके ला। प्रकास संश्लेषण (फोटोसिंथेसिस) के बिकास भइल आ सुरुज के रोशनी से मिले वाली उर्जा के सीधा तरीका से सजीव जीवधारी अपना भोजन बनावे में करे सुरू क दिहलें। एह से पैदा भइल ऑक्सीजन (O2) वायुमंडल में जमा भइल आ सुरुज के अल्ट्रावायलेट किरन से रिएक्शन क के पृथिवी के चारों ओर ऊपरी वायुमंडल में ओजोन (O3) के एगो परत बना दिहलस जे एक तरह से सगरी सजीव सभ के सुरक्षा करे वाली परत हवे। एकरे बाद छोटहन कोशिका सभ के बड़हन कोशिका सभ में समहित होखे के बाद काम्प्लेक्स कोशिका सभ के निर्माण भइल, जिनहन के यूकार्योट कहल जाला। वास्तविक कई कोशिका वाला जीवधारी सभ के द्वारा बनल कालोनी के सभ के स्पेशलाइजेशन बढ़त गइल। नोकसानदेह अल्ट्रावायलेट किरन के सोख लिहल जाए के बाद पृथिवी पर जीवन के बिस्तार होखे में मदद मिलल। अबतक ले, सभसे पुरान जीवधारी सभ के परमान के रूप में, पच्छिमी आस्ट्रेलिया के बलुआ पाथर में से लगभग 3.48 बिलियन बरिस पुरान सूक्ष्मजीवी (माइक्रोबायल) फोसिल मिलल बाड़ें, जीवीय पैदाइश वाला 3.7 बिलियन बरिस पुरान ग्रेफाईट पच्छिमी ग्रीनलैंड के मेटासेडीमेंटरी चट्टान सभ में मिलल बाटे, आ पच्छिमी आस्ट्रेलिया के 4.1 बिलियन बरिस पुरान चट्टान में से जीवी तत्व मिलल बाड़ें।

नियोप्रोटेरोजोइक (Neoproterozoic) काल में, 750 to 580 Mya पहिले, पृथ्वी के ज्यादातर हिस्सा बरफ से तोपाइल रहल होखी। अइसन हाइपोथीसिस के "स्नोबाल अर्थ" (बरफीला गोला रुपी पृथ्वी) के नाँव से जानल जाला आ ई खासतौर पर अध्ययन आ रिसर्च के रूचि के बिसय बाटे काहें की ठीक एही के बाद ऊ घटना भइल जेकरा के कैम्ब्रियाई बिस्फोट कहल जाला, जेह में अचानक तेजी से, पृथ्वी पर बहुकोशिकी-जीव सभ के रचना अउरी ढेर काम्प्लेक्स यानि जटिल बन गइल। कैंब्रियाई बिस्फोट के बाद, 535 Mya के आसपास, पाँच बेर भारी पैमाना पर जीव सभ के बिलुप्त होखे के घटना भी भइल। अइसन सभसे हाल के बिलुप्ती घटना 66 Mya में भइल, जेकर कारन एगो उल्का टक्कर के मानल जाला आ एही के बाद पृथ्वी से डाइनासोर सभ के बिनास भइल आ अउरी ढेर सारा रेप्टाइल सभ के जिनगी बड़हन पैमाना पर परभावित भइल। पछिला 66 Ma में, मैमल सभ के जाति-प्राजाति में बहुत बिबीधता आइल, कुछ करोड़ बरिस पहिले, अफिरकी बनमानुस नियर जीव सभ सीधा खड़ा हो के चले सीखलें। एकरे बाद औजार के इस्तेमाल करे सुरू कइलेन आ आपस में संबाद के बिकास भइल, दिमाग के बिस्तार भइल आ एही क्रम में आधुनिक मनुष्य सभ के उत्पत्ती भइल। खेती के खोज आ उदोगीकरण के बाद मनुष्य खुद पृथ्वी के वातावरण आ जिया-जंतु के बहुत हद तक परभावित कइलस।

भाबिस्य

लमहर समय के बात कइल जाव त पृथ्वी के भाबिस्य सुरुज के भाबिस्य पर निर्भर बा। अगिला 1.1 Ga में सुरुज के दीप्ती (ल्यूमिनासिटी) लगभग 10% बढ़ी आ अगिला 3.5 Ga में ई 40% तक ले बढ़ जाई। धरती के साथ के तापमान बढ़ी आ ई पृथ्वी पर कार्बनडाईआक्साइड के मात्रा के में अइसन बदलाव होखी जेकरा कारण पौधा सभ के फोटोसिंथेसिस खातिर मिले वाला कार्बनडाईआक्साइड के मात्रा में खतरनाक तरीका ले गिरावट आई। पेड़-पौधा के बिनास से ऑक्सीजन के कमी होखी आ जियाजंतु सभ के भी बिनास हो जाई। एकरे एक बिलियन साल बाद, धरती के सारा पानी गायब हो चुकल होखी आ दुनिया के औसत बैस्विक तापमान 70 °C तक ले (158 °F) चहुँप चुकल होखी। एह नजरिया से देखल जाव त पृथ्वी अउरी 500 Ma साल तक ले निवास जोग रही, आ संभवतः 2.3 Ga तक ले अगर वायुमंडल से नाइट्रोजन निकाल दिहल जाय। अगर सुरुज के दसा न भी बदले आ स्थाई तौर पर अइसने रहे तबो अनुमान बा कि आधुनिक समुंद्र सभ के 27% पानी एक बिलियन साल में सरवत के जमीन के भीतर मैंटल में चहुँप जाई, एकर कारण समुंद्रमध्य के रिज सभ से भाप वेंटिंग के घटाव होखी।

सुरुज 5 Ga में बिकसित हो के रेड जायंट बन जाई। मॉडल सभ के प्रागअनुमान बा की सुरुज के आकार में फइलाव होखी। ई फइल के 1 AU (150,000,000 किमी) के हो जाई, ई आकार एकरे वर्तमान आकार के 250 गुना होखी। एह घटना के कारन पृथ्वी के भागि अनिश्चिते बा। एगो रेड जायंट के रूप में, सुरुज के द्रब्यमान में 30% के कमी होखी आ पृथ्वी के परिकरमा कक्षा 1.7 AU होखी जब सुरुज अपने बिस्तार के चरम पर होखी। अगर सगरी ना, त अधिकतर जिंदा चीज सभ के त बिनास होई जाई काहें की सुरुज के दीप्ती बहुत बढ़ जाई (अपना चरम पर ई वर्तमान के 5,000 गुना होखी)। 2008 के एगो सिमुलेशन मॉडल ई बतावल की पृथ्वी के परिकरमा के कक्षा अंत में ज्वारीय परभाव के चलते घट जाई आ अंत में ई सुरुज के वायुमंडल में प्रवेश क के भाफ बन जाई।

भौतिक बिसेसता

आकार आ आकृति

रासायनिक बनावट

  1. 34.6% आयरन (लोहा)
  2. 29.5% आक्सीजन
  3. 15.2% सिलिकन
  4. 12.7% मैग्नेशियम
  5. 2.4% निकेल
  6. 1.9% सल्फर
  7. 0.05% टाइटेनियम
  8. अन्य

धरती के घनत्व पूरा सौरमंडल मे बाकी सगरी पिण्डन में सबसे ज्यादा बा। बाकी चट्टानी ग्रहन के संरचना कुछ अंतर की साथ पृथ्विये की नियर हउवे। चन्द्रमा के केन्द्रक छोट हवे, बुध का केन्द्रक उसके कुल आकार की तुलना मे बहुत विशाल हवे, मंगल और चंद्रमा का मैंटल कुछ मोटा हवे, चन्द्रमा और बुध मे रासायनिक रूप से भिन्न भूपटल ना पावल जाला, सिर्फ पृथ्वी के अंत: और बाह्य मैंटल परत अलग है। ध्यान दिहल जाय कि ग्रहन (पृथ्वी भी) के आंतरिक संरचना की बारे मे हमनी के ज्ञान सैद्धांतिक हवे।

अंदरूनी बनावट

पृथ्वी 
पृथ्वी के आतंरिक संरचना

पृथ्वी के आतंरिक संरचना परतदार बाटे मने कि कई परत में बा। ए परतन के मोटाई का सीमांकन रासायनिक विशेषता या फर यांत्रिक विशेषता की आधार पर कइल जाला।

पृथ्वी के सबसे ऊपरी परत क्रस्ट एगो ठोस परत हवे, मध्यवर्ती मैंटल बहुत ढेर गाढ़ परत हवे, आ बाहरी क्रोड तरल अउरी आतंरिक क्रोड ठोस अवस्था में हवे।

पृथ्वी की आतंरिक संरचना की बारे में जानकारी के स्रोत को दू तरह के बाड़ें । प्रत्यक्ष स्रोत, जइसे ज्वालामुखी से निकलल पदार्थन के अध्ययन, समुद्र्तलीय छेदन से मिलल आंकड़ा के अध्ययन वगैरह, जेवन कम गहराई ले का जानकारी उपलब्ध करा पावे लें। दूसरी ओर अप्रत्यक्ष स्रोत की रूप में भूकम्पीय तरंगन के अध्ययन अउर अधिक गहराई की विशेषता की बारे में जानकारी देला।

यांत्रिक लक्षणों की आधार पर पृथ्वी के स्थलमण्डल, दुर्बलता मण्डल, मध्यवर्ती मैंटल, बाह्य क्रोड और आतंरिक क्रोड में बाँटल जाला। रासायनिक संरचना की आधार पर भूपर्पटी, ऊपरी मैंटल, निचला मैंटल, बाह्य क्रोड और आतंरिक क्रोड में बाँटल जाला।

पृथ्वी की अंतरतम के ई परतदार संरचना भूकंपीय तरंगों की संचलन आ उनहन की परावर्तन आ प्रत्यावर्तन पर आधारित ह जिनहन के अध्ययन भूकंपलेखी की आँकड़न से कइल जाला। भूकंप से पैदा भइल प्राथमिक अउरी द्वितीयक तरंगन के पृथ्वी की अंदर स्नेल की नियम के अनुसार प्रत्यावर्तित हो के वक्राकार पथ पर गति होले। जब दू गो परतन की बीच में घनत्व अथवा रासायनिक संरचना के अचानक परिवर्तन होला तब तरंगन के कुछ ऊर्जा उहाँ से परावर्तित हो जाले। परतन की बीच की अइसन जगहन के असातत्य (Discontinuity) कहल जाला।

गरमी

टेक्टॉनिक प्लेट

अन्य चट्टानी ग्रहन की ऊपरी परत से अगर तुलना कइल जाय त पृथ्वी के क्रस्ट (अउरी मेंटल के ऊपरी कुछ हिस्सा) कई ठोस हिस्सन में बाँटल बा जिनहन के प्लेट कहल जाला। ई प्लेट एस्थेनोस्फीयर की ऊपर तैरत रहेलीं आ एही गतिविधि के प्लेट टेक्टानिक कहल जाला।

(वर्तमान में) आठ प्रमुख प्लेट:

  1. उत्तर अमेरिकी प्लेट – उत्तरी अमेरिका, पश्चिमी उत्तर अटलांटिक अउरी ग्रीनलैंड
  2. दक्षिण अमेरिकी प्लेट – दक्षिण अमेरिका अउरी पश्चिमी दक्षिण अटलांटिक
  3. अंटार्कटिक प्लेट – अंटार्कटिका अउरी “दक्षिणी महासागर”
  4. यूरेशियाई प्लेट – पूर्वी उत्तर अटलांटिक, यूरोप अउरी भारत के अलावा एशिया
  5. अफ्रीकी प्लेट – अफ्रीका, पूर्वी दक्षिण अटलांटिक अउरी पश्चिमी हिंद महासागर
  6. भारतीय-आस्ट्रेलियाई प्लेट – भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड अउरी हिंद महासागर के अधिकांश
  7. नाज्का प्लेट – पूर्वी प्रशांत महासागर से सटे दक्षिण अमेरिका
  8. प्रशांत प्लेट – प्रशांत महासागर के सबसे अधिक (अउरी कैलिफोर्निया के दक्षिणी तट!)

पृथ्वी का भूपटल के उमिर बहुत काम हवे। खगोलिय पैमाना पर देखल जाय त ई बहुते छोटे अंतराल 500,000,000 वर्ष मे बनल हौउवे। क्षरण अउरी टेक्टानीक गतिविधी पृथ्वी की भूपटल को नष्ट करत रहेले औउरी दूसरी ओर नया भूपटल के निर्माण भी होत रहेला। पृथ्वी के सबसे शुरुवाती इतिहास के प्रमाण नष्ट हो चुकल बाडन। पृथ्वी के आयु करीब-करीब 4.5 अरब साल से लेके 4.6 अरब साल होखला के अनुमान वैज्ञानिक लोग लगावेला । लेकिन पृथ्वी पर सबसे पुरान चट्ठान 4 अरब वर्ष पुरान हउवे , 3 अरब वर्ष से पुरान चट्टान बहुत दुर्लभ रूप से मिलेली। जिवित प्राणियन के जीवाश्म के आयु 3.9 अरब बारिस से कम्मे मिलेला। जब पृथिवी पर जीवन के शुरुआत भइल ओह समय के कौनो प्रमाण अब उपलब्ध नइखे।

धरातल

जलमंडल

पृथ्वी की सतह का 70% हिस्सा पानी से ढंकल बा। पृथ्वी अकेला एइसन ग्रह हउवे जेवना पर पानी द्रव अवस्था मे सतह पर उपलब्ध हउवे । हमनी के ई जानले जात बा कि जीवन खातिर द्रव जल बहुत आवश्यक हउवे । समुद्र के गर्मी सोखला के क्षमता पृथ्वी की तापमान के स्थायी रखे मे बहुत महत्वपूर्ण हउवे । द्रव जल पृथ्वी की सतह के क्षरण (अपरदन) आ मौसम की खातिर बहुत महत्वपूर्ण हवे।(मंगल पर भूतकाल मे शायद एइसन गतिविधी भइल होखे ई हो सकेला।)

वायुमंडल

पृथ्वी के वायुमंडल मे 77% नाइट्रोजन, 21% आक्सीजन, अउरी कुछ मात्रा मे आर्गन, कार्बन डाई आक्साईड अउरी भाप पावल जाला। ई अनुमान लगावल जाला कि पृथ्वी की निर्माण की समय कार्बन डाय आक्साईड के मात्रा ज्यादा रहल होई जेवन चटटानन में कार्बोनेट की रूप मे जम गइल, कुछ मात्रा मे सागर द्वारा अवशोषित कर लिहल गइल, बाकी बचल कुछ मात्रा जीवित प्रानी द्वारा प्रयोग मे आ गइल होई। प्लेट टेक्टानिक अउरी जैविक गतिविधी कार्बन डाय आक्साईड के थोड़-बहुत मात्रा के उत्सर्जन आ अवशोषण करत रहेलन। कार्बनडाय आक्साईड पृथ्वी के सतह की तापमान के ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा नियंत्रण करे ले । ग्रीन हाउस प्रभाव द्वारा पृथ्वी सतह का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस की आस पास बनल रहेला नाहीं त पृथ्वी के तापमान -21 डीग्री सेल्सीयस से 14 डीग्री सेल्सीयस रहत; इसके ना रहने पर समुद्र जम जाते और जीवन असंभव हो जाता। जल बाष्प भी एगो आवश्यक ग्रीन हाउस गैस हउवे।

रासायनिक दृष्टि से मुक्त आक्सीजन भी आवश्यक हवे। सामान्य परिस्थिती मे आक्सीजन विभिन्न तत्वन से क्रिया करि के विभिन्न यौगिक बनावे ले। पृथ्वी की वातावरण में आक्सीजन के निर्माण अउरी नियंत्रण विभिन्न जैविक प्रक्रिया से होला। असल में जीवन के बिना मुक्त आक्सीजन संभव नइखे।

मौसम आ जलवायु

ऊपरी वायुमंडल

गुरुत्वाकर्षण

भूचुंबकता

पृथ्वी के आपन चुंबकीय क्षेत्र भी हउवे जेवन कि बाह्य केन्द्रक के विद्युत प्रवाह से निर्मित होला। सौर वायु ,पृथ्वी के चुंबकिय क्षेत्र और उपरी वातावरण में आयनमंडल से मिल के औरोरा बनाते है। इन सभी कारको मे आयी अनियमितताओ से पृथ्वी के चुंबकिय ध्रुव गतिमान रहते है, कभी कभी विपरित भी हो जाते है। पृथ्वी का चुंबकिय क्षेत्र और सौर वायू मीलकर वान एलन विकिरण पट्टी बनावेले, जो की प्लाज्मा से बनल हुयी छल्ला की आकार के जोड़ी हउवे जेवन पृथ्वी के चारो ओर वलयाकार मे पावल जाला। बाहरी पट्टी 19000 किमी से 41000 किमी तक हवे जबकि अंदरूनी पट्टी 13000 किमी से 7600 किमी तक हवे।

उपग्रह

चन्द्रमा पृथ्वी के एकलौता उपग्रह हवे । चन्द्रमा पृथ्वी से करीब डेढ़ लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थित हउवे आ ई पृथ्वी के चक्कर 27.3 दिन में लगावेला। बाकी ग्रह उपग्रहन की तरह चन्द्रमा भी सूर्य की अँजोर से प्रकाशित रहेला । पृथ्वी की चारो ओर चक्कर लगावत घरी पृथ्वी, चन्द्रमा आ सूर्य के आपस के संबंध दिशा की अनुसार बदलत रहेला जेवना से हमनी के चंद्रमा घटत-बढ़त रूप में लउकेला। एही घटना के चन्द्रमा के अवस्था कहल जाला । भारत में चन्द्रमा की अवस्था की हिसाब से तिथि अउरी महीना के गणना होला ।

चंद्रमा जेतना देर में पृथ्वी के एक चक्कर लगावेला (27.3 दिन) ओतने देरी में अपनी धुरी पर एक चक्कर घूमेला । एही वजह से हमनी के पृथ्वी से हमेशा चन्द्रमा के एक्के हिस्सा लउकेला ।

चन्द्रमा अपनी आकर्षण से ज्वार-भाटा ले आवेला । साथै-साथ चंद्रमा की आकर्षण की कारण पृथ्वी की घूर्णन अउरी परिक्रमा गति के हर सदी मे 2 मिली सेकन्ड कम कर देला । ताजा रिसर्च की अनुसार 90 करोड़ वर्ष पहिले एक वर्ष मे 18 घंटा के 481 दिन होखे।

सांस्कृतिक आ इतिहासी नजरिया

पृथ्वी 
अर्थराइज नाँव के तस्वीर, अपोलो 8 के अंतरिक्ष यात्री लोग द्वारा लिहल फोटो।
पृथ्वी 
🜨

पृथ्वी के मानक खगोलशास्त्रीय चीन्हा चार हिस्सा में बाँटल एगो बृत्त, पृथ्वी , हवे जे दुनिया के चारो कोना सभ के ओर इशारा करे ला।

अलग-अलग जगह के मानवी संस्कृति सभ में धरती के बारे में किसिम-किसिम के बिचार मौजूद बाने। कई जगह, धरती के देवी के रूप में मानल गइल बा। कई संस्कृति सभ में पृथ्वी के महतारी देवी (mother goddess) आ कहीं उपजशक्ति के देवी (fertility deity) के रूप में देखल जाला, आ 20वीं सदी में जनमल गाया हाइपोथीसिस, एकरा के एक ठो सिंगल सजीव जीवधारी के रूप में देखे ले जे अपना के खुद नियमित करे ला आ निवास जोग वातावरण के स्थाई बनवले रहे ला। सृष्टि के कई तरह के मत में पृथ्वी के कौनो देवता भा दैवी शक्ति द्वारा बनावल मानल गइल बा।

बैज्ञानिक खोज के रिजल्ट के कारण कई संस्कृति सभ में धरती के बारे में नजरिया में भी बदलाव देखल गइल बा। पच्छिमी जगत में ई मान्यता कि पृथ्वी चापट बा, छठवीं सदी ईसा पूर्व में पाइथागोरस के खोज द्वारा बदल गइल आ एकरा के गोलाकार स्वीकार कइल गइल। पृथ्वी ब्रह्मांड के केंद्र में बा इहो मान्यता रहे, ई सोरहवीं सदी में कोपरनिकस आ गैलीलियो के खोज से बदल गइल आ सौरमंडल के केंद्र में सुरुज के होखे के बात स्वीकार क लिहल गइल। चर्च के बिद्वान जेम्स अशर के परभाव में पूरा पच्छिमी जगत इहे बूझत रहे कि पृथ्वी के उत्पत्ति कुछ हजार साल पहिले भइल रहे, ई त उनईसवीं सदी में जाके भूबिज्ञान के खोज सभ से पता लागल की पृथ्वी के उमिर कई करोड़न साल के बा। लार्ड केल्विन नियर बिद्वान, 1864 में, थर्मोडाईनॅमिक्स के सिद्धांत के आधार पर पृथ्वी के उमिर 20 करोड़ से 400 करोड़ बरिस के बीच होखे के बात कहलें, जेह पर ओह समय बहुत बिबाद मचल; ई त उनईसवीं आ बीसवीं सदी के बात बा कि रेडियोएक्टिविटी के खोज के बाद उमिर निर्धारित करे के बिस्वासजोग तरीका मिलल आ पृथ्वी के उमिर कई बिलियन (अरब) बरिस बा ई बात साबित भइल। पृथ्वी के बारे में आदमी के नजरिया 20वीं सदी में एक बेर फिर बदलल जब पहिली बेर एकरा के अंतरिक्ष में से देखल गइल, खासतौर से जब अपोलो मिशन के दौरान लिहल गइल फोटो सभ प्रकाशित भइल।

इहो देखल जाय

नोट

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